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Aakhir Palaayan Kab Tak Review: हिंदुओं के साथ हुए अत्‍याचार की सच्ची तस्‍वीर पेश करती फ‍िल्‍म

Aakhir Palaayan Kab Tak Review: हिंदुओं के साथ हुए अत्‍याचार की सच्ची तस्‍वीर पेश करती फ‍िल्‍म
Aakhir palaayan kab tak teaser: आखिरकार भारत में ही हिंदुओं के साथ अत्‍याचार क्‍यों हो रहे हैं। नई मूवी आखिर पलायन कब तक में ऐसा ही दिखाया गया है कि कैसे हिंदुओं की जमीनों पर कब्‍जे हो रहे हैं। आइए जानते हैं क्‍या है इस फ‍िल्‍म में।

नई दिल्‍ली, Aakhir palaayan kab tak movie: लेखक-निर्देशक मुकुल विक्रम की फिल्म 'आखिर पलायन कब तक' एक संवेदनशील और ज्वलनशील मुद्दे पर बनी फिल्म है। लेकिन फिल्म की कमजोर पटकथा ने पूरा खेल बिगाड़ दिया। इंटरवल से पहले फिल्म की कहानी छोटे परदे के सीरियल क्राइम पेट्रोल के तर्ज पर चलती है।

डर के पलायर कर रहे हिंदू

मुस्लिम बहुल इलाके से हिन्दू समुदाय के लोग डर कर अपना घर द्वार छोड़कर पालयन कर रहे हैं, लेकिन  पलायन की असल वजह और मजबूरी को वह पर्दे पर पेश नहीं कर पाए।

हां, वक्फ बोर्ड की नीतियों का दुरुपयोग कैसे होता है? इसे देखना दर्शकों के लिए आंखें खोल देने जैसा है।

देश की बहुत बड़ी समस्‍या

देश में मुस्लिम के तमाम बहुल इलाकों से हिंदुओं का पलायन धीरे धीरे बड़ी समस्या बन रही है। कई जगहों पर हिंदुओं की जमीन पर कब्जा करके उनको पलायन पर मजबूर करने की खबरें भी आती रहती हैं। लेखक-निर्देशक मुकुल विक्रम की फिल्म 'आखिर पलायन कब तक' इसी संवेदनशील मुद्दे पर आधारित है। यह फिल्म इस बात पर भी जोर देती है कि अगर हिंदू बहुल इलाकों में एक मुस्लिम परिवार रह सकता है, तो मुस्लिम बहुल इलाकों से हिंदू परिवार सुरक्षित क्यों नहीं रह सकता?

आखिर पलायन कब तक की कहानी

फिल्म की कहानी की शुरुआत एक सिर कटी मिली लाश से होती है। पुलिस को जब इसकी सूचना मिलती है, तो इंस्पेक्टर सूरज शर्मा और उसकी टीम हवलदार अकरम और राजेश नेगी के साथ घटनास्थल पर पहुंचते हैं। और, इस पूरे मामले की छानबीन करते हैं।  उन्हें पता चलता है कि पास में ही रहने वाले दुकानदार सुनील बिष्ट का पूरा परिवार लापता है। पुलिस की छानबीन जारी रहती है तभी एक और लाश मिलने की खबर मिलती है।

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इंस्पेक्टर सूरज शर्मा अपनी टीम के साथ जब घटना स्थल पर पहुंचते हैं तो देखते हैं कि मंदिर के पुजारी बेहोश हैं, जिन्हें लोग मृत समझ रहे थे। पुजारी के होश में आने के बाद इंस्पेक्टर सूरज को एक विशेष धर्म द्वारा फैलाये षडयंत्र के बारे में परत दर परत जानकारियां मिलती हैं।

उसी इलाके का रसूखदार बदरुद्दीन कुरैशी कहीं ना कहीं इस घटना के पीछे मजबूत ढाल बनकर खड़ा है। आगे की कहानी सिर कटी लाश और सुनील बिष्ट के लापता परिवार की खोज के इर्द -गिर्द घूमती है, इस केस में स्थानीय पत्रकार मुकेश यादव पुलिस की काफी मदद करता है।

कौन-कौन हैं फ‍िल्‍म में

फिल्म की निर्माता सोहनी कुमारी ने फिल्म में सुनील बिष्ट की बेटी की भूमिका निभाई है। कलाकारों के चयन में उन्हें थोड़ी और मेहनत करनी चाहिए थी। अभिनेता राजेश शर्मा ने फिल्म में सुनील बिष्ट की भूमिका निभाई है। इंटरवल से पहले उनकी एक्टिंग देखकर ऐसा लगता है कि जल्दी से इस फिल्म की शूटिंग किसी तरह से निपटाकर दूसरी फिल्म की  शूटिंग पर निकलना है।

हालांकि, इंटरवल के बाद उनके अभिनय में जो भावनात्मक पहलू उभर कर आया वह निश्चित रूप से काबिले तारीफ है। फिल्म के बाकी कलाकार नौसिखिए नजर आते हैं। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी, एडिटिंग और म्यूजिक भी सामान्य से कमतर ही है। 

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