Vastu Tips :पौष माह की पूर्णिमा 6 को, इस दिन दान, स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व?
Haryana News Post : Vastu Tips : हिंदू धर्म में पूर्णिमा व्रत, पूजा का विशेष महत्व है। इस बार की पौष माह की पूर्णिमा व्रत 06 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पूर्ण आकार में होता है। पौष को भगवान सूर्य का माह कहा जाता है.
इसलिए इस माह में आने वाली पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन लोग अलग-अलग रीति-रिवाजों से पूजा करते हैं। मान्यता के अनुसार पौष पूर्णिमा पर विधिवत पूजन से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पौष पूर्णिमा के दिन दान, स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व बताया गया है। तो चलिए जानते हैं इस बारे में।
पौष पूर्णिमा का महत्व?
Read Also: Vastu Tips : सूर्यास्त के बाद भुलकर भी ना करें इन चीजों का दान, घर में होगी पैसों की कमी!
वैदिक ज्योतिष अनुसार पौष सूर्य देव का माह कहलाता है। इस मास में सूर्य देव की आराधना से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है। पौष सूर्य देव का माह है और पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि है। अत: सूर्य और चंद्रमा का यह अद्भूत संगम पौष पूर्णिमा की तिथि को ही होता है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती है।
नदियों में स्नान का महत्व?
ग्रंथों में कहा गया है कि पौष पूर्णिमा के मौके पर पवित्र नदियों में नहाने से मोक्ष तो मिलता ही है साथ ही कई तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। लिहाजा इस दिन तीर्थ में लोग इकट्ठा होते हैं। लेकिन विद्वानों का कहना है कि महामारी के दौर के चलते घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहाने से तीर्थ स्नान का पुण्य मिलता है। इस दिन प्रयागराज में संगम के अलावा हरिद्वार और गंगा सागर में डुबकी लगाने का बहुत पुण्य मिलता है।
सूर्य पूजा
Read Also: Vastu Tips : जान लें शिवलिंग पर जल चढ़ाने के ये आवश्यक नियम, वरना भगवान शिव हो सकते हैं नाराज
ये पर्व पौष माह का आखिरी दिन होता है। पौष माह के देवता भगवान सूर्य हैं। इसलिए इस माह के खत्म होते समय सुबह जल्दी उठकर भगवान सूर्य को जल चढ़ाया जाता है। उत्तरायण के चलते इस दिन उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने से उम्र बढ़ती है और बीमारियां खत्म होती हैं।
चंद्रमा पूजा
सूर्य के उत्तरायण होने के बाद ये पहली पूर्णिमा होती है। पुराणों में बताया गया है कि उत्तरायण के बाद पहली पूर्णिमा पर चंद्रमा की 16 कलाओं से अमृत वर्षा तो होती ही है। साथ ही इस दिन चंद्र को दिया गया अर्घ्य पितरों तक पहुंचता है। जिससे पितृ संतुष्ट होते हैं। पौष पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी राशि यानी कर्क में होता है। इसलिए इसका प्रभाव बढ़ जाता है। विद्वानों का कहना है कि निरोग रहने के लिए इस दिन औषधियों को चंद्रमा की रोशनी में रखकर अगले दिन सुबह सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से बीमारियों में राहत मिलने लगती है।
पौष पूर्णिमा 2023 शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि की शुरूआत 06 जनवरी 2023 को रात 02 बजकर 16 मिनट पर होगी और इसका समापन 07 जनवरी 2023 को सुबह 04 बजकर 37 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, पौष पूर्णिमा इस बार 06 जनवरी को मनाई जाएगी। साथ ही इस बार पौष पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। यह एक अत्यंत शुभ योग माना जाता है और इसमें किए गए सभी कार्य सफल होते हैं।
पौष पूर्णिमा पूजन विधि?
सुबह स्नान से पहले व्रत करने का संकल्प लिया जाता है। पवित्र नदी में नहाने के बाद भगवान को अर्घ्य दें। सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को भोजन कराएं। इस दिन कंबल, गुड़, तिल जैसी चीजों का दान करना शुभ माना जाता है।
Gandhi Jayanti पर बच्चों और स्टूडेंट्स के लिए गांधी जयंती पर विशेष पंक्तियां
Gandhi Jayanti पर हिंदी में शेयर करें Mahatma Gandhi के Famous Slogans
Gandhi Jayanti पर हिंदी में भेजें Funny Wishes और Messages
Gandhi Jayanti पर हिंदी में भेजें Wishes और Messages, महात्मा गांधी के विचारों को फैलाएं
हमें ट्विटर और गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें