PM Narendra Modi Birthday: 70 साल बाद देश में कल चीतों की हो रही वापसी, जानिए इनके बारे में
MP News: भारत में जंगल के राजा शेर, बाघ और तेंदुआ पाया जाता है। लगभग 70 साल बाद देश में एक बार फिर से चीतों की वापसी हो रही है। लंबे समय बाद भारत में चीतों की झलक भी देखने को मिलेगी। भारत में साल 1947 में आखिरी बार किसी चीते को देखा गया था। इसके बाद भारत सरकार ने साल 1952 में भारत में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया था लेकिन अब लंबे समय बाद भारत में शेर, बाघ, चीता और तेंदुए मौजूद होंगे। ये चारों ही जानवर बहुत शक्तिशाली होते हैं। तो आइए आज के लेख में जानेंगे कि इन चारों जानवरों के बीच क्या अंतर है। चीता कैसे काम करता है।
क्या खासियत है चीते की?
बिल्ली के कुल (विडाल) में आने वाला चीता (एसीनोनिक्स जुबेटस) अपनी अदभुत फूर्ती और रफ्तार के लिए पहचाना जाता है। यह एसीनोनिक्स प्रजाति के अंतर्गत रहने वाला एकमात्र जीवित सदस्य है, जो कि अपने पंजों की बनावट के रूपांतरण के कारण पहचाने जाते हैं। इसी कारण यह इकलौता विडाल वंशी है जिसके पंजे बंद नहीं होते हैं और जिसकी वजह से इसकी पकड़ कमजोर रहती है। (अत: वृक्षों में नहीं चढ़ सकता है हालांकि अपनी फुर्ती के कारण नीची टहनियों में चला जाता है)।
जमीन पर रहने वाला ये सबसे तेज जानवर है जो एक छोटी सी छलांग में 120 किलोमीटर प्रति घंटे तक की गति प्राप्त कर लेता है और 460 मीटर तक की दूरी तय कर सकता है और मात्र तीन सेकेंड के अंदर ये अपनी रफ्तार में 96 किलोमीटर प्रति घंटे का इजाफा कर लेता है, जो अधिकांश सुपर कार की रफ्तार से भी तेज है। अध्ययन से ये साबित हो चुका है कि धरती पर रहने वाला चीता सबसे तेज जानवर है।
बड़ा दिल: चीते का दिल शेर के मुकाबले साढ़े तीन गुना बड़ा होता है। यही वजह है कि दौड़ते समय इसे भरपूर आॅक्सीजन मिलता है। यह तेजी से पूरे शरीर में ब्लड को पंप करता है और इसकी मांसपेशियों तक आॅक्सीजन पहुंचाता है। इसकी नाक भी बड़ी होती है, जिससे ये लंबी सांस भर पाता है।
छोटा सिर, वजन कम:चीते का सिर बाघ, शेर, तेंदुए और जगुआर की तुलना में काफी छोटा होता है। इससे तेज रफ्तार के दौरान उसके सिर से टकराने वाली हवा का प्रतिरोध काफी कम हो जाता है। चीते की खोपड़ी पतली हड्डियों से बनी होता है। इससे उसके सिर का वजन भी कम हो जाता है। हवा के रेजिस्टेंस को कम करने के लिए चीते के कान बहुत छोटे होते हैं। टॉप स्पीड के साथ दौड़ते चीते की मांसपेशियां और उनसे गुजरने वाले खून का तापमान तेजी से बढ़ जाता है। छोटे सिर और कान की वजह से ब्रेन से गुजरने वाले गर्म खून को ठंडा होने की जगह नहीं मिलती है।
