जानिए क्या है ESI Scheme, फ्री इलाज और पेंशन की सुविधा के लिए ये करना होगा
समाज के हर वर्ग के लिए सरकार ने कई तरह की सुविधाएं दे रखी हैं, जो फायदेमंद हैं। इन्हीं में एक है ईएसआई यानी कर्मचारी राज्य बीमा योजना। दरअसल, कम आय वाले कर्मचारियों के स्वास्थ्य लाभ के लिए केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने इस बीमा योजना को उपलब्ध करवाया है। हालांकि इस योजना के तहत आने वाले अस्पतालों का संचालन राज्य सरकारों की ओर से किया जाता है। निजी कंपनियों, फैक्ट्रियों और कारखानों में काम करने वाले कर्मचारियों को इसका फायदा मिलता है। इस योजना में पंजीकृत होने वाले कर्मचारियों को एक कार्ड दिया जाता है, जिसे ईएसआई कार्ड कहते हैं। तो चलिए जानते हैं ईएसआई के बारे सारी जानकारी।
ईएसआई के दायरे में कौन-कौन आता है?
ईएसआई स्कीम के संचालन की जिम्मेदारी कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) की है। कर्मचारी राज्य बीमा स्कीम के दायरे में 10 या 10 से ज्यादा कर्मचारियों वाले कंपनी और प्रतिष्ठान आते हैं। ईएसआई स्कीम के लिए कर्मचारी का रजिस्ट्रेशन नियोक्ता की तरफ से होता है। इसके लिए कर्मचारी को परिवार के सदस्यों की जानकारी देनी होती है। नॉमिनी भी कर्मचारी को तय करना होता है।
सैलरी की मैक्सिमम लिमिट क्या होनी चाहिए?
ईएसआई का लाभ उन कर्मचारियों को उपलब्ध है, जिनकी मासिक आय 21 हजार रुपये या इससे कम है। ईएसआई लाभ प्राप्त करने के लिए शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए न्यूनतम मजदूरी सीमा 25000 रुपये महीना है। अक्षम कर्मचारी के कवरेज के लिए मैक्सिमम वेज सीमा नहीं है। ईएसआई स्कीम से जुड़े एफएक्यू के मुताबिक, अगर कर्मचारी का वेतन कॉन्ट्रीब्यूशन पीरियड शुरू होने के बाद 21000 रुपये प्रतिमाह की सीलिंग को क्रॉस कर जाता है तो भी वह कॉन्ट्रीब्यूशन पीरियड के खत्म होने तक ईएसआई के दायरे में आने वाला कर्मचारी रहेगा। ऐसे में उसका कॉन्ट्रीब्यूशन डिडक्ट होगा और कुल वेतन पर भुगतान होगा।
ईएसआई स्कीम में किसका योगदान रहता है?
ईएसआई स्कीम में कर्मचारी और नियोक्ता, दोनों की ओर से योगदान रहता है। नियोक्ता के अंशदान का भुगतान केंद्र सरकार की ओर से तीन वर्षों के लिए किया जाता है। जिन कर्मचारियों का प्रतिदिन औसत वेतन 137 रुपये है, उन्हें इसमें अपना योगदान देना नहीं होता। मौजूदा समय में ईएसआई स्कीम में कर्मचारी की ओर से सैलरी का 1.75 फीसदी योगदान होता है। नियोक्ता की ओर से योगदान की दर, कर्मचारी की सैलरी के 4.75 फीसदी के बराबर है।
ईएसआई के फायदे क्या?
