Success Story: हरियाणा के चंदेनी गांव का बेटा बना एनडीए टॉपर, गांव व परिवार का नाम किया रोशन

Success story of Anurag Sangwan NDA topper: बता दें कि चरखी दादरी जिला के अंतिम छोर पर बसा गांव चंदेनी फौजियों का गांव कहा जाता है। इस गांव से अब तक करीब 35 युवा देश सेवा की भावना लिए सेना में भर्ती हो चुके हैं। इसमें से कई सेना में उच्च पदों पर भी हैं। वहीं गांव के दो आईएएस, एक आईपीएस सहित एमबीबीएस के अलावा सिविल में कई युवा उच्च पदों पर रहते हुए गांव का नाम रोशन कर रहे हैं।
समारोह में अनुराग का हुआ सम्मान
बता दें कि चरखी दादरी के गांव चंदेनी निवासी पूर्व अध्यापक रतन सिंह के पोते व जीवक सांगवान के बेटे अनुराग सांगवान ने पहले ही प्रयास में एनडीए की परीक्षा में देशभर में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। गांव के बेटे की इस उपलब्धि पर ग्राम पंचायत की ओर से बीते कल 20 अप्रैल 2023 को गांव के एक स्कूल में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।
अनुराग को खुली जीप से बाइकों के काफिले के साथ गांव के सरकारी स्कूल में आयोजित समारोह स्थल तक लाया गया। यहां पहुंचते ही अनुराग ने गांव की मिट्टी को प्रणाम किया और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए उनको सेल्यूट किया।
अनुराग को इन लोगों ने दी बधाई
अनुराग के देश भर में एनडीए टॉप करने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री मनोहर लाल व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का भी फोन आया। सभी ने उन्हें बधाई देते हुए उज्जवल भविष्य की कामना की। समारोह में पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान, पूर्व विधायक रघबीर छिल्लर, पूर्व विधायक व भाजपा किसान मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष सुखविंद्र मांढी सहित अनेक नेताओं व सामाजिक संगठनों ने अनुराग सांगवान को सम्मानित किया।
गांव के मंच से अनुराग सांगवान ने भी बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हुए हर संभव देश सेवा को अपना जीवन समर्पित करने की बात कही. समारोह में अनुराग के दादा रतन सिंह, पिता जीवक व माता सुदेश देवी को भी सम्मानित किया गया।
बेटे के लिए पिता ने छोड़ा था गांव
अनुराग सांगवान के दादा-दादी गांव के सरकारी स्कूल में अध्यापक थे और रिटायर होने के बाद वे हरियाणा के भिवानी चले गए थे। अनुराग सांगवान के पिता जीवक सांगवान उसे हमेशा से बड़ा अफसर बनाना चाहते थे। उन्होंने अपने इस संकल्प को पूरा करने के लिए गांव तक छोड़ दिया और गुरुग्राम चले गए।
वहीं उन्होंने अनुराग का एनडीए के लिए फार्म भरवाया। जिसके बाद अपने दादा-दादी से प्रेरित अनुराग ने खूब मेहनत की और पहले ही प्रयास में देश में प्रथम स्थान प्राप्त कर गांव का नाम रोशन कर दिया है।