दूर से शिकार की पहचान करने वाली आंख: चीते की आंख सीधी दिशा में होती है। इसकी वजह से वह कई मील दूर तक आसानी से देख सकता है। इससे चीते को अंदाजा हो जाता है कि उसका शिकार कितनी दूरी पर है। इसकी आंखों में इमेज स्टेबिलाइजेशन सिस्टम होता है। इसकी वजह से वह तेज रफ्तार में दौड़ते समय भी अपने शिकार पर फोकस बनाए रखता है।
बड़े नथुने और बड़ी श्वास नली: 100-120 किलोमीटर/घंटे की टॉप स्पीड से दौड़ने के लिए चीते की मांसपेशियों को बहुत ज्यादा आक्सीजन की जरूरत होती है। इस आक्सीजन की सप्लाई को बरकरार रखने के लिए चीते के नथुनों के साथ श्वास नली भी मोटी होती है, ताकि वह कम बार सांस लेकर ज्यादा आक्सीजन शरीर में पहुंचा सके। इस चक्कर में कई बार शिकार हाथ से निकल जाता है। चीते की छोटी खोपड़ी में बड़े नथुनों को जगह देने के लिए उसके चारों बड़े के कोने में मौजूद नुकीले दांत छोटे होते हैं। जबड़े की मांसपेशियां कमजोर होती है। इस वजह से अक्सर शिकार पकड़ में आने के बावजूद छूट जाता है।
लंबी और लचीली रीढ़: चीते की रीढ़ की हड्डी इतनी लंबी और लचीली होती है कि दौड़ते समय उसके पिछले पैर अगले पैर से आगे तक आ सकते हैं। यानी ये बाघ, शेर, तेंदुए और जगुआर के मुकाबले लंबी होती है। इसकी वजह से टॉप स्पीड पर चीता 23 फीट यानी करीब 7 मीटर लंबी छलांग लगाता है। तेज रफ्तार के लिए लचीली लंबी रीढ़ के साथ हल्का वजन भी चाहिए। हल्के वजन वाला अकेला शिकारी होने की वजह से चीता बड़े जानवर का शिकार नहीं कर पाता और उसे बार-बार शिकार करना पड़ता है।
घुमावदार और पूंछ लंबी: इसके पंजे घुमावदार और ग्रिप वाले होते हैं। दौड़ते समय चीता पंजे की मदद से जमीन पर ग्रिप बनाता है और आगे की ओर आसानी से जंप कर पाता है। इतना ही नहीं अपने पंजे की वजह से ही वो शिकार को कसकर जकड़े रख पाता है। चीते की पूंछ 31 इंच यानी 80 सेंटीमीटर तक लंबी होती है। यह चीते के लिए रडर का काम करती है। अचानक मुड़ने पर बैलेंस बनाने के काम आती है।
एक मिनट में शिकार का काम तमाम: चीता अपने शिकार का पीछा अक्सर 200-230 फीट यानी 60-70 मीटर के दायरे में ही करता है। वो शिकार के करीब आने के इंतजार में छिपा होता है। इसके लिए वो अपने ब्लैक स्पॉट का सहारा लेता है। जहां छुपने की जगह नहीं होती, तो वहां चीता 220 मीटर के दायरे में आते ही शिकार पर हमला कर देता है। चीता अपने शिकार का पीछा आमतौर पर एक मिनट तक करता है। यदि इस दौरान वो उसे नहीं मार पाता तो उसका पीछा करना छोड़ देता है। वो अपने पंजे का इस्तेमाल कर शिकार की पूंछ पकड़कर लटक जाता है। या तो पंजे के जरिए शिकार की हड्डिया तोड़ देता है। अपने शिकार को पकड़ने के बाद चीता तकरीबन 5 मिनट तक उसकी गर्दन को काटता है ताकि वो मर जाए। हालांकि छोटे शिकार पहली बार में ही मर जाते हैं।
चीता की स्पीड
अधिकतम स्पीड : 120 किमी/घंटा (वैज्ञानिक अनुमान)। टॉप स्पीड पर चीता 23 फीट यानी करीब 7 मीटर लंबी छलांग लगाता है। चीता हर एक सेकेंड में ऐसी 4 छलांग लगाते हुए दौड़ता है।
