Rajasthan political crisis: गहलोत ने क्‍यों मांगी माफी, जानिए इसके पीछे के कारण

राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलाेत ने सोनिया गांधी से क्‍यों और किसलिए माफी मांगी। इसके पीछे के क्‍या कारण रहे। क्‍या उन्‍हें अपनी कुर्सी जाने का खतरा लग रहा था। क्‍या कांग्रेस पार्टी उनकी माफी से खुशी होकर उन्‍हें दोबारा कांग्रेस अध्‍यक्ष पद के चुनाव के लिए मौका दे सकती है। जानने के लिए पढ़‍िए ये खास एक्‍सक्‍लूसिव रिपोर्ट।
 

जयुपर न्‍यूज। Rajasthan politics: राजस्थान के मुखयमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांग दूसरे नेताओं के लिए बड़ा उदाहरण पेश किया। राजनीति के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी नेता ने किसी मामले को अपने ऊपर ले माफी मांगी हो। साथ ही उन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से इंकार कर कई दिनों से बने सस्पेंस को भी खत्म किया। दूसरा मुख्य्मंत्री पद को लेकर भी उन्होंने साफ कर दिया कि इसका फैसला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी। 

इस वजह से गरमाई राजनीति

एक तरह से जिस पद को लेकर राजस्थान की राजनीति गरमाई उन्होंने उस पर भी बड़ा दिल दिखाया। अब कांग्रेस अध्यक्ष एक दो दिन में स्थिति साफ करेंगी। गहलोत का अध्यक्ष पद से चुनाव लड़ने से इंकार करने के बाद अब शुक्रवार को ही तय होगा कि पार्टी किस के नाम पर मोहर लगाती है। क्या सोनिया गांधी फिर से पर्चा दाखिल करेंगी। हालांकी चुनाव लड़ने की घोषणा दिग्वजय सिंह और शशि थरूर ने भी की है।लेकिन नामंकन के अंतिम दिन ही साफ होगा कि असल ऐसा क्या होने जा रहा है।

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पायलट का क्‍यों हो रहा विरोध

गहलोत गांधी परिवार की पहली पंसद थे। उन्होंने कहा भी था कि वह चुनाव लड़ेंगे। लेकिन गत रविवार को राजस्थान कांग्रेस के इतिहास में ऐसी घटना हुई जिसके बाद उन्होंने अपनी तरफ से पर्चा भरने से इंकार कर दिया। लेकिन पार्टी की तरफ से उनको लेकर अभी कोई टिप्पणी नहीं की गई है। मतलब पार्टी अगर चाहेगी तो उनको पर्चा भरने के लिए कह सकती है। लेकिन असल मामला राजस्थान का है। राजस्थान के विधायकों के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। रविवार को 90 से अधिक विधायकों ने आलाकमान के एक लाइन के प्रस्ताव का खुल कर विरोध कर नया इतिहास रचा। इन विधायकों को आशंका थी कि आलाकमान दो साल पहले सरकार गिराने की कोशिश कर चुके सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने जा रही है। इसलिए इन विधायकों ने आलाकमान के फैसले का विरोध किया और अभी भी विरोध कर रहे हैं।

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राजस्थान का फैसला आसान नहीं

किसी राजनीतिक दल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि आलाकमान के फैसले का इस तरह विरोध किया गया। कई विधायक अभी भी यही दोहरा रहे है कि सरकार गिराने वालो में से किसी को मुख्यमंत्री बनाया गया तो वह मध्यावधि चुनाव में जाने को तैयार हैं। ऐसे में आलाकमान के लिए राजस्थान का फैसला बहुत आसान नहीं रह गया। संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने आज कहा है कि एक दो दिन में राजस्थान को लेकर स्थिति साफ हो जाएगी। अब यही देखना होगा कि राजस्थान को लेकर सोनिया गांधी क्या फैसला करती है।

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