Haryana News: सत्ता के शीर्ष पर रही जजपा के कठिन होती लोकसभा की डगर

JJP News: पार्टी के ज्यादा नेताओं का लगातार हो रहा विरोध भी बना परेशानी का सबब, पार्टी के कई बड़े पदाधिकारियों के इस्तीफे के बाद लगा जजपा को झटका 
 

चंडीगढ़, Haryana News: लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा में तमाम दल चुनावी तैयारियों को अमली जामा पहनाने में जुटे हैं और सियासी घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं। सत्ताधारी भाजपा ने जहां सभी 10 लोकसभा सीटों पर अपने कैंडिडेट घोषित कर दिए हैं तो वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस अपने दिग्गजों के बीच जारी वर्चस्व की लड़ाई के चलते किसी भी सीट पर अपने प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है।

वहीं सत्ता में भागीदार रही और अब गठबंधन से अलग कर दी गई जजपा ने भी किसी भी सीट पर अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं। पिछले कुछ में समय में भाजपा  के घोषित किए गए कई लोकसभा प्रत्याशियों और खासकर जजपा नेताओं को लगातार लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

सबसे ज्यादा परेशानी  जजपा नेताओं और मुख्य रुप से चौटाला परिवार को आ रही है।  जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अजय चौटाला, उनके बेटे व पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला व दिग्विजय चौटाला लगातार किसानों व लोगों के गुस्से का सामना कर रहे हैं। इसी कड़ी में जजपा ने मंगलवार को पांच लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए। इसके अलावा चुनाव से पहले पार्टी के नेताओं का पलायन भी जेजेपी के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।  

बेशक इसको लेकर जजपा अध्यक्ष डॉ अजय चौटाला कह रहे हैं कि किसी के जाने  से फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चुनाव से ऐन पहले पार्टी नेताओं का जजपा छोड़ना उचित संकेत नहीं है। 

विरोध इतना ज्यादा कि सफाई भी नहीं देने दे रहे लोग

जजपा नेताओं का विरोध इतना ज्यादा है कि ग्रामीण एरिया में लोग पार्टी के दिग्गजों से सवाल पर सवाल पूछ रहे हैं और उनको सफाई देने तक का मौका नहीं मिल रहा है। दुष्यंत और उनके भाई दिग्विजय को लगातार लोगों, खासकर किसानों व युवाओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है जिसकी राजनीतिक गलियारों में चर्चा है।

राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में विरोध के चलते जननायक जनता पार्टी अभी अपने उम्मीदवार भी घोषित नहीं कर रही है। उसके सामने प्रत्येक लोकसभा सीट पर भाजपा के विरुद्ध मजबूत उम्मीदवार उतारकर लोगों के बीच खोया विश्वास बहाल करने की बड़ी चुनौती से पार पाना होगा।

इसके अलावा पार्टी के दिग्गज नेता और डिप्टी सीएम को अलग अलग जगह प्रचार के दौरान किसानों और युवाओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। हिसार के नारनौंद हलके में दुष्यंत चौटाला, डबवाली में दिग्विजय चौटाला और भिवानी में उनके पिता अजय चौटाला को किसानों और लोगों के कठिन सवालों का सामना करना पड़ा। 

जजपा को बड़ा झटका, प्रदेश अध्यक्ष, विधायक  समेत कई पदाधिकारियों ने पार्टी छोड़ी

हरियाणा में कभी भाजपा की सरकार में सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जजपा) को लोकसभा चुनाव से पहले लगातार झटके लग रहे हैं। भाजपा द्वारा गठबंधन तोड़ने के बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह द्वारा पद से इस्तीफा दे दिया है। साथ ही पार्टी के विधायक जोगीराम सिहाग भी पार्टी को अलविदा कह चुके हैं।

रविवार को वो हिसार से भाजपा प्रत्याशी और कैबिनेट मिनिस्टर रणजीत सिंह से नजदीकियां बढ़ाते नजर आए। वहीं दूसरी तरफ एक समय जजपा नेताओं और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अजय सिंह चौटाला के वफादार व करीबी रहे मीनू बेनीवाल ने भी पार्टी से इस्तीफा देते हुए भाजपा ज्वाइन  कर ली।

