Ram Mandir Ayodhya : अपने शहर से अयोध्या कैसे पहुंचे, जानें ट्रेन और फ्लाइट से कितना टाइम लगेगा 

Ayodhya station to Ayodhya Ram Mandir Distance: अयोध्या पहुंचने के लिए आप ट्रेन, हवाई जहाज के साथ साथ आप सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं। आइए जानते हैं राम मंदिर पहुचने का सुगम मार्ग। 
 

Haryana News Post, (नई दिल्ली) How to reach ayodhya by train : लखनऊ हवाई अड्डा शहर से 150 किमी पश्चिम में है। हवाई अड्डा नियमित उड़ानों द्वारा दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, जयपुर और मुंबई से अच्छी तरह से कनेक्टेड है।

अयोध्या पहुंचने के लिए हवाई अड्डे से टैक्सियां या जीप ले सकते हैं। अयोध्या रेलवे स्टेशन उत्तर भारत का एक महत्वपूर्ण जंक्शन है।

यह दिल्ली, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर और गोंडा से अच्छी तरह से कनेक्टेड है। रेलवे स्टेशन शहर के केंद्र से दो किमी से भी कम दूरी पर स्थित है।

उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों की सेवाएं 24 घंटे उपलब्ध हैं, और सभी जगहों से यहां पहुंचना बेहद आसान भी है। शहर लगभग 130 कि.मी. दूर है।

लखनऊ से 200 कि.मी. वाराणसी से 160 कि.मी. प्रयागराज से, 140 कि.मी. गोरखपुर से और लगभग 636 कि.मी. दिल्ली से। लखनऊ, दिल्ली और गोरखपुर से बसें अक्सर अयोध्या के लिए उपलब्ध रहती हैं।

कब से कर सकेंगे राम मंदिर के दर्शन

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य के अनुसार भगवान श्री राम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यानी 23 जनवरी से ना केवल देश से बल्कि विदेशों से भी लोग अयोध्या आकर भगवान राम के दर्शन कर सकते हैं।

दर्शन के लिए सुबह का समय 7 बजे से 11 बजकर 30 मिनट रखा गया है। प्रथम बेला के दर्शन के बाद दोपहर 2 बजे से शाम 7 बजे तक दर्शन का समय तय हुआ है।

इस समय आप बिना किसी रोक टोक के दर्शन कर सकते हैं। हालांकि समय में बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं। तो जाने से पहले एक बार जरूर जानकारी ले लें।

अयोध्या राम मंदिर की खासियत

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य जोरों-शोरों पर है, जहां 22 जनवरी के दिन भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर चर्चाएं चल रही है, वैसे ही मंदिर के निर्माण पर भी लोगों की नजरें टिकी हुई हैं।

हर कोई एक बार राम भगवान को पास से देखना चाहता है। बता दें, प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम खत्म होते ही आम आदमी अगले दिन से मंदिर के दर्शन कर सकता है।

और अगर बात करें निर्माण कार्य की, तो क्या आप जानते हैं मंदिर को 6.5 की तीव्रता वाले भूकंप के साथ बनाया गया है? मतलब ये इमारत भकूंप के इतने झटके को भी झेल सकती है।

वहीं, मंदिर 1000 हजार साल तक भी टिका रह सकता है वो भी ज्यों का त्यों! आप भी चौक गए होंगे लेकिन ये सच है। चलिए आपको निर्माण कार्य से जुड़ी थोड़ी और जानकारी देते हैं।

कैसा है मंदिर निर्माण

मंदिर के पिलर की मोटाई बढ़ाई गई है और दीवारों पर भारी पत्थर भी लगाए है। मंदिर की नींव को भारी पत्थरों से मजबूत बनाया गया है।

वहीं मंदिर को ऊपर से नीचे एक ऐसी मजबूती दी गई है, जिससे ये भूकंप के झटकों को भी झेल सके। इससे मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।

मंदिर में पूरे 17 हजार ग्रेनाइट स्टोन्स का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिनमें से हर एक का वजन 2 टन है। वहीं प्लिंथ बनाने के लिए मिर्जापुर से 4 लाख क्यूबिक फीट गुलाबी पत्थर लाए गए हैं।

इसके अलावा राजस्थान के बांसी पहाड़पुर से लाए गए एक लाख क्यूबिक फीट संगमरमर का भी इस्तेमाल किया गया है।

वहीं यहां की कला को उभारने के लिए केरल और राजस्थान के कलाकर 4500 मूर्तियां बना रहे हैं।

मंदिर को इस तरह बनाया गया है कि यहां आने वाला व्यक्ति खुद को त्रेतायुग में पाएगा।

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