Kisan Jugaad: किसान पिता ने इंजीनियर बेटे को कही ये बात तो बन गया किसानों के लिए बेहतरीन आविष्‍कार

Cheap spryer for farmers: बात सही है कि आवश्‍यकता ही आविष्‍कार की जननी है। महाराष्ट्र के योगेश गावंडे ने किसानों के लिए एक ऐसा स्‍प्रेयर बनाया है, जिससे में बिना बोझ उठाए खेत में आसानी से काम करते हुए छिड़काव कर सकते हैं। आइए जानते हैं इस जुगाड़ के पीछे की कहानी।
 

चंडीगढ़, Cheap spryer innovation : हर आविष्‍कार के पीछे कोई न कोई कहानी होती है। आज हम जिस आविष्‍कार की बात कर रहे हैं वह है स्‍प्रेयर। इसके पीछे भी रोचक कहानी है। महाराष्ट्र के योगेश गावंडे का भाई खेत में पेस्‍टीसाइट का छिड़काव करते हुए बीमार हो गया था। उस वक्‍त योगेश इंजीनियरिंग कर रहे थे। किसान पिता ने योगेश से कहा कि तुम्‍हारी इंजीनियरिंग किस काम कि जो तुम हम किसानों के लिए कोई सरल उपकरण नहीं बना सकते।

बस यही बात योगेश गावंडे के मन में बैठ गई। उन्‍होंने इसके पीछे के दर्द को भी समझा। क्‍योंकि अभी तक किसान खेता में स्‍प्रे करने के लिए अपनी पीठ पर भारी भरकम वजन उठाकर छिड़काव करते हैं। इससे उनकी कार्य क्षमता तो कम होती ही है साथ ही वे खेत में ज्‍यादा काम नहीं कर पाते हैं।

और बना‍ दिया देसी जुगाड़

छोटे किसानों के लिए किए गए आविष्कार न सिर्फ उन्हें बेहतर काम करने में मदद करते हैं बल्कि हमारे देश को एक सच्चा कृषि प्रधान देश भी बनाते हैं। किसान पिता के लिए इंजीनियर बेटे का आविष्कार इस बात का सच्चा सबूत है।

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यह इंजीनियर बेटा है महाराष्ट्र के योगेश गावंडे, जिन्होंने एक सस्ता स्प्रेयर बनाया है। जो आज देश के 4500 किसानों को भारी-भरकम कीटनाशक टैंक उठाने से निजात दे रहा है। 

छोटा स्‍प्रेयर किसानों के काम आएगा

किसी भी पढ़ाई और काबिलियत का सही मान तभी होता है जब वह ज्ञान जरूरतमंदों के काम आए। एक इंजीनियर बेटे के आविष्कार और उनके किसान पिता की कहानी इस बात का सच्चा सबूत है। 

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पिता की इसी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए योगेश गावंडे ने बनाया एक ऐसा यंत्र जो खेतों में कीटनाशक के छिड़काव का काम आसान बनाता है। 

इसलिए किया बदलाव

देश के ज्यादातर किसान अपनी पीठ पर 60 लीटर का टैंक लेकर स्प्रे करते हैं। हालांकि, इसमें बहुत सारे आविष्कार हुए हैं। पहले स्‍प्रेयर था, फिर नया बैटरी ऑपरेटेड मॉडल आया। लेकिन इस सभी आविष्कारों में जो टैंक का बोझ था वह किसानों की पीठ पर ही था। उसमें कोई बदलाव नहीं था।  

अब तक मिले इतने ऑर्डर

योगेश को उस फ्री स्टॉल से उन्हें  62 ऑर्डर मिले थे।  इस सफलता के बाद तो उन्होंने कभी मुड़कर नहीं देखा और ज्यादा से ज्यादा किसानों की मदद के लिए कंपनी की शुरुआत कर दी। आज अपने स्टार्टअप के ज़रिए वह देश के 22 राज्यों के 4500 से अधिक किसानों को यह स्‍प्रेयर बेच चुके हैं। आगे भी वह इसी प्रयास में हैं कि कैसे नई-नई तकनीक से खेती-बाड़ी को आसान बना सकें।

हर किसान की पहुंच में

हालांकि, आज बाजार में ड्रोन और अन्‍य जैसे महंगे विकल्प मौजूद हैं। लेकिन ये सारे यंत्र छोटे किसानों की पहुंच से बाहर थे। योगेश का आविष्कार इसी समस्या पर काम करता है। उन्होंने अपने इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट के तौर पर सस्ता स्प्रेयर बनाकर तैयार किया था। और तभी अपने प्रिंसिपल की मदद से उन्हें औरंगाबाद में महा एग्रो प्रदर्शनी में भाग लेने का मौका मिला।

योगेश का यह आविष्‍कार किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है। हम आपको ऐसे ही देसी जुगाड़ की कहानी बताते रहेंगे।

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