क्या आपको भी आता है ज्यादा गुस्सा? कहीं इसके पीछे की वजह प्रदूषण तो नही
गुस्सा आना स्वाभाविक है, यह एक तरह का इमोशन है, लेकिन हर समय अत्यधिक गुस्सा, चिड़चिड़ापन एक गंभीर समस्या है। दरअसल इसके पीछे हमारा पर्यावरण जिम्मेदार है। एक स्टडी के मुताबिक जिस राज्य और शहर में ज्यादा प्रदूषण होता है।
वहां के लोगों को हाई बीपी की समस्या सबसे ज्यादा होती है। प्रदूषण का असर इंसान ही नहीं जानवरों पर भी हो रहा है। ये न केवल फेफड़े, हृदय और त्वचा को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि यह आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालते हैं।
जिससे कई तरह की समस्याएं शुरू हो गई हैं। मनोचिकित्सकों के अनुसार, शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली कोई भी चीज मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। विशेषज्ञों के अनुसार अगर प्रदूषण ज्यादा हो तो हमारी नींद पर असर पड़ता है।
सोते समय अगर हमारे आसपास प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा हो तो हमें सांस लेने में दिक्कत होती है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन लेवल नीचे जाने लगता है. और दिमाग सक्रिय हो जाता है।
जब दिमाग सक्रिय होता है तो हमें नींद नहीं आती और वह बार-बार नींद तोड़ता रहता है।जब दिमाग में ऑक्सीजन का स्तर कम होता है तो यह आपके मूड को प्रभावित करता है, जिससे आप अवसाद, चिड़चिड़ापन, गुस्सा महसूस करते हैं।
नींद पूरी न होने से दिन भर नींद आती रहती है, जिससे शरीर में हार्मोनल असंतुलन बना रहता है और अक्सर मूड स्विंग की समस्या हो जाती है। वायु प्रदूषण और मानसिक स्वास्थ्य के बीच सीधा संबंध है।
ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के शोधों द्वारा यह शोध 2021 में 13000 लोगों पर किया गया था। शोध में पाया गया कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले लगभग 32% लोगों को इलाज की आवश्यकता थी।
18% लोगों को प्रदूषित हवा में मौजूद नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के संपर्क में आने के बाद अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। प्रदूषण बढ़ने से डिप्रेशन और एंग्जायटी के मामले बढ़ रहे हैं।
यह मानसिक स्वास्थ्य को बहुत प्रभावित करता है, जिसके कारण प्रदूषण से डिमेंशिया जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है।