17 march 2025 Panchang: 17 मार्च 2025 का पंचांग चैत्र कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि के शुभ मुहूर्त और महत्वपूर्ण समय की जानकारी

17 march 2025 Panchang: 17 मार्च 2025 का पंचांग: चैत्र कृष्ण पक्ष तृतीया तिथि, सोमवार व्रत के साथ शुभ मुहूर्त (अभिजीत: 12:07-12:55 PM), राहुकाल (7:30-9:00 AM), दिशा शूल (पूर्व), सूर्योदय 6:36 AM, सूर्यास्त 6:27 PM। शिवलिंग पूजा और महामृत्युंजय मंत्र से करें दिन की शुरुआत।
 
17 march 2025 Panchang Tritiya tithi of Chaitra Krishna paksha: आज सोमवार, 17 मार्च 2025 है, और यह दिन भगवान शिव की उपासना के लिए बेहद खास माना जाता है। सोमवार को शिवलिंग की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आप घर पर पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसका पूजन कर सकते हैं या मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग पर जलाभिषेक कर सकते हैं। महामृत्युंजय मंत्र का जाप और शिव पुराण का पाठ करने से मन को शांति मिलती है। आज चैत्र कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि है। आइए, जानते हैं आज के पंचांग की पूरी जानकारी जो आपके दिन को और बेहतर बनाने में मदद करेगी।

आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang 17 March 2025)

  • संवत: पिङ्गला
  • विक्रम संवत: 2081
  • माह: चैत्र, कृष्ण पक्ष
  • तिथि: चैत्र माह कृष्ण पक्ष तृतीया
  • पर्व: सोमवार व्रत
  • दिन: सोमवार
  • सूर्योदय: सुबह 06:36 बजे
  • सूर्यास्त: शाम 06:27 बजे
  • नक्षत्र: चित्रा (दोपहर 02:47 तक), फिर स्वाती
  • चंद्र राशि: तुला (स्वामी ग्रह: शुक्र)
  • सूर्य राशि: मीन (स्वामी ग्रह: गुरु)
  • करण: विष्टि (शाम 07:38 तक), फिर बव
  • योग: ध्रुव (दोपहर 03:46 तक), फिर व्याघात

17 मार्च 2025 के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat 17 March 2025)

  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:07 से 12:55 तक
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 02:25 से 03:25 तक
  • गोधुली मुहूर्त: शाम 06:25 से 07:21 तक
  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:03 से 05:07 तक
  • अमृत काल: सुबह 06:03 से 07:46 तक
  • निशीथ काल: रात 11:42 से 12:26 तक
  • संध्या पूजन: शाम 06:26 से 07:04 तक

दिशा शूल और राहुकाल

  • दिशा शूल: पूर्व दिशा। इस दिशा में यात्रा करने से बचें। अगर जरूरी हो तो एक दिन पहले यात्रा की योजना बनाएं और पक्षियों को दाना-पानी दें।
  • राहुकाल: सुबह 07:30 से 09:00 बजे तक। इस समय शुभ कार्यों से बचें।

आज का दिन शिव भक्ति में डूबने का है। सही समय पर पूजा और शुभ कार्य करें, ताकि दिन मंगलमय रहे।