जेजेपी की राष्ट्रीय महासचिव कमलेश सैनी ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया जिसके चलते जजपा को एक और झटका लगा। इसके अलावा पार्टी की प्रदेश महासचिव रेखा शाक्य ने भी पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा देते हुए पार्टी की मुश्किलों में खासा इजाफा कर दिया है। ऐसे में गठबंधन टूटने के बाद लगातार दिक्कतों से जूझ रही जजपा के लिए आने वाले समय कठिनाइयों भरा है। 

पार्टी के आधे विधायक नाराज चल रहे 

ये भी किसी से छिपा नहीं है कि जब जजपा सत्ता में साझीदार थी तो तब भी पार्टी के कई विधायक  सदन के अंदर और बाहर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से नाराज थे। पार्टी विधायकों का कलह कई बार सार्वजनिक मंच पर भी बाहर आया। पार्टी के आधे विधायक लगातार पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला से नाराज रहे और ये स्थिति पार्टी के लिहाज से अब और भी खराब हो चुकी है।

ये भी किसी से छिपा नहीं है कि 10 में से 5 विधायक नाराज रहे और जोगी राम सिहाग तो जजपा से इस्तीफा भी दे चुके हैं। उनके अलावा नाराज विधायकों में पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली, ईश्वर सिंह, जोगीराम सिहाग, रामनिवास सुरजा खेड़ा और रामकुमार गौतम शामिल हैं।भाजपा सरकार में बदलाव के बाद पिछले महीने  विधानसभा में बहुमत साबित करने का वक्त आया तो जजपा ने व्हिप जारी कर विधायकों से सदन में वोटिंग में शामिल न होने को कहा था।

इसके बावजूद पांचों विधायक सदन में पहुंचे थे, हालांकि कुछ देर सदन में रहने के बाद वह वापस चले गए थे। सबका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से एक ही सुर में यही कहना था कि डिप्टी सीएम ने सारे विभाग अपने पास रख लिए और उनको मंत्री नहीं बनाया। 

कांग्रेस व इनेलो से भी मिल रही चुनौती

जजपा नेताओं के लगातार हो रहे विरोध को मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी कैश करने से कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इसके अलावा जजपा को धुर विरोधी इनेलो और चौटाला परिवार से भी कड़ी चुनौती मिल रही है। इनेलो महासचिव व दुष्यंत के चाचा अभय चौटाला जजपा व इसके नेताओं को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैें।

वहीं कांग्रेस नेता लगातार जजपा को ये कहते हुए घेर रहे हैं कि पूरे साढ़े चार साल सत्ता में रहने के बाद अब इनको लोगों की याद आई। वहीं अभय लगातार ये कह रहे हैं कि ये इनेलो के गद्दार हैं और इनके लिए इनेलो में कोई जगह नहीं है। ऐसे में जिस तरह से जजपा पर जहां तमाम दल हमलावर हैं, उससे साफ है कि जजपा के लिए आने वाला समय मुश्किलों भरा है। 

वर्चस्व वाली सीटों पर दबदबा बनाए रखना भी बड़ी चुनौती 

इनेलो से अलगाव होने के बाद डॉ अजय चौटाला का परिवार कई पुरानी सीटों पर अपना दबदबा बनाए रखने में कामयाब रहा है। हालांकि परिवार में टूट से पहले कई जिलों और लोकसभा सीटों पर चौटाला परिवार का दबदबा था लेकिन परिवार में बिखराव के बाद चीजें बदल गई।

अजय चौटाला व बेटे दुष्यंत ने कुछ हद हिसार में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। लेकिन बदले हालात में चुनौतियां भी बढ़ गई हैं। भिवानी-महेंद्रगढ़ (पूर्व में भिवानी) सीट से कभी सांसद रहे अजय चौटाला की कोशिश है कि यहां भी वो पुराना दौर वापस लाएं लेकिन यहां भी मुकाबला कड़ा नजर आ रहा है।