रिकॉर्ड की गई अधिकतम रफ्तार : 98 किमी/घंटा। यह स्पीड ओहिया के सिनसिनाती जू में 2012 में फीमेल चीता सारा ने हासिल की थी। 2016 में 15 साल की उम्र में सारा मौत हो गई थी।
अधिकतम रफ्तार कितनी देर तक: चीते की रिकॉर्ड रफ्तार अधिकतम 1 मिनट के लिए रह सकती है। यह अपनी फुल स्पीड से सिर्फ 450 मीटर दूर तक ही दौड़ सकता है।
एक्सलेरेशन : चीता 3 सेकेंड में 96 किमी/घंटे की रफ्तार पकड़ सकता है। जैसे फोर्ड-जीटी की सुपरकार रफ्तार पकड़ती है।
डिएक्सलेरेशन : चीता सिर्फ 3 सेकेंड में ही अपनी रफ्तार 96 किमी/घंटे से घटाकर 23 किमी/घंटे की रफ्तार पर कर सकता है।
शिकार : चीते के पास शिकार के लिए 1 मिनट ही होता है। यानी इस दौरान ही उसे अपना शिकार कर लेना होता है।
क्या अंतर है चीता और इन जानवरों में
चीता: चीते स्पीड के मामले में ये कुछ ही सेकेंड्स में प्रति घंटा की रफ्तार हासिल कर लेते हैं लेकिन ये ज्यादा लंबा नहीं दौड़ सकते। शेर और बाघ के मुकाबले चीते बहुत पतले होते हैं। चीतों के चेहरे पर काली धारियां होती हैं जो उनकी आंखों के भीतरी कोनों से नीचे मुंह के कोनों तक जाती हैं। चीते आमतौर पर दिन के दौरान शिकार करते हैं जब शेर बहुत सक्रिय नहीं होते हैं। चीता बिग कैट फैमिली का अकेला ऐसा सदस्य है जो दहाड़ नहीं सकता।
शेर: सबसे पहले बात जंगल के राजा शेर की। इन चारों जानवरों में शेर को पहचानना काफी आसान है। शेर की गर्दन और चेहरे पर काफी सारे बाल होते हैं। शेर आलसी किस्म के होते हैं। इनकी लंबाई तकरीबन 7 फीट होती है। बिग कैट फैमिली में शेर एकमात्र ऐसे जानवर हैं जो जो एक साथ मिलकर शिकार करते हैं और एक साथ मिलकर भोजन की तलाश करते हैं।
बाघ: कैट फैमिली में टाइगर साइज में सबसे बड़ा होता है। बाघ को इसके शरीर पर दिखाई देने वाली धारियों की वजह से पहचानना काफी आसान है। बाघ शेरों की तुलना में लंबे, अधिक मस्कुलर और आमतौर पर वजन में भारी होते हैं। बाघों के पैर मजबूत होते हैं और ये शेरों की तुलना में बहुत ज्यादा एक्टिव और फुतीर्ले होते हैं। ये अक्सर अकेले ही शिकार करना पसंद करते हैं। बाघ तैरने में भी सक्षम होते हैं। बाघ दक्षिण पूर्व एशिया, चीन और भारत में पाए जाते हैं।
तेंदुआ: भारत के कई इलाकों में तेंदुए पाए जाते हैं। ये देखने में कुछ-कुछ चीते जैसे लगते हैं लेकिन दोनों जानवरों में काफी अंतर होता है। चीते के शरीर गोल धब्बे होते हैं, जबकि तेंदुए के शरीर पर रोसेट-शैली के निशान होते हैं। तेंदुआ, चीते के मुकाबले ज्यादा बड़ा और अधिक मस्कुलर होता है। यह हिरन जैसे जानवर का शिकार करने के बाद उसे पेड़ पर ऊपर ले जाने की ताकत रखता है। चीते के मुकाबले तेंदुओं का सिर बड़ा और लम्बा होता है। तेंदुए गुरार्ते हैं, खरार्टे लेते हैं, फुफकारते हैं और कभी-कभी दहाड़ते हैं।
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