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Mulching Farming: अक्षय फरार्टे मल्चिंग पेपर तकनीक से करते हैं प्याज की खेतीे, कमा रहा है लाखों, जानिए कैसे?

Mulching Farming: अक्षय फरार्टे मल्चिंग पेपर तकनीक से करते हैं प्याज की खेतीे, कमा रहा है लाखों, जानिए कैसे?
दो एकड़ जमीन में अक्षय फरार्टे प्याज की खेती करते हैं। इस खेती में उन्हें तकरीबन 50 हजार रुपये का खर्च आया। प्रति एकड़ वह 8 से 9 टन उत्पादन हासिल कर रहे हैं। महाराष्ट्र क्षेत्रफल और उत्पादन के मामले में अग्रणी प्याज उत्पादक राज्यों में से एक है।

Haryana News Post : Plastic Mulching farming: अगर आप ज्यादा से ज्यादा कमाई करना चाहते हैं तो प्याज की खेती कर सकते हैं। इसकी खेती में आपको एक ही सीजन में एक हेक्टेयर जमीन से लगभग 4 लाख रुपये से अधिक का फायदा हो सकता है। वहीं अगर आप प्याज को कोल्ड स्टोर में रखकर ऊंची कीमत होने पर बेचेंगे तो फायदा और अधिक होगा। बता दें यूट्यूब के माध्यम से पुणे के रहने वाले किसान अक्षय फरार्टे मल्चिंग पेपर तकनीक से प्याज की खेती कर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं इस बारे में।
 


कितने एकड़ में अक्षय करते हैं प्याज की खेती?



दो एकड़ जमीन में अक्षय फरार्टे प्याज की खेती करते हैं। इस खेती में उन्हें तकरीबन 50 हजार रुपये का खर्च आया। प्रति एकड़ वह 8 से 9 टन उत्पादन हासिल कर रहे हैं। महाराष्ट्र क्षेत्रफल और उत्पादन के मामले में अग्रणी प्याज उत्पादक राज्यों में से एक है। इस राज्य में देश का 40 फीसदी प्याज पैदा होता है।

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कब और कैसे की जाती प्याज की खेती?


अक्षय फरार्टे कहते हैं कि प्याज की खेती ठंड के मौसम में सबसे अच्छी माने जाती है। अक्टूबर-नवंबर में इसकी बुवाई शुरू कर दी जाती है। इन दिनों प्याज की कीमतों में कुछ राहत देखने को मिल रही है। लेकिन फिर भी प्याज 25-35 रुपये प्रति किलो बिक रही है।

हालात तो ये हो जाते हैं कि कभी-कभी प्याज की कीमतें 100 रुपये किलो से अधिक हो जाती हैं। ऐसे में प्याज की खेती में किसानों को तगड़ा मुनाफा हो सकता है। हालांकि प्याज के भंडारण की उचित व्यवस्था नहीं होगी तो आपको मुनाफा थोड़ा कम होगा। अगर प्याज को कोल्ड स्टोर में रखकर ऊंची कीमत मिलने पर बेचते हैं तो आपको एक हेक्टेयर से ही 10 लाख रुपये से भी अधिक मुनाफा होगा।



मल्चिंग विधि से खेती करने का तरीका क्या?

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खरपतवार और सिंचाई जैसी समस्या से निजात पाने के लिए इस तकनीक को विकसित किया गया था। इस विधि में बेड को प्लास्टिक से पूरी तरह कवर कर दिया जाता है। जिससे खेत में खरपतवार न हो। वैसे मल्चिंग विधि से खेती करने का दो तरीका है। पहला जैविक मल्चिंग में पराली, पत्तों इत्यादि का उपयोग किया जाता है।

इसे प्राकृतिक मल्चिंग भी कहा जाता है। यह बहुत ही सस्ती होती है। इसका उपयोग जीरो बजट खेती में भी किया जाता है। वहीं, दूसरा प्लास्टिक मल्चिंग बाजार में मिलते हैं। इसमें फसल की बेड पर प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है। यह जैविक मल्चिंग की तुलना में खचीर्ली होती है। लेकिन पौधों को पूरी सुरक्षा प्रदान करती है।



प्याज की खेती में कितना मुनाफा?



प्याज की खेती में नर्सरी लगाने से लेकर उसकी रोपाई, सिंचाई, निराई-गुड़ाई, दवाई, उर्वरक, ट्रांसपोर्टेशन आदि का खर्च प्रति हेक्टेयर लगभग 2 से 2.5 लाख रुपये आता है। वहीं एक हेक्टेयर से प्याज की करीब 300 क्विंटल पैदावार होगी जो अगर महज 20 रुपये किलो के भाव से भी बिकती है तो आपकी करीब 6 लाख रुपये की आमदनी होगी। यानी लागत हटा दें तो 3.5 से 4 लाख रुपये का मुनाफा।
 


वहीं विशेषज्ञों मुताबिक मल्चिंग विधि से खेती करने से खरपतवार नियंत्रण होता है। उसे खत्म करने के लिए कीटनाशकों पर होने वाला खर्च कम होता है और पौधे लंबे समय तक सुरक्षित रहते हैं।


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