Kalanamak Rice : आरएआरआई-पूसा ने इजाद की काले चावल की दो नई किस्‍में, जानिए क्‍यों खास है ये

New Varieties of Rice: काला नमक चावल अपनी खूशबू और स्वाद के चलते मशहूर है। इसे भगवान बुद्ध के प्रसाद के नाम से भी जानते है। काला नमक की पैदावार बढ़ाने के लिए पिछले 15-16 वर्षों से इस दिशा में आरएआरआई-पूसा काम कर रहा था। जानते हैं इस चावल की क्‍या खासियत है और किसानों को यह कहां से उपलब्‍ध हो सकता है।
 

नई दिल्‍ली। Kalanamak Rice : भारतीय बाजार में बासमती और गोल्डन सेला के अलावा भी तरह-तरह किस्मों के चावल खरीदे और बेचे जाते हैं.  हम में से ज्यादातर लोग चावल के अलग-अलग गुणों की वजह से तरह-तरह के चावल खाना पसंद करते है. ऐसा ही एक भारतीय चावल जिसे काला नमक और भगवान बुद्ध के प्रसाद के नाम से जानते है। 

नरेन्द्र काला नमक और सीआरडी काला नमक चावल

ये अपनी खुशबू और स्वाद की वजह से विश्व भर में प्रसिद्ध है.  काला नमक की कम पैदावार और महंगी कीमत की वजह से बाजार में इसकी मांग के अनुसार आपूर्ति नहीं हो पाती है.  बता दें कि काला नमक की पैदावार बढ़ाने के लिए पिछले 15-16 वर्षों से इस दिशा में आरएआरआई-पूसा (IARI-PUSA) काम कर रहा था. इसी क्रम में काला नमक की पैदवार बढ़ाने के लिए पूसा नरेन्द्र काला नमक और सीआरडी काला नमक चावल तैयार किए गए है। 

चावल की दो नई किस्म

मिली जानकारी के मुताबिक, पूसा द्वारा तैयार किए गए इन दोनों चावलों की पैदावार प्रति हेक्टेयर 4.5 से 5 टन है. बताया जा रहा है कि चावल की ये नई किस्मों का स्वाद, खुशबू में बिल्कुल काला नमक चावल जैसे ही हैं. IARI-PUSA ने पूसा नरेन्द्र काला नमक और सीआरडी काला नमक चावल को विकसित किया है।

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पूसा नरेन्द्र काला नमक और सीआरडी काला नमक चावल भी पूर्वी उत्तर प्रदेश के 11 जिलों में ही उगाए जा सकते है जहां पर काला नमक चावल की पैदावार पहले से ही उगाई जा रही है।

नई किस्में कहां से मिलेगी

पूसा द्वारा तैयार इस साल इन दोनों चावलों के बीज किसानों को सीमित मात्रा में ही मिलेगा. लेकिन अगले साल किसानों को बीज भरपूर मात्रा में मिलेंगे. अगर आप चावल की नई किस्मों को प्राप्त करना चाहते हैं, तो कृषि विज्ञान केन्‍द्र, बस्ती,कृषि विज्ञान केन्द्र, सिद्धार्थनगर, कृषि विज्ञान केन्द्र, चौकी माफी, गोरखपुर से बीज ले सकते हैं।

यहां होती है चावल की खेती

बताया जाता है कि इस चावल का इतिहास बुद्ध काल से है. भारत के कई राज्यों में चावल के इस बेहतरीन किस्म की खेती की जाती थी. खासतौर पर चावल की यह नई किस्म उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिलों और नेपाल के तराई क्षेत्रों में की जाती थी।

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वहीं, अब इस चावल की खेती गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, संत कबीर नगर, बलरामपुर, बहराइच, बस्ती, कुशीनगर, गोंडा, बाराबंकी, देवरिया और गोंडा आदि जिलों में ही की जाती है।

क्‍या है इसकी खासियत

चावल की यह नई किस्म सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. दरअसल, इस चावल में शुगर बिल्कुल नहीं होता है. बल्कि काला नमक चावल में प्रोटीन, आयरन और जिंक और अन्य कई पोषक तत्व की भरपूर मात्रा पाई जाती है. मिली जानकारी के मुताबिक, इस चावल में अन्य चावल की किस्मों के मुकाबले जिंक की मात्रा 4 गुना, आयरन की मात्रा 3 गुना और प्रोटीन की मात्रा 2 गुना तक पाई जाती है।

क्या है काला नमक चावल

काला नमक चावल का नाम काले रंग के धान की वजह से रखा गया है. अब आप सोच रहे होंगे कि इस चावल का नाम काला है, तो क्या चावल भी काले रंग होगा. तो बता दें कि ऐसा नहीं चावल की नई किस्म का नाम बेशक काला है, लेकिन चावल सफेद रंग का ही है।

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