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Ambala byelection : अंबाला उपचुनाव पर सबकी टकटकी, स्थिति स्पष्ट करने को लेकर चुनाव आयोग को लिखा

Ambala byelection : अंबाला उपचुनाव पर सबकी टकटकी, स्थिति स्पष्ट करने को लेकर चुनाव आयोग को लिखा
Ambala News : कानूनी रूप से यहां चुनाव करवाना आवश्यक, चुनाव होने की स्थिति में आने वाले लोकसभा चुनाव के बारे स्पष्ट संकेत मिलेंगे उपचुनाव से।

Haryana News, अंबाला। अंबाला लोकसभा सीट पर पिछले कई महीने से उपचुनाव लंबित है। चुनाव होंगे या नहीं, इसको लेकर दोनों तरह की चर्चाएं शुरू से ही हैं। कुछ समय पहले तक कयास लगाए जा रहे थे उपचुनाव की संभावना कम ही है। लेकिन एक  बार फिर से उपचुनाव  को लेकर चर्चा हो रही है। आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर भी तमाम दल एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं।

अंबाला में उपचुनाव होने की संभावनाओं को लेकर सभी इस पहलू पर नजर बनाए हुए हैं।  पिछले दिनों भाजपा हाईकमान ने पार्टी नेताओं को लोकसभा मिशन 2024 के लिए तैयार करने के निर्देश दिए थे। अगर उपचुनाव होता है तो प्रदेश में सक्रिय राजनीतिक दलों के लिए आने वाले संसदीय चुनाव के रुझानों के बारे में ये संकेत देने वाला होगा।

इसी कड़ी में सोमवार को भाजपा प्रभारी बिप्लब कुमार देब की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक हुई और इसको अंबाला लोकसभा उपचुनाव की संभावना से जोड़कर भी देखा जा रहा है।  

चुनाव आयोग से मांगा जवाब, कहा बताएं उपचुनाव करवाएंगे या नहीं 

पूरे मामले को लेकर पिछले महीने आरटीआई लगाने वाले अधिवक्ता व एक्सपर्ट हेमंत कुमार ने अपनी आरटीआई की अपील में चुनाव को लिखा है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग स्पष्ट तौर पर जवाब दे अंबाला सीट पर उपचुनाव करवाए जाएंगे या नहीं । आगे उन्होंने लिखा कि मामले को लेकर स्थिति स्पष्ट होना आवश्यक है।

इसके अलावा उन्होंने अन्य लंबित लोकसभा सीटों पर उपचुनाव को लेकर भी जानकारी मांगी है। साथ ही लिखा है कि पिछले महीने उनको चुनाव आयोग के संबंधित अधिकारी ने जो जानकारी आरटीआई के जवाब में दी है, वो स्पष्ट नहीं है। 

पिछले महीने तक मामला चुनाव आयोग के पास ही विचाराधीन था

गत करीब चार माह से रिक्त अंबाला (अनुसूचित जाति- एससी आरक्षित) लोकसभा सीट और  महाराष्ट्र की 2 और उत्तर प्रदेश की एक रिक्त संसदीय सीटों पर उपचुनाव करवाने का मामला भारतीय चुनाव आयोग ( इलेक्शन कमीशन आफ इंडिया) के विचाराधीन है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट  हेमंत कुमार ने गत माह केन्द्र सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले विधायी विभाग में एक आरटीआई याचिका दायर कर अंबाला सहित मौजूदा 4 रिक्त लोकसभा सीटों पर उपचुनाव करवाने  में हो रहे विलंब से संबंधित संपूर्ण जानकारी मांगी थी जिस याचिका को विधायी विभाग ने  भारतीय चुनाव आयोग को स्थानांतरित कर दिया।

जानिए उपचुनाव करवाने को लेकर समय सीमा क्या है

बता दें कि  गत  17 अगस्त को  चुनाव आयोग के सचिव एवं केंद्रीय जनसूचना‌ अधिकारी ( सीपीआईओ) संजीव कुमार प्रसाद द्वारा दिए गए जवाब में आयोग ने लोक प्रतिनिधित्व कानून ( आरपी एक्ट),1951 की धारा 151 ए का हवाला देकर बताया है कि लोकसभा सीट रिक्त होने के 6 महीने के भीतर उस सीट पर उपचुनाव कराने की  समय सीमा होती है।  

