Top variety of Cotton: कपास की केआर 121 किस्म देगी इतनी पैदावार की आपकी चांदी हो जाएगी

बठिंडा, Indigenous cotton: कपास की देसी किस्म भारत के अनेक क्षेत्रों में उगाई जाती है और विभिन्न नामों से जानी जाती है। यहाँ कुछ लोकप्रिय देसी किस्मों के नाम हैं। जाता (Jatta cotton) किस्म उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में प्रमुखतः उगाई जाती है। यह किस्म बाजार में अच्छी मांग और मजबूत फाइबर्स के लिए जानी जाती है।
देसी उपास (cotton Desi Upland): यह उच्च क्षेत्रों में उगाई जाती है और उपासी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त होती है। इसकी विशेषता उच्च असहज उगाई और मजबूत फाइबर्स में होती है। देसी लांड (Desi Land cotton): यह किस्म मुख्य रूप से भारत के मध्य और दक्षिणी क्षेत्रों में उगाई जाती है। इसकी विशेषता उच्च उत्पादकता और मजबूत फाइबर्स में होती है।
आनंद (Aanand cotton): यह किस्म उत्तर प्रदेश, बिहार, और पश्चिम बंगाल के क्षेत्रों में प्रमुखतः उगाई जाती है। इसकी विशेषता उच्च उत्पादकता और मजबूत फाइबर्स में होती है। परवीन (Parveen cotton): यह किस्म मुख्य रूप से राजस्थान और पंजाब के क्षेत्रों में उगाई जाती है। इसकी विशेषता उच्च उत्पादकता और मजबूत फाइबर्स में होती है।
कपास की केआर 121 किस्म
यह किस्म काफी अच्छी पैदावार निकाल कर देती है। यह किस्म kr-121 के नाम से जानी जाती है। kr-121 कपास किस्म शक्ति वर्धक सीड्स कंपनी द्वारा दी गई एक देसी कपास की किस्म है। इस किस्म की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी अधिक है। यह अच्छी पैदावार निकाल कर देती है।
KR 121 की खूबी
इसके एक टिंडे में 3.5 से 4 ग्राम तक का वजन होता है। यह किस्म उखेड़ा रोग के प्रति भी सहनशील है। यह किस्म एक बार चुराई के लिए उपयुक्त है। इस किस्म का पौधा काफी ज्यादा मजबूत होता है। यह किस्म kr-64 और kr-111 किस्मों को सुधार करके बनाई गयी है।
कितनी होती है पैदावार
kr-121 कपास किस्म की औसत पैदावार की बात करें। तो यह किस्म 15 से 17 कुंतल प्रति एकड़ तक पैदावार आसानी से दे देती है। वर्ष 2017-18 के आंकड़ों के अनुसार इस किस्म ने AAH-1 से 32.14% अधिक, CICR-2 से 19.29% अधिक, RAJDH-9 से 14.83% अधिक और KR-64 से 12.46% से अधिक उत्पादन दिया है।
यह किस्म लम्बे समय से लगातार अच्छा उत्पादन देती आ रही है। किसान साथी इस किस्म को काफी ज्यादा पसंद कर रहे हैं।
बजाई समय
इस किस्म की बिजाई आप अगेती, समय पर और पछेती तीनों प्रकार से कर सकते हैं। यानी के मार्च से लेकर मई तक आप इस किस्म की किसी भी समय तक बिजाई कर सकते हैं।
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