Controversy over Mihir Bhoj: कैथल में बढ़ रहा सम्राट मिहिर भोज प्रतिमा विवाद, भाजपा का हो रहा विरोध 

Kaithal Breaking News: हरियाणा में इसको लेकर विवाद कैथल से शुरू हुआ कैथल में सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति के अनावरण को लेकर यह विवाद उठा जिसको लेकर राजपूत समाज और गुर्जर समाज आमने-सामने आ गए।
 
Controversy over Mihir Bhoj: कैथल में बढ़ रहा सम्राट मिहिर भोज प्रतिमा विवाद, भाजपा का हो रहा विरोध, Kaithal News

Kaithal News, Was Emperor Mihir Rajput or Gurjar, कैथल। राजा मिहिर भोज की जाति के विवाद पर हरियाणा में सत्ताधारी भाजपा सांसत में है. कैथल में लगी मूर्ति पर गुर्जर शब्द लिखने और भाजपा विधायक द्वारा अनावरण करने के विरोध में राजपूत समाज सरकार और भाजपा से नाराजगी जता रहा है।

भाजपा इसके राजनीतिक नफा नुकसान का आकलन कर खामोश है, लेकिन कांग्रेस इसे जरूरी मुद्दों से ध्यान भटकाने की चाल बता रही है, जबकि जानकार इसे राजनीतिक से ज्यादा सामाजिक मुद्दा बता रहे हैं। सम्राट मिहिर भोज गुर्जर है या राजपूत पश्चिम उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश और राजस्थान के बाद अब यह विवाद हरियाणा के सामाजिक और राजनीतिक गलियारों में गूंज रहा है।

कैथल में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण बना विवाद की वजह

वैसे तो इस प्रतिमा का अनावरण प्रदेश के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर को करना था लेकिन उन्होंने विवाद को देखते हुए इस कार्यक्रम से दूरी बना ली थी और कैथल के विधायक लीलाराम गुर्जर और जिला अध्यक्ष अशोक गुर्जर ने प्रतिमा का अनावरण कर दिया वही इस विवाद के बाद बीजेपी के राजपूत नेताओं ने पार्टी से किनारा कर लिया जहां तक कि राजपूतों के करीब दर्जन भर गांवों में बीजेपी नेताओं की एंट्री भी बन कर दी थी

सीएम ने की विवाद को सुलझाने की कोशिश लेकिन कोर्ट पहुंचा मामला

इसको लेकर दोनों समाजों के बीच तनाव को देखते हुए यह विवाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल के दरबार तक भी पहुंच गया उन्होंने दोनों यानी राजपूत और गुर्जर समाज के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की जिसके बाद मिलजुल कर इस मुद्दे के समाधान की बात राजपूत समाज के लोगों ने कही लेकिन यह विवाद अब हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है जिसकी सुनवाई 3 अगस्त को होनी है

गुर्जर राजपूत वोटों का गणित

हरियाणा में गुर्जर समाज का वर्चस्व फरीदाबाद पानीपत कैथल यमुनानगर करनाल और मेवात के कुछ हिस्सों पर है वही राजपूत समाज का असर उनमें जींद कैथल चरखी दादरी यमुनानगर और भिवानी है बाकी हरियाणा के जिलों में भी इनकी उपस्थिति है वोट प्रतिशत के आंकड़ों में हरियाणा में गुर्जर और राजपूत समाज को देखा जाए तो अनुमान के मुताबिक इस वक्त हरियाणा में 4 प्रतिशत से 5 प्रतिशत गुर्जर मतदाता है और वही 3 प्रतिशत से कुछ अधिक राजपूत मतदाता है

बीजेपी नेताओं के क्या है इस मामले में बयान

कैथल में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण करने वाले विधायक लीलाराम गुर्जर का बयान इस मामले में बहुत ही उत्तेजक रहा उन्होंने कैथल में अपने संबोधन में कहा था कि जो गुर्जर को छेड़ेगा वह मारा जाएगा . इसी के बाद बीजेपी के राजपूत नेताओं ने इस्तीफा दिया।

और इस विवाद पर हरियाणा के शिक्षा मंत्री कहते हैं कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है हमारा आपस में इस प्रकार का कोई विवाद नहीं होना चाहिए लेकिन यह जो शब्द है गुर्जर व गुर्जर प्रतिहार उसकी आईडेंटिटी है यह शब्द अब से नहीं हजारों साल से है हमने भी पुस्तकों में गुर्जर प्रतिहार ही पड़ा है इस वंश का करीब 350 साल शासन रहा यह सब तब से है इसकी पहचान वे कहते हैं कि बीते कुछ सालों में इस तरह की बात सामने आ रही है

लेकिन हमें मिल बैठकर इस तरह के मामलों का समाधान करना चाहिए इस विषय को बड़ा विवाद नहीं बनाना चाहिए हम तो यह चाहते हैं कि दोनों समाज के लोग जो भी उनके पास सुझाव है वह मिलकर दे बैठकर इस मसले को हल करना चाहिए और किसी प्रकार का कोई भी टकराव आपस में नहीं होना चाहिए वह कहते हैं कि कोर्ट से अच्छा अगर मिल बैठकर दोनों समाज के लोग इसका समाधान कर ले तो वह सबके लिए बेहतर होगा

इस विवाद पर हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा कहते हैं कि मेरे वहां तो राजपूत भी है जाट भी है गुर्जर भी है ब्राह्मण भी है हमारे यहां लोग इस तरह के विवाद में नहीं पड़ते सामाजिक मर्यादा में इस तरह के विवाद नहीं बनाने चाहिए वह कहते हैं कि कोई राजा हो या बड़ा नेता हो या कोई क्रांतिकारी यह सभी समाज के होते हैं

बीजेपी हमेशा इस तरह के विवाद पैदा कर मूल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश करती है फिर केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को या प्रदेश के मुख्यमंत्री यह ऐसे विवाद पैदा करके आम लोगों से जुड़े मुद्दों से ध्यान भटकाने का काम करते हैं वह कहते हैं कि समाज को बांटने का काम करने वाली बीजेपी ने ही हरियाणा में जाट आंदोलन चलाया था और समाज को बांटने का प्रयास किया था (केवल ढींगरा, कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता)

क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकार?

इस मामले को लेकर राजनीतिक मामलों के जानकार डॉ सुरेंद्र धीमान कहते है की यह मामला राजनीतिक से ज्यादा सामाजिक है इसलिए इसका समाज को मिलजुल कर समाधान निकालना चाहिए इसमें राजनीति कुछ भी नहीं है यह दोनों समाज के लोगों के बीच की बात है उन्हें आपस में बातचीत कर इस विवाद को हल करना चाहिए