Advice for Farmers: किसानों को रखना होगा इन बातों का ध्यान, मौसम विभाग ने शीतलहर का अलर्ट किया जारी
Advice for Farmers: हरियाणा में शीतलहर का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। मौसम विभाग ने हरियाणा के कई जिलों में शीतलहर का अलर्ट जारी कर दिया है। इस बीच शीतलहर व पाले के प्रभाव से बचने के लिए हरियाणा राज्य राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से एडवाइजरी जारी की गई है। साथ ही पाले को लेकर किसानों को भी फसलों का ध्यान रखने की हिदायत दी गई है।
फसल का चुनाव
सर्दी की फसलों का चयन: सर्दी में ऐसी फसलों का चुनाव करें जो कम तापमान में अच्छी तरह से उग सकें। जैसे गेहूं, जौ, चना, मटर, सरसों, आलू, गोभी, मूली, गाजर आदि।
स्थानीय जलवायु के अनुसार: अपनी क्षेत्र की जलवायु के अनुसार फसलों का चुनाव करें।
बीज का चुनाव
उच्च गुणवत्ता वाले बीज: केवल उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का ही उपयोग करें।
बीज उपचार: बीजों को कीटनाशकों और कवकनाशकों से उपचारित करें।
बुवाई का समय
सही समय पर बुवाई: बुवाई का समय बहुत महत्वपूर्ण है। देरी से बुवाई करने से पौधे अच्छी तरह से वृद्धि नहीं कर पाते हैं।
सिंचाई
जरूरत के अनुसार सिंचाई: सर्दियों में पानी की आवश्यकता कम होती है, लेकिन जरूरत के अनुसार सिंचाई करते रहें।
ड्रिप सिंचाई: ड्रिप सिंचाई का उपयोग करके पानी की बचत की जा सकती है।
खाद
संतुलित खाद: फसलों को संतुलित खाद दें।
ओम जैविक खाद: जैविक खाद का उपयोग करने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है।
खरपतवार नियंत्रण:
नियमित निराई-गुड़ाई: खरपतवारों को समय-समय पर निकालते रहें।
कीट और रोग नियंत्रण:
नियमित निरीक्षण: फसलों की नियमित निरीक्षण करें और कीटों और रोगों के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत उपचार करें।
जैविक कीटनाशक: जहां तक संभव हो, जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।
पाला से बचाव
सिंचाई: पाले के समय फसलों में हल्की सिंचाई करें।
धुआं: खेतों में धुआं करके पाले से फसलों को बचाया जा सकता है।
मौसम का पूर्वानुमान:
मौसम विभाग की सलाह: मौसम विभाग की सलाह को ध्यान से सुनें और उसके अनुसार अपनी फसलों की देखभाल करें।
किसानों को करना होगा यह काम
बता दें कि सरसों, आलू, सब्जियों की नर्सरी और छोटे फलों के पौधों पर पाले का असर ज्यादा होता है। हरियाणा में आमतौर पर दिसंबर से फरवरी तक पाला पड़ता है। इसके जमने से पौधे को नुकसान पहुंचता है। इससे बचने के लिए किसानों को सब्जी और फलों के पौधों की सिंचाई करनी चाहिए, ताकि जमीन का तापमान बढ़ सकें। खेत के किनारे और जिस दिशा से हवा आ रही हो, उससे 15 से 20 फीट की दूरी पर रात के समय कूड़ा-कचरा और सूखा कचरा जलाकर धुआं करना चाहिए, इससे तापमान बढ़ेगा और पाले का असर कम होगा।
सर्दियों में पशु कम पानी पीते हैं। इससे डिहाइड्रेशन होता है। जिससे दूध में कमी आ सकती है। पशुओं को गुनगुना पानी देना चाहिए। पशुओं को सर्दियों में सामान्य से 0.8 प्रतिशत अधिक ऊर्जा युक्त भोजन देना चाहिए।
अन्य बातें
पशुओं की देखभाल: सर्दी में पशुओं को पर्याप्त चारा और पानी उपलब्ध कराएं। स्वयं का ध्यान रखें: किसान भाई भी सर्दी से बचाव के लिए गर्म कपड़े पहनें और स्वस्थ भोजन करें।
कृषि विशेषज्ञों से सलाह लें: किसी भी समस्या के लिए कृषि विशेषज्ञों से सलाह लें।
सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं: सरकार द्वारा चलाई जा रही कृषि योजनाओं का लाभ उठाएं। इन सभी बातों का ध्यान रखकर किसान अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकते हैं और अच्छा उत्पादन ले सकते हैं।
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