जिस IPL के आप हैं शौकीन, जानिए कहां से आता है खिलाड़ियों को खरीदने के लिए रुपया

IPL Team Eearing: आईपीएल के 16वें सीजन में एक से बढ़कर एक रोमांचक मुकाबले खेले जा रहे हैं। आईपीएल 2023 में 10 टीमों अपना हुनर दिखा रही हैं। खिलाड़ियों की नीलामी में जमकर रुपया बरसाया गया है।
यहां से हुई आईपीएल की शुरूआत
2008 में जब आईपीएल शुरू हुआ तो भारतीय बिजनेस मैन और बॉलीवुड के कुछ बड़े नामों ने आठ शहर बेस्ड फें्रचाइजी खरीदने के लिए कुल 723.59 मिलियन डॉलर खर्च किए थे।
डेढ़ दशक बाद आईपीएल की लोकप्रियता और व्यावसायिक मूल्य में कई गुना वृद्धि हुई है। 2021 में सीवीसी कैपिटल (एक ब्रिटिश इक्विटी फर्म) ने गुजरात टाइटन्स की फेंचाइजी के लिए लगभग 740 मिलियन डॉलर का भुगतान किया था।
आईपीएल की कमाई का जरिया क्या
साल 2008 में शुरू हुए इंडियन प्रीमियर लीग ने महज 15 सालों में दुनिया भर की स्पोर्ट्स लीग को पछाड़ दिया है और फिलहाल दुनिया की दूसरी सबसे महंगी और क्रिकेट की सबसे महंगी लीग बन चुकी है।
दरअसल आईपीएल को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) संचालित करता है और दोनों के लिए कमाई का सबसे बड़ा जरिया मीडिया और ब्रॉडकास्ट है।
आईपीएल की फे्रंचाइजी मीडिया राइट्स और ब्रॉडकास्ट के राइट्स को बेचकर सबसे अधिक पैसा कमाती है।
फिलहाल ब्रॉडकास्ट का राइट स्टार स्पोर्ट्स के पास है। शुरूआत में ब्रॉडकास्टिंग राइट्स से होने वाली कमाई का 20 फीसदी हिस्सा बीसीसीआई रखता था और 80 फीसदी टीमों को मिलती थी।
लेकिन धीरे-धीरे ये हिस्सा बढ़कर 50-50 फीसदी हो गया।
एडवरटाइजिंग से होती है कमाई
विज्ञापन से भी आईपीएल टीमों के पास बहुत पैसा आता है। फ्रेंचाइजी आईपीएल मीडिया ब्रॉडकास्ट के राइ़़ट्स को बेचने के अलावा विज्ञापनों से पैसा कमाती है।
खिलाड़ियों की टोपी, जर्सी और हेलमेट पर दिखने वाले कंपनियों के नाम और लोगो के लिए कंपनियां फ्रेंचाइजियों को पैसा देती हैं।
आईपीएल के दौरान फ्रेंचाइजियों के खिलाड़ी कई तरह के एड करते हैं। इससे भी कमाई होती रहती है।
आईपीएल में इन तरह से होती है टीमों की कमाई
सबसे पहले आईपीएल टीमों की कमाई को तीन हिस्सों- सेंट्रल रेवेन्यू, प्रमोशनल रेवेन्यू और लोकल रेवेन्यू में बांट देते हैं।
सेंट्रल रेवेन्यू में ही मीडिया ब्रॉडकास्टिंग राइट्स और टाइटल स्पॉन्सरशिप आता है। इससे टीमों की कमाई का लगभग 60 से 70 फीसदी हिस्सा आता है।
दूसरा है विज्ञापन और प्रमोशनल रेवेन्यू। इससे टीमों करीब 20 से 30 फीसदी तक की कमाई होती है।
वहीं लोकल रेवेन्यू से टीमों की कमाई का 10 फीसदी हिस्सा आता है। इसमें टिकटों की बिक्री और अन्य चीजें शामिल होती हैं।
हर सीजन में 7-8 घरेलू मैचों के साथ फ्रेंचाइजी मालिक टिकट बिक्री से अनुमानित 80 प्रतिशत रेवेन्यू अपने पास रखता है।
बाकी 20 प्रतिशत बीसीसीआई और प्रायोजकों के बीच बंटता है। टिकटों की बिक्री से होने वाली आय आम तौर पर टीम के राजस्व का 10-15 प्रतिशत होती है।
टीमें मर्चेंडाइज जैसे जर्सी, टोपी और अन्य सामान बेचकर रेवेन्यू का छोटा सा हिस्सा जेनरेट करती हैं।
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