Railway News : 7 ड्राइवर, 100 डिब्बे, 4550 सीटें, ये है विश्व की सबसे लंबी पैसेंजर ट्रेन

विश्व रिकॉर्ड यात्रा का आयोजन रेहतियन रेलवे द्वारा किया गया था और इसमें लगभग एक घंटे का समय लगा। इस ट्रेन को देखने के लिए लगभग 25 किमी लंबी घाटी तक लोगों का खासा हुजूम उमड़ा। 100 डिब्बों से बनी इस ट्रेन को 7 ड्राइवर एक साथ चलाते हैं।
 

Haryana News Post : Rhaetian Railway : दुनिया की सबसे लंबी पैसेंजर ट्रेन का रिकार्ड स्विटजरलैंड की कंपनी ने अपने नाम किया है। स्विस रेलवे कंपनी ने देश में रेलवे की 175वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में दुनिया की सबसे लंबी यात्री ट्रेन का परिचालन कर रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस ट्रेन में 100 कोच और 4,550 सीटें हैं। इस ट्रेन ने यूनेस्को के वर्ल्ड हेरिटेज रूट पर लबुला टनल से फिलिसुर के लैंडवासर वायाडक्ट तक 1 घंटे में 25 किलोमीटर की दूरी तय की है।


दरअसल, विश्व रिकॉर्ड यात्रा का आयोजन रेहतियन रेलवे द्वारा किया गया था और इसमें लगभग एक घंटे का समय लगा। इस ट्रेन को देखने के लिए लगभग 25 किमी लंबी घाटी तक लोगों का खासा हुजूम उमड़ा। 100 डिब्बों से बनी इस ट्रेन को 7 ड्राइवर एक साथ चलाते हैं।

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यह ट्रेन आल्पस की खूबसूरत पहाड़ियों में चलाई गई है. इसके माध्यम से स्विटजरलैंड पर्यटक को अपनी ओर खींचना चाहता है। इससे पहले 1991 में 1.7 किलोमीटर लंबी ट्रेन बेल्जियम में चलाई गई थी। लेकिन स्विटजरलैंड की प्राइवेट कंपनी ने ये रिकार्ड तोड़ दिया है। इस प्राइवेट कंपनी का दावा है कि यह ट्रेन लगभग 2 किलोमीटर या 6,253 फुट लंबी है 


खूबसूरत रास्ते में आएंगी 22 सुरंगें


जानकारी के मुताबिक दुनिया की सबसे लंबी ट्रेन विश्व धरोहर मार्ग से गुजरते हुए अल्वेन्यू और लैंडवासर वायाडक्ट को पार करते हुए 22 सुरंगों से होकर गुजरेगी। यह ट्रेन यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल अल्बुला/बर्निना रूट से होते हुए अल्वेन्यू और लैंडवासर से होकर गुजरेगी। यह मार्ग पहाड़ों के बीच होने के कारण काफी घुमावदार है और इस मार्ग में कुल 48 ब्रिज आएंगे। रास्ते में मौजूद अल्पाइन के पेड़ों के कारण यह मार्ग काफी खूबसूरत दिखता है. इस पूरी यात्रा में एक घंटे से अधिक का समय लगता है। 


कई तकनीकी चुनौतियां आई

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बताया गया है कि यात्रा के निर्माण ने कई तकनीकी चुनौतियों का सामना कियागया। इतनी लंबी ट्रेन के साथ कैरिज को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण होता है। जब आप 25 ट्रेनों को एक साथ रखते हैं, तो सिग्नल पर्याप्त होना चाहिए ताकि आखिरी ट्रेन को वास्तव में पहली ट्रेन से जानकारी मिल जाए।

इसलिए एक बहुत ही व्यावहारिक समाधान खोजना था जो सुरक्षित हो। यह ट्रेन इसी खास ऑपरेशन के लिए नहीं बनी है। ट्रेन को अब इसके अलग-अलग हिस्सों में तोड़ दिया जाएगा और इनका इस्तेमाल नियमित यातायात के लिए किया जाएगा।

अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है मुख्य उद्देश्य


इस बारे में स्विस रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि हम इस ट्रेन के जरिए दुनिया को स्विट्जरलैंड की खूबसूरत वादियां दिखाना चाहते हैं। कोविड महामारी के कारण रेलवे के कमाई पर असर पड़ा है। हम इस ट्रेन के जरिए दुनिया के पर्यटक को अपनी ओर खींचना चाहते हैं। साथ ही इसका मकसद लोगों को स्विटजरलैंड की खूबसूरत वादियां भी दिखाना है। रेहतियन रेलवे के सीईओ ने इस ट्रेन के परिचालन को लेकर कहा कि इसे स्विट्जरलैंज की खूबसूरत यूनेस्को विश्व धरोहर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए चलाया गया है।

जानिए भारत की सबसे लंबी ट्रेन के बारे में

बता दें कि भारतीय रेलवे ने भी 15 अगस्त को आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर भारत की सबसे लंबी मालगाड़ी चलाई थी। इस मालगाड़ी का नाम सुपर वासुकी रखा गया जोकि 3.5 किलोमीटर लंबी थी. इस मालगाड़ी में कुल 27 हजार टन वजन लोड था. इस मालगाड़ी में कुल 295 डिब्बे लगे हुए थे।