मातृत्व लाभ: मातृत्व छुट्टी के दौरान डिलीवरी के मामले में 12 सप्ताह तक, गर्भपात के मामले में 26 सप्ताह तक दैनिक वेतन का 100 फीसदी नकद भुगतान किया जाता है। गर्भधारण, प्रसूति, समयपूर्व जन्म के कारण होने वाली बीमारी के मामले में एक माह से अधिक के लिए भुगतान किया जाता है। डिलीवरी के दौरान महिला की मृत्यु होने पर नॉमिनी को मैटरनिटी बेनिफिट मिलता है। ईएसआई के तहत मैटरनिटी बेनिफिट का लाभ लेने के लिए शर्त है कि बीमित महिला की ओर से पूर्ववर्ती वर्ष में 70 दिनों का अंशदान किया गया हो।
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आश्रितजन लाभ: यदि किसी बीमित व्यक्ति की रोजगार के दौरान मौत हो जाती है तो ईएसआईसी उसके आश्रितों को नियत अनुपात में मासिक पेंशन का भुगतान करता है। हितलाभ का भुगतान बीमित व्यक्ति की मृत्यु के अधिकतम तीन महीने के भीतर उसके आश्रितजनों को होना शुरू हो जाता है। उसके बाद नियमित रूप से मासिक आधार पर भुगतान किया जाता है। पेंशन को 3 भागों में बांटा जाता है-पहला बीमित व्यक्ति की पत्नी को पेंशन; दूसरा बीमित के बच्चों को पेंशन और तीसरा बीमित व्यक्ति के माता-पिता को पेंशन। आश्रितों को मासिक भुगतान के रूप में कर्मचारी की दैनिक मजदूरी का 90 फीसदी दिया जाता है।
चिकित्सा लाभ: ईएसआई में बीमित व्यक्ति और उस पर आश्रित पारिवारिक सदस्यों को बीमा योग्य रोजगार में आने के दिन से चिकित्सा लाभ मिलता है। चिकित्सा हितलाभ उपलब्ध कराने का दायित्व राज्य सरकार का है। बीमाकृत व्यक्ति और उसके परिजनों के उपचार पर व्यय की कोई अधिकतम सीमा नहीं है। सेवा निवृत्त और स्थायी अपंग बीमाकृत व्यक्तियों और उसके पति/पत्नी को 120 रुपये के सांकेतिक वार्षिक प्रीमियम पर चिकित्सा देखरेख प्रदान की जाती है ।
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अपंगता हितलाभ: अस्थायी अपंगता हितलाभ तब मिलता है, जब कर्मचारी रोजगार के दौरान चोट या व्यावसायिक चोट से ग्रसित हो जाता है और काम करने में असमर्थ होता है। यह हितलाभ औसत दैनिक मजदूरी के 90 फीसदी की दर से तब तक अदा किया जाता है जब तक अपंगता रहती है। इस हितलाभ की कोई सीमा निर्धारित नहीं है।
बीमारी लाभ: बीमित इंसान बीमारी के दौरान होने वाली छुट्टी के लिए एक साल में अधिकतम 91 दिनों के लिए, मजदूरी के 70 फीसदी की दर से नकद भुगतान किया जाता है। इस हितलाभ का भुगतान बीमारी प्रमाणीकरण से 7 दिन के भीतर हितलाभ मानक दर पर किया जाता है। बीमारी हितलाभ की पात्रता के लिए बीमाकृत कामगार से अपेक्षा की जाती है कि 6 महीनों की अंशदान अवधि में 78 दिनों के लिए अंशदान दें। इसके अलावा 34 घातक और दीर्घकालीन बीमारियों के मामले में मजदूरी के 80 फीसदी की बढ़ी दर से कर्मचारी को हितलाभ 2 वर्षों तक विस्तारित किया जा सकता है।
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बेरोजगारी भत्ता: यदि कोई बीमित व्यक्ति अनैच्छिक हानि या फिर रोजगार से अलग चोट लगने के कारण स्थायी रूप से डिसेबल हो जाता है तो उसे 24 माह की अवधि तक नकद मासिक भत्ता मिलता है।
वृद्धावस्था चिकित्सा लाभ: सेवा पूरी करने के बाद रिटायर हो चुके बीमित व्यक्ति, रिटायरमेंट की उम्र से पहले स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेने वालों और किसी स्थायी अपंगता के चलते नौकरी छोड़ने वालों को और इन लोगों की पत्नी को 120 रुपये सालाना का वृद्धावस्था चिकित्सा लाभ मिलता है।
शारीरिक पुनर्वास: रोजगार के दौरान चोट लगने के कारण शारीरिक निःशक्तता की स्थिति में बीमित व्यक्ति जब तक कृत्रिम अंग केंद्र में भर्ती रहता है, उसे अस्थायी निःशक्तता हितलाभ की दर से भुगतान किया जाता है।
प्रसूति व्यय: जिन मामलों में गर्भवती बीमित महिला या बीमित व्यक्ति की पत्नी को ईएसआई अस्पतालों में जरूरी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाती हैं, उनको बाहरी अस्पतालों में उपचार कराने के लिए एक निश्चित नकद भुगतान मिलता है।
अंत्येष्टि व्यय: ईएसआईसी की ओर से बीमित व्यक्ति की मृत्यु होने की स्थिति में उसकी अंत्येष्टि के लिए मूल व्यय या अधिकतम 10 हजार रुपये का नकद भुगतान किया जाता है।
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