Winter में करना चाहते हैं Baby की Care तो आजमा लें ये टिप्स, Premature है शिशु तो सर्दियों में करनी होगी विशेष केयर 

Winters premature baby tips in hindi: मालिश के बाद कुछ देर बच्चे को हल्की धूप में जरूर ले जाएं। इसके बाद साबुन रहित गुनगुने पानी से नहला दें। आज हम आपको Winter Baby Care, baby first winter care tips, tips for your baby, caring for your baby in winter, winter care tips for babies, विंटर्स बेबी केयर, सर्दियों में शिशु की देखभालकी जानकारी देंगे। मालिश के लिए इस मौसम में सरसों का तेल सबसे अच्छा होता है। इसके अलावा आप जैतून या बादाम का तेल भी चुन सकते हैं। 
 

Winters premature baby tips 2024 : सर्दियां शुरू होते ही नवजात शिशु कके पेरेंट्स यह समझ नहीं पाते किउसकी देखभाल किस तरह से की जाए कि वह स्वस्थ रहे। इसके लिए सबसे पहले कुछ बुनियादी बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। आज हम आपको baby care tips, baby care tips in winter, premature baby, care tips for premature baby, बच्चों की देखभाल, सर्दियों में बच्चों की देखभाल, समय से पहले जन्मे बच्चे, समय से पहले जन्मे बच्चे की देखभाल कैसे करें के बारे में बताएंगे। 

अचानक बदलता मौसम

ठंडी और रूखी हवा, रात में और सुबह अचानक तापमान का गिरना, दिन की तीखी धूप और अचानक हो जाने वाली बारिश। ये सब कुछ सर्दियों में हो सकता है और पिछले कुछ सालों में तो मौसम का यह बदलाव और भी तीव्र हो गया है। आजकल ज्यादातर पैरेंट्स सिंगल फैमिली के रूप में रहते हैं ऐसे में उन्हें असरदार पारंपरिक नुस्खे बताने वाला भी कोई नही होता। उसपर छोटे से बच्चे और उसकी देखभाल को लेकर पहले ही उनके मन में कई सवाल चल रहे होते हैं। ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखना मददगार साबित हो सकता है। 

कमरे का तापमान

यह ऐसी जरूरी बात है जिस पर ज्यादातर पेरेंट्स का ध्यान नहीं जाता। सर्दी के मौसम में कमरे का तापमान हमेशा 25-30 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच होना चाहिए। इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि तापमान में स्थिरता बनी रहे। अगर आप शिशु को घर के एक से दूसरे कमरे में ले जाते हैं, तो भी इस बात का ध्यान रखें कि वहां का तापमान भी एक समान रहे। उसे थोड़ी देर के लिए धूप में लेकर बैठें क्योंकि सूरज की रोशनी से मिलने वाला विटामिन डी शिशु की हड्‍डियों के विकास में सहायक होता है।

जब हो जाए बच्चा बीमार

तमाम सावधानियों के बावजूद कई बार बच्चे पर मौसम का असर हो सकता है या किसी और से बच्चे तक संक्रमण आ सकता है। ऐसे में सर्दी-जुकाम होने पर भी बच्चे को पर्याप्त मात्रा में लिक्विड देते रहें। इसके लिए डॉक्टर की सलाह लें। माँ का दूध इस समय भी जारी रखा जा सकता है। छह महीने के बच्चे को तो आप दाल का पानी या मैश किये हुए फल आदि भी दे सकते हैं। अगर कोई फॉर्म्युला यूज़ कर रहे हैं तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें। 

धूप में रखना

धूप से बच्चे को विटामिन डी मिलता है, जो उसके विकास के लिए आवश्यक है. इसलिए, बच्चे को धूप में रखें. लेकिन ध्यान रखें कि बच्चे को सीधे धूप में न रखें. बच्चे को धूप में रखने के लिए आप निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं। बच्चे को सुबह या शाम को धूप में रखें. बच्चे को एक छाता या छतरी के नीचे रखें. बच्चे को सूरज से बचाने के लिए क्रीम या लोशन लगाएं। 

मालिश हो सही

अब तक किए गए रिसर्च से यह साबित हो चुका है कि मालिश शिशु की मांसपेशियों और हड्डियों के विकास में मददगार साबित होता है। इसके लिए आप अपनी पसंद के अनुसार ऑलिव या नारियल के तेल का चुनाव कर सकते हैं। सरसों के तेल भी बुरा नहीं होता, लेकिन इसकी कड़वाहट की वजह से शिशु की आंखों में जलन होती है। मालिश के बाद शिशु को बंद कमरे में हल्के गुनगुने पानी से नहलाएं और उसे ज्यादा देर तक बिना कपड़ों के खुला न छोड़ें। इससे उसे सर्दी लग सकती है। चाहे कितनी भी ठंड हो, उसे रोजाना नहलाएं। बेहतर यही होता है कि शिशु को नहलाते समय अफने पास मदद के लिए कोई एक और व्यक्ति मौजूद हो। उस दौरान इस बात का भी ध्यान रखें कि उसकी नाक-कान में पानी न जाए। इस मौसम में बच्चों को अकसर बंद नाक की समस्या होती है, जिससे बचाव के लिए डॉक्टर की सलाह पर नेज़ल ड्रॉप का इस्तेमाल करें।

कैसे करें कपड़े का चुनाव

हमेशा ध्यान रखें कि ऊनी कपड़े सीधे बच्चे की स्किन से टच नहों, इससे उसे एलर्जी हो सकती हैं। त्वचा को रूखेपन से बचाने के लिए नहलाने के बाद उसे बेबी मॉयस्चराइजर लगाएं। फिर सूती कपड़े पहनने के बाद उसके ऊपर से स्वेटर पहनाएं। उसे टोपी पहनाते समय भी इसी बात का ध्यान रखें। कुछ लोग बच्चे को एक साथ कई कपड़े पहना देते हैं ऐसा न करें। इससे उसे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। रात को सोते समय ब्चेच को अपने कंबल या रजाई में न लिटाएं। यह सुरक्षित नहीं होता। बेहतर यही होगा कि अपने बेड पर छोटा गद्दा बिछाकर उसके सोने के लिए अलग एरिया तैयार करें। उसे छोटे मुलायम कंबल में लपेट कर रखें। ध्यान रहे उसका चेहरा हमेशा खुला रहे।

बच्चे को होने वाली समस्याएं

ठंड के मौसम में केवल सर्दी-जुकाम ही नहीं है जो बच्चों को परेशान कर सकता है। इसके अलावा बुखार, उल्टी, दस्त, स्किन इंफेक्शन या रैशेज और फुंसियां, पेट दर्द, ड्राय कफ, डिहाइड्रेशन, निमोनिया, वायरल इंफेक्शन और कुछ मामलों में सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम के शिकार भी बच्चे हो सकते हैं। सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम की स्थिति जरूरत से ज्यादा कपड़े में बच्चे को लाद देने से हो सकती है। इसके अलावा शरीर के टेम्परेचर का एकदम घट जाना यानी हाइपोथर्मिया की स्थिति भी बन सकती है। कई बार बहुत तेज धूप बच्चे को सूरज की हानिकारक किरणों से होने वाले नुकसान भी दे सकती है। इसके अलावा घर में गर्मी के लिए अपनाए गए आर्टिफिशियल साधन जैसे हीटर या सिगड़ी आदि के ज्यादा उपयोग से भी तकलीफ हो सकती है। 

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