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Bluecon Cultivation: ब्लूकॉन फूल की खेती किसान हो रहे मालामाल, आयुर्वेदिक दवा कंपनियां खरीद रहीं हाथों हाथ

Bluecon Cultivation: ब्लूकॉन फूल की खेती किसान हो रहे मालामाल, आयुर्वेदिक दवा कंपनियां खरीद रहीं हाथों हाथ 
Bluecon farming: किसान अब ब्लूकॉन फूल की खेती कर रहे हैं. यह एक तरह का विदेशी फूल है. इसकी खेती सिर्फ जर्मनी में की जाती है. लेकिन अब बुंदेलखंड इलाके में भी किसानों ने ब्लूकॉन की खेती शुरू कर दी है। 

हिसार, Bluecon Cultivation : अब बुंदेलखंड और झांसी में ब्लूकॉन फूल की खेती को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार कोशिश कर रही है. एक्सपर्ट्स की माने तो यहां की जलवायु ब्लूकॉन फूल की खेती के लिए उपयुक्त है. वहीं, कृषि विभाग इन फूलों की नर्सरी तैयार कर रहा है. सरकार किसानों को इसके पौधे खेती करने के लिए वितरित कर रही है. बाजार में ब्लूकॉन का फूल 2000 रुपए प्रति किलो मिलता है। 

ब्लूकॉन का फूल 2000 रुपए प्रति किलो

खास बात यह है कि अगर आप एक बीघे में इसकी खेती करते हैं, तो आप रोज 15 किलो तक फूल तोड़ सकते हैं. यानि कि आप एक बीघे जमीन से रोज 30 हजार रुपये की कमाई कर सकते हैं।

इस तरह किसान भाई महीने में फूल बेचकर 9 लाख रुपये कमा सकते हैं।

ब्लूकॉन की खेती 

कृषि विभाग के उपनिदेशक विनय कुमार यादव का कहना है कि नवंबर महीने में ब्लूकॉन की नर्सरी तैयार की जाती है. वहीं, रोपाई करने के तीन महीने बाद पौधों पर फूल आने लगते हैं. ब्लूकॉन के फूल से आयुर्वेदिक दवाइयां बनाई जाती हैं. यही वजह है कि ब्लूकॉन के फूल को दवा कंपनियां हाथों हाथ खरीद लेती हैं। 

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बुदेलखंड का नाम सुनते ही लोगों के जेहन में सबसे पहले सूखाग्रस्त इलाके की तस्वीर उभरकर सामने आती है. क्योंकि बुदेलखंड इलाके में पानी की बहुत किल्लत है. बारिश भी उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले यहां पर बहुत कम होती है. ऐसे में यहां के किसान ज्यादातर मक्का और बाजरा जैसे मोटे अनाज की ही खेती करते हैं। 

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इससे किसानों की कम इनकम होती है. लेकिन अब यहां के किसान भी दूसरे राज्यों के किसानों की तरह आधुनिक फसलों की खेती कर रहे हैं. यहां के किसान अब बागवानी में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी ले रहे हैं. इससे किसानों की कमाई बढ़ गई है.

दरअसल, बुदेलखंड क्षेत्र के किसान अब ब्लूकॉन फूल की खेती कर रहे हैं. यह एक तरह का विदेशी फूल है. इसकी खेती सिर्फ जर्मनी में की जाती है. लेकिन अब बुंदेलखंड इलाके में भी किसानों ने ब्लूकॉन की खेती शुरू कर दी है. इस फूल की खासित है कि इसे सिंचाई की बहुत कम जरूरत पड़ती है. यानि इसे सूखाग्रस्त क्षेत्र में भी उगाया जा सकता है. यही वजह है कि जर्मनी के सूखे इलाके में ब्लूकॉन को उगाया जाता है। 

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