Padma Shri Gurvinder Singh: कौन हैं सिरसा के सामाजिक कार्यकर्ता गुरविंदर सिंह जिनको मिलेगा पद्मश्री, बरसों से जुटे हैं बेसहारों की सेवा में
सिरसा। Padma Shri Gurvinder Singh : राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू समाज सेवी गुरविंदर सिंह को पद्मश्री से सम्मानित करेंगी। गुरविंदर सिंह सिरसा में भाई कन्हैया लाल के नाम से आश्रम चलाते हैं। हरियाणा के सिरसा जिले के रहने वाले दिव्यांग समाज सेवी गुरविंदर सिंह को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा।
कौन हैं सिरसा के गुरविंदर सिंह
केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस पर पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की है। इसके अलावा वे निशुल्क एम्बुलेंस की सेवा भी उपल्ब्ध कराते हैं। साथ ही बेघर, बेसहारा, महिलाओं, अनाथों और विकलांग लोगों के कल्याण के लिए लगातार काम करते हैं। जानकारी के मुताबिक उनके आश्रम में 300 से ज्यादा बेसहारा लोग रह रहे हैं।
पद्मश्री गुरविंदर सिंह ने ऐसे की शुरुआत
उन्होंने सबसे पहले सिरसा के नागरिक हॉस्पिटल में मरीजों को 250 ग्राम दूध बांटने से मानव सेवा की शुरुआत की थी। इसके बाद सिरसा जिले में कई रक्तदान कैंप भी लगाए गए। 29 दिसंबर 2006 को भाई कन्हैया मानव सेवा समिति का गठन और फिर विस्तार किया। यहां से उन्होंने नि: शुल्क एम्बुलेंस की सेवा की शुरुआत की।
इसके साथ ही उन्होंने विधवाओं, आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों और तलाकशुदा महिलाओं के बच्चों के लिए एक मुफ्त काउंटर स्कूल भी स्थापित किया है। इसमें बच्चों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। गुरविंदर सिंह की इस मानवता और सेवा के भाव देखते हुए उन्हें केंद्र सरकार ने पद्मश्री से नवाजने का फैसला किया है।
बाल गोपाल धाम में कर रहे सेवा
सामाजिक कार्यकर्ता गुरविंदर सिंह बाल गोपाल धाम नामक बाल देखभाल संगठन भी चलाते हैं, इस संगठन ने 300 बच्चों के सपनों को पूरा किया। सामाजिक सरोकारों के प्रति उनके समर्पण और योगदान से प्रभावित होकर केंद्र सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित करने का फैसला किया है।
पद्मश्री दिए जाने की घोषणा के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत में केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया और अपनी खुशी व्यक्त की। गुरविंदर सिंह ने 6000 से अधिक दुर्घटना पीड़ितों और गर्भवती महिलाओं को मुफ्त एम्बुलेंस सेवा भी प्रदान की है। गुरविंदर सिंह चलने में असमर्थ हैं। वे व्हीलचेयर पर ही बैठकर चलते हैं। दरअसल, एक ट्रक से टकराने के बाद कमर से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था। गुरविंदर सिंह ने दुर्घटना के बाद अपना जीवन दूसरों की भलाई के लिए समर्पित कर दिया।
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