हालांकि चुनाव आयोग केंद्र सरकार से परामर्श के पश्चात प्रमाणित कर सकता है कि उपरोक्त 6 माह की अवधि में  उपचुनाव करवाना संभव नहीं है।  जवाब में ये भी इंगित है कि चुनाव आयोग उपचुनाव का  संपूर्ण कार्यक्रम अर्थात  मतदान  और मतगणना की तारीख फाइनल करने से पूर्व कई  विषयों जैसे प्रदेश में  कानून व्यवस्था की स्थिति, स्कूल/ कॉलेज की परीक्षाएं, पर्व/ त्यौहार आदि,  स्थानीय मौसम की परिस्थितियों, नेगोशिएबल इंस्टरूमेंटस  एक्ट, 1881 के अंतर्गत घोषित अवकाश ( बैंक होलीडे), केंद्रीय सुरक्षा बलों और ईवीएम/वीवीपपैट की उपलब्धता आदि पर गंभीरता से विचार करता है।  अंबाला लोकसभा सहित कुल 4 रिक्त संसदीय क्षेत्रों पर उपचुनाव का मामला चुनाव आयोग के सक्रिय विचाराधीन है। 

18 मई से सीट आधिकारिक रूप से रिक्त है अंबाला संसदीय सीट 

गौरतलब है कि अंबाला लोकसभा सीट को रिक्त हुए  करीब 4 महीने का समय हो चुका है।  18 मई 2023 को इस सीट से मई, 2019 में निर्वाचित   सांसद भाजपा के रतन लाल कटारिया का निधन हो गया था और  जिसके फलस्वरूप उसी तारीख से  अम्बाला लोकसभा  सीट को तकनीकी तौर   रिक्त घोषित कर दिया गया।

बीच में ये चर्चा गाहे बगाहे उठती रही है कि क्या भारतीय चुनाव आयोग  अम्बाला लोकसभा सीट पर उपचुनाव कराएगा  अथवा नहीं क्योंकि अगले एक वर्ष से भी कम समय में  अर्थात  अप्रैल-मई, 2024 में 18वीं  लोकसभा के आम चुनाव निर्धारित हैं और इस कारण  आयोग संभवत:  थोड़ी  अवधि के लिए अम्बाला संसदीय सीट पर उपचुनाव नहीं कराना चाहेगा।  

इसी माह 8 अगस्त को जब आयोग ने देश के विभिन्न प्रदेशों की 7 रिक्त विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव घोषित किये, जो हो चुके हैं और उनमें अम्बाला लोस सीट का नाम शामिल नहीं किया गया। 

उपचुनाव करवाने के लिए कई बार चुनाव आयोग को नोटिस व ज्ञापन भेजा गया

ये भी बता दें कि अब तक भारतीय चुनाव आयोग को‌  ज्ञापन और नोटिस  भेजकर शीघ्र अम्बाला उपचुनाव करवाने हेतु कई बार ज्ञापन व नोटिस भेजा गया है। इसमें तर्क दिया है  कि कानूनन अर्थात लोक  प्रतिनिधित्व कानून , 1951 की धारा 151 ए के अनुसार इस सीट पर  उपचुनाव  आवश्यक है।   चूंकि उक्त धारा में उल्लेख है कि अगर रिक्त हुई लोकसभा  सीट पर  निवर्तमान सदस्य की शेष अवधि एक वर्ष से कम हो, तो उपचुनाव नहीं कराया  जाता है।

मौजूदा 17वीं लोकसभा का कार्यकाल आगामी वर्ष 16 जून 2024 तक है। इस प्रकार  18 मई 2023 को  अम्बाला के निवर्तमान भाजपा सांसद कटारिया के निधन के समय उनकी वर्तमान 17वीं  लोकसभा में सांसद के तौर पर  अवधि करीब तेरह महीने शेष थी जो एक वर्ष अर्थात से ऊपर थी, इस प्रकार अम्बाला लोकसभा सीट पर उपचुनाव  कानूनन आवश्यक है। चुनाव आयोग को भेजे ज्ञापन में   वर्ष 2018 में कर्नाटक राज्य में तीन लोकसभा  सीटों - बेलारी, शिमोगा और मांड्या  पर चुनाव आयोग द्वारा कराए गए‌ उपचुनाव का भी हवाला‌ दिया है जो तीनों सीटें क्रमशः 18 मई 2018, 18 मई 2018 और 21 मई 2018 को रिक्त हुईं थी.

तत्कालीन 16 वीं लोकसभा का कार्यकाल 3 जून 2019 तक  था  अर्थात उक्त तीनों लोकसभा सीटों पर तत्कालीन  सांसदों के कार्यकाल की शेष अवधि एक वर्ष से कुछ दिन ही अधिक थी। बता दें कि आज से साढ़े चार वर्ष पूर्व जनवरी, 2019 में जींद विधानसभा सीट पर भी चुनाव आयोग द्वारा उपचुनाव कराया गया था हालांकि उसके‌ नौ माह बाद ही अक्टूबर, 2019 में हरियाणा विधानसभा के अगले चुनाव लंबित थे। 

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