Lakshmi Jayanti 2025: लक्ष्मी जयंती 2025 कर्ज से राहत और धन-समृद्धि के लिए करें ये खास पूजा

Lakshmi Jayanti 2025 date time shubh muhurat upay: लक्ष्मी जयंती 2025 का पर्व हर साल फाल्गुन पूर्णिमा को बड़े उत्साह से मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 14 मार्च 2025 को पड़ रहा है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की सच्चे दिल से पूजा करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर होती हैं और धन-दौलत में बढ़ोतरी शुरू हो जाती है।
अगर आप भी कर्ज, लोन या ईएमआई के बोझ से परेशान हैं, तो होली के मौके पर मां लक्ष्मी की विशेष पूजा कर उनकी कृपा पाएं। आइए जानते हैं लक्ष्मी जयंती की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इससे जुड़े उपाय।
Lakshmi Jayanti 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
इस साल लक्ष्मी जयंती 14 मार्च को मनाई जाएगी। पूजा का सबसे शुभ समय सुबह 6:32 बजे से 11:01 बजे तक रहेगा। इस दौरान मां लक्ष्मी की अराधना करने से विशेष फल मिलता है।
लक्ष्मी जयंती पूजा विधि
लक्ष्मी जयंती के दिन सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और व्रत रखने का संकल्प लें। घर के मंदिर में मां लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। माता को लाल फूल अर्पित करें, फिर इत्र, नए वस्त्र, भोग और श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं। इसके बाद जल चढ़ाकर धूप-दीप जलाएं। लक्ष्मी चालीसा, मां लक्ष्मी के मंत्र और श्री सूक्त का पाठ करें। अंत में आरती करें, भोग लगाएं और प्रसाद बांटें। मां से धन-समृद्धि की प्रार्थना करें।
मां लक्ष्मी के शक्तिशाली मंत्र
लक्ष्मी जयंती पर इन मंत्रों का जाप करने से आर्थिक तंगी दूर होती है:
ॐ धनाय नम:
धनाय नमो नम:
ओम लक्ष्मी नम:
ॐ ह्रीं ह्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नम:
पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्।
लक्ष्मी जयंती का महत्व
लक्ष्मी जयंती पर मां लक्ष्मी की पूजा से कर्ज और आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है। इसे धन की देवी लक्ष्मी का जन्मदिन माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा को समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। खासकर दक्षिण भारत में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
लक्ष्मी जयंती के खास उपाय
धन-दौलत बढ़ाने के लिए लक्ष्मी जयंती पर हवन करें। हवन में शहद में डूबे कमल के फूलों की आहुति दें और लक्ष्मी सहस्रनामावली व श्री सूक्त का पाठ करें। यह उपाय धन में तेजी से वृद्धि करता है।
लक्ष्मी जयंती की पौराणिक कहानी
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार राक्षसों ने स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था। तब देवताओं ने भगवान विष्णु से मदद मांगी। विष्णु जी ने समुद्र मंथन का सुझाव दिया, जिसमें राक्षसों की भी सहायता ली गई। नारद जी ने राक्षसों को अमृत का लालच देकर तैयार किया। समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले, जिनमें मां लक्ष्मी भी थीं। उनके हाथ में कलश और वर मुद्रा थी। मां लक्ष्मी ने विष्णु जी को पति चुना। यह घटना फाल्गुन पूर्णिमा को हुई, इसलिए इस दिन लक्ष्मी जयंती मनाई जाती है।
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