Ram Navami 2024 Wishes in Hindi: राम जनम सुखमूल, राम नवमी पर सभी को भेजें शुभकामनाएं
Ram Navami 2024 Wishes, Messages, Quotes: चैत्र नवरात्र का अनुष्ठान राम नवमी की आध्यात्मिक चेतना को भी जागृत करता है। इस दिन प्रभु ने मनुष्य रूप में अवतार लिया था. गोस्वामी जी ने सुन्दर चित्रण किया है-
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला, कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,अद्भुत रूप बिचारी ।।
लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा, निज आयुध भुजचारी।
भूषन बनमाला,नयन बिसाला,सोभासिंधु खरारी ।।
वस्तुतः मानवीय क्षमता सीमित होती है। वह अपने अगले पल के विषय में नहीं जाता। इसके विपरीत नारायण की कोई सीमा नहीं होती। वह जब मनुष्य रूप में अवतार लेते हैं, तब भी आदि से अंत तक कुछ भी उनसे छिपा नहीं रहता। वह अनजान बनकर अवतार का निर्वाह करते हैं। भविष्य की घटनाओं को देखते हैं, लेकिन प्रकट नहीं होते देते। इसी की उनकी लीला कहा जाता है। गोस्वामी जी उनके अवतार का सुंदर चित्रण करते है। यह किसी सामान्य शिशु जन्म नहीं है। प्रभु स्वयं अवतरित हुए। प्रकृति ग्रह नक्षत्र सभी पर इसका प्रभाव परिलक्षित है।
कह दुई कर जोरी, अस्तुति तोरी, केहि बिधि करूं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना, वेद पुरान भनंता ।। करूना सुख सागर, सब गुन आगर, जेहि गावहिं श्रुति संता। सो मम हित लागी, जन अनुरागी, यउ प्रगट श्रीकंता ।। ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया, रोम रोम प्रति बेद कहै । मम उर सो बासी,यह उपहासी, सुनत धीर मति थिर न रहै ॥ उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना, चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै । कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई, जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ॥ माता पुनि बोली, सो मति डोली, तजहु तात यह रूपा । कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला, यह सुख परम अनूपा ॥ सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना, होइ बालक सुरभूपा ।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं, ते न परहिं भवकूपा ॥
Ram Navami 2024 Wishes, Messages, Quotes in Hindi
श्री राम जी की कृपा सदा बनी रहे
उनका आशीर्वाद हमेशा बरसता रहे
यही हमारी दिल से कामना है।
राम नवमी की शुभकामनाएं
जिनके मन में श्री राम है,
भाग्य में उसके वैकुण्ठ धाम है
उनके चरणो में जिसने जीवन वार दिया
संसार में उसका कल्याण है।
राम नवमी की शुभकामनाएं
राम जी की सवारी, निकली है सज-धज के
राम जी की लीला है बेहद न्यारी-न्यारी
श्री राम का नाम है सदा सुखदायी और हितकारी।
आप सभी को हैप्पी राम नवमी
श्री रामचन्द्र कृपालु भज मन
हरण भवभय दारुणाम
नवकंज लोचन, कंज मुख कर
कंज, पद कंजारुणम।
आपको और आपके परिवार को राम नवमी की शुभकामनाएं
गुणवान तुम बलवान तुम,
भक्तों को देते हो वरदान तुम,
भगवान तुम हनुमान तुम,
मुश्किल को कर देते आसान तुम।
Happy Ram Navami 2024
नवमी तिथि मधुमास पुनिता
शुक्ला पक्ष अभिजीत नव प्रीता
मध्य दिवस अति शीत ना गामा
पवन काल लोक विश्रामा
राम नवमी 2024 की शुभकामनाएं
राम आपके जीवन में प्रकाश लायें
राम आपके जीवन को सुंदर बनायें
मिटाएं अज्ञान का अंधकार
आपके जीवन में ज्ञान का प्रकाश आये
Happy Ram Navami 2024
श्री राम कथा के प्रत्येक प्रसंग आध्यात्मिक ऊर्जा है। भक्ति के धरातल पर पहुंच कर ही इसका अनुभव किया जा सकता है। महर्षि बाल्मीकि और तुलसी दास सामान्य कवि मात्र नहीं थे। ईश्वरीय प्रेरणा से ही इन्होंने रामकथा का गायन किया था। इसलिए इनका काव्य विलक्षण हो गया। साहित्यिक चेतना या ज्ञान से कोई यहां तक पहुंच भी नहीं सकता। रामायण व रामचरित मानस की यह दुर्लभ विशेषता है।
प्रभु बालक रूप में है,वह वनवासी रूप में है,वह राक्षसों को भी तारने वाले है। सन्त अतुल कृष्ण कहते है कि प्रभु किसी को मारते नहीं,वह तो तार देते है। भव सागर से पार उतार देते है। प्रभु ने शिशु रूप में पृथ्वी पर जन्म लिया था। इसलिए यह स्वयं में अलौकिक बेला थी। गोस्वामी जी लिखते है- जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल।
