1. Home
  2. Agriculture

NITI Aayog Report: नीति आयोग ने किसान आंदोलन के बीच जारी की रिपोर्ट, अब दलहन, तिलहन उपज बढ़ाने पर होगा जोर

NITI Aayog Report: नीति आयोग ने किसान आंदोलन के बीच जारी की रिपोर्ट, अब दलहन, तिलहन उपज बढ़ाने पर होगा जोर
Farmers Protest: नीति आयोग ने दलहन और तिलहन की उपज बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की रिपोर्ट जारी की है। दलहन और तिलहन दोनों ही महत्वपूर्ण फसलें हैं जो भारतीय कृषि के लिए अहम भूमिका निभाती हैं। इन फसलों के उत्पादन में वृद्धि न केवल किसानों के आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी, बल्कि यह खाद्य सुरक्षा को भी मजबूत करेगी।

नई दिल्ली, NITI Aayog report news : नीति आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट में दलहन और तिलहन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई उपायों का जिक्र किया गया है, जैसे कि बीज प्रौद्योगिकी में नवाचार, पोषण और बागवानी तकनीकों का अधिक प्रयोग, जल संरक्षण, सही खाद, बिजली, और उपयुक्त बागवानी तकनीकों के लिए सहायक योजनाएं।

किसानों को तकनीकी ज्ञान देंगे 

इसके अलावा, किसानों को तकनीकी ज्ञान और प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा ताकि वे अधिक उत्पादक और सुरक्षित तरीके से फसल उत्पादन कर सकें। इसके लिए नीति आयोग ने कई संबंधित सरकारी योजनाओं को समीक्षा और सुधार का सुझाव दिया है। इससे उत्पादक क्षेत्र में नई दिशा का प्रारंभ हो सकता है और कृषि क्षेत्र को विकसित करने में मदद मिल सकती है।

दलहन और तिलहन की खेती पर जोर 

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी जामा पहनाए जाने की मांग कर रहे हजारों किसान पंजाब और हरियाणा की सीमा पर पुलिस से भिड़ रहे हैं। लेकिन नीति आयोग की एक नई रिपोर्ट बता रही है कि किसानों को जल्द से जल्द गेहूं और चावल के बजाय दलहन और तिलहन की खेती बढ़ानी पड़ेगी।

Sugar Mills Quota: चीनी मिलों और कारोबारियों में खलबली, गन्ना किसानों को क्या होगा फायदा

अगले 23 साल यानी 2047-48 तक देश में दलहन-तिलहन की मांग उपज से ज्यादा हो जाएगी और उसे काबू में करने के लिए गेहूं-चावल उगाने वाले किसानों को इन फसलों का रुख करना पड़ेगा।

तिलहन की पैदावार

‘तिलहन की पैदावार बढ़ाई गई और दूसरे स्रोतों से उत्पादन भी बढ़ा तो निकट भविष्य में यह अंतर कम किया जा सकता है और आगे जाकर हम इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकते हैं।’

चावल की मांग 2030-31 में 11 करोड़ टन और 2047-48 में 11.4 करोड़ टन होने का अनुमान है, जबकि सामान्य स्थिति में इसका उत्पादन 2030-31 में 14.5 करोड़ टन और 2047-48 में 15.4 करोड़ टन रहने के आसार हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि गेहूं का उत्पादन भी भविष्य की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त होने की उम्मीद है। इतना ही नहीं, 2030-31 में 1.9 से 2.6 करोड़ टन और 2047-48 में 4 से 6.7 करोड़ टन गेहूं अधिशेष भी रह सकता है यानी जरूरतें पूरी होने के बाद भी देश में इतना गेहूं बचा रहेगा।

Himachal Apple: इस सेब सीजन से यूनिवर्सल कार्टन‌ में बिकेगा सेब, अब एक पेटी में 20 किलो से अधिक नहीं आएगा

इससे पता चलता है कि गेहूं और चावल का रकबा कुछ घटाकर दूसरी फसलों को दिए जानी की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सामान्य स्थिति में यानी आर्थिक वृद्धि (6.34 फीसदी) के भविष्य में भी जारी रहने पर अनाजों की कुल मांग 2047-48 तक सालाना 2.44 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है। अगर आर्थिक वृद्धि की रफ्तार तेज हुई तो यह आंकड़ा 3.07 फीसदी तक पहुंच सकता है।

नीति आयोग की रिपोर्ट

नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि अनाज की मांग 2030-31 में 32.6 से 33.4 करोड़ टन और 2047-48 में 40.2 से 43.7 करोड़ टन रहने का अनुमान है।

कृषि में मांग और आपूर्ति अनुमान पर कार्य समूह की यह रिपोर्ट मंगलवार को जारी हुई, जिसके मुताबिक सामान्य स्थिति में 2047-48 तक भारत में दलहन का उत्पादन बढ़कर 4.7 करोड़ टन हो जाएगा, जो 2019-20 में करीब 2.3 करोड़ टन था। मगर इस दौरान मांग बढ़कर तकरीबन 4.9 करोड़ टन हो जाएगी, जिस हिसाब से करीब 20 लाख टन दलहन की कमी होगी।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘दलहन की मौजूदा उपज मांग को पूरा करने के लिए काफी नहीं है। अगर इसका रकबा और उत्पादन नहीं बढ़ा तो यह अंतर आगे भी बना रह सकता है।’

खाद्य तेलों के मामले में भी स्थिति ऐसी ही है। रिपोर्ट के अनुसार 2047-48 तक तिलहन की मांग बढ़कर 3.1 करोड़ टन हो जाएगी, जो 2019-20 में 2.2 करोड़ टन थी। लेकिन इस दौरान खाद्य तेलों का उत्पादन 2019-20 के 1.2 करोड़ टन से बढ़कर करीब 2.4 करोड़ टन ही हो पाएगा। ऐसे में मांग और आपूर्ति के बीच करीब 70 लाख टन का अंतर आ जाएगा।

Indian Apple: सेब किसानों के लिए खुशखबरी, 16 गुना बढ़ा निर्यात


देश दुनिया के साथ ही अपने शहर की ताजा खबरें पाने के लिए अब आपHaryanaNewsPostकेGoogle Newsपेज औरTwitterपेज से जुड़ें और फॉलो करें।
whtsapp-img
News Hub