चर अरु अचर हर्षजुत राम जनम सुखमूल॥ अर्थात चर अचर सहित समस्त लोकों में सुख का संचार हुआ था। श्रीराम कथा के प्रत्येक प्रसंग आध्यात्मिक ऊर्जा है। भक्ति के धरातल पर पहुंच कर ही इसका अनुभव किया जा सकता है। महर्षि बाल्मीकि और तुलसी दास सामान्य कवि मात्र नहीं थे। ईश्वरीय प्रेरणा से ही इन्होंने रामकथा का गायन किया था। इसलिए इनका काव्य विलक्षण हो गया। साहित्यिक चेतना या ज्ञान से कोई यहां तक पहुंच भी नहीं सकता। रामायण व रामचरित मानस की यह दुर्लभ विशेषता है। प्रभु बालक रूप में है,
वह वनवासी रूप में है,वह राक्षसों को भी तारने वाले है। प्रभु किसी को मारते नहीं,वह तो तार देते है। भव सागर से पार उतार देते है। प्रभु ने शिशु रूप में पृथ्वी पर जन्म लिया था। इसलिए यह स्वयं में अलौकिक बेला थी। गोस्वामी जी लिखते है- जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल। चर अरु अचर हर्षजुत राम जनम सुखमूल॥ अर्थात चर अचर सहित समस्त लोकों में सुख का संचार हुआ था।
नौमी तिथि मधु मास पुनीता। सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥
मध्यदिवस अति सीत न घामा। पावन काल लोक बिश्रामा॥
सीतल मंद सुरभि बह बाऊ। हरषित सुर संतन मन चाऊ॥
गोस्वामी जी लिखते है- रामकथा सुन्दर कर तारी, संशय बिहग उड़व निहारी। प्रभु श्री राम ने मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में अवतार लिया था। श्री रामकथा आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करने वाली है। संत अतुल कृष्ण जी ने बताया कि यह लक्ष्य गृहस्थ जीवन में रहकर भी प्राप्त किया जा सकता है। घर में राम विवाह संबन्धी चौपाई का भी नित्य गायन करना चाहिए।जब ते राम ब्याही घर आये, नित नव मंगल मोद बधाये।
भुवन चारी दस बूधर भारी,सूकृत मेघ वर्षहिं सूखवारी।
रिद्धी सिद्धी संपति नदी सूहाई ,उमगि अव्धि अम्बूधि तहं आई।
मणिगुर पूर नर नारी सुजाती, शूचि अमोल सुंदर सब भाँति।
कही न जाई कछू इति प्रभूति ,जनू इतनी विरंची करतुती।
सब विधि सब पूरलोग सुखारी, रामचन्द्र मुखचंद्र निहारी।
अयोध्या धाम के प्रति भारत ही नहीं अनेक देशों के करोड़ों लोगों की आस्था है। गोस्वामी तुलसी दास ने इसका सुंदर उल्लेख किया है-
बंदउँ अवध पुरी अति पावनि।
सरजू सरि कलि कलुष नसावनि॥
महर्षि बाल्मीकि ने भी रामकथा पर भावपूर्ण रचना की है। रामायण के माध्यम से उन्होंने यह कथा जन जन तक पहुंचाई थी। जहां प्रभु अवतार लेते है,वह स्थल स्वतः तीर्थ बन जाता है। त्रेता युग से अयोध्या इसी रूप में प्रतिष्ठित रही। भारत के ऋषियों ने प्रकृति में भव्यता का प्रत्यक्ष अनुभव किया। उसे भव्य मानते हुए प्रणाम किया। चरक संहिता में कहा गया यथा ब्रह्माण्डे तथा पिण्डे’ अर्थात जो इस ब्रह्माण्ड में है वही सब हमारे शरीर में भी है। भौतिक संसार पंचमहाभूतों से बना है-आकाश, वायु, अग्नि,जल और पृथ्वी। उसी प्रकार हमारा हमारा यह शरीर भी इन्हीं पाँचों महाभूतों से बना हुआ है। इस प्रकार ब्रह्माण्ड और शरीर में समानता है। स्थूल व सूक्ष्म की दृष्टि से ही अंतर है। प्रकृति तथा पुरुष में समानता है। चरक संहिता में यह भी कहा गया कि-
यावन्तो हि लोके मूर्तिमन्तो भावविशेषा:।
तावन्त: पुरुषे यावन्त: पुरुषे तावन्तो लोके॥
अर्थात ब्रह्माण्ड में चेतनता है। मनुष्य भी चेतन है। पंचमहाभूतों के सभी गुण मनुष्य में हैं। प्रकृति में सन्धिकाल का विशेष महत्व है। वर्ष और दिवस में दो संधिकाल महत्वपूर्ण होते है। दिवस में सूर्योदय व सूर्यास्त के समय संधिकाल कहा जाता है। सूर्योदय के समय अंधकार विलीन होने लगता है,उसके स्थान प्रकाश आता है। सूर्यास्त के समय इसकी विपरीत स्थिति होती है। भारतीय चिंतन में इस संधिकाल में उपासना करनी चाहिए।
भारतीय शास्त्रों ने प्रकृति के संक्रमण काल में उपासना का विशेष महत्व बताया है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। नवरात्र इसके अनुकूल होती है। इस अवधि में भक्त जन मां दुर्गा सप्तशती का पाठ करते है। यदि किसी साधक से यह संभव ना हो सके तो उसका विकल्प स्वामी राम भद्राचार्य बताया। उनका कहना है कि जो पुण्य फल सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती के पाठ से मिलता है वही फल श्रीरामचरितमानस की इन पंक्तियों के भाव सहित पाठ से मिल जाता है-
जय जय जय गिरिराज किशोरी।
जय महेश मुख चंद्र चकोरी॥
जय गजबदन षडानन माता।
जगत जननि दामिनि दुति गाता॥
नहिं तव आदि मध्य अवसाना।
अमित प्रभाव बेद नहिं जाना॥।
भव भव विभव पराभव कारिनि।
बिश्व बिमोहनि स्वबश बिहारिनि॥
पतिदेवता सुतीय महँ,मातु प्रथम तव रेख।
महिमा अमित न सकहिं कहि,सहस शारदा शेष।।
सेवत तोहि सुलभ फल चारी।।बरदायनी त्रिपुरारि पियारी॥
देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे॥
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