Natural Farming: एक जिद ने प्रगतिशील किसान यशपाल को ऐसे प्राकृतिक खेती की ओर मोड़ा, आज हर चेहरे पर ला रहे मुस्‍कान

रेवाड़ी के कंवाली निवासी प्रगतिशील किसान यशपाल खोला किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उन्‍होंने प्राकृतिक खेती से ऐसे उत्‍पाद व नैचुरल नुस्‍खे बनाए हैं जिनकी चर्चा हरियाणा ही नहीं बल्कि दिल्‍ली और एनसीआर में भी हो रही है। आइए जानते हैं उनकी कामयाबी के पीछे की कहानी।
 

कंवाली (रेवाड़ी)।  इंसान अगर जिद कर ले तो कुछ भी कर सकता है। ऐसा ही कुछ किया है रेवाड़ी के गांव कंवाली निवासी प्रगतिशील किसान यशपाल खोला ने। उन्‍होंने प्राकृतिक खेती का मूल्‍य समझा और आज हजारों लोगों को इसका लाभ हो रहा है। यही नहीं वे ग्रामीणों को रोजगार भी दे रहे हैं और प्राकृतिक खेती की शिक्षा भी दे रहे हैं ताकि इसका विस्‍तार हो सके।

यशपाल खोला का उसूल

रेवाड़ी के गांव कंवाली निवासी किसान यशपाल खोला की जिंदगी का एक उसूल है। अच्‍छा उत्‍पादक लोगों तक पहुंचे ताकि किसी की जिंदगी के साथ खिलवाड़ न हो। वे इसी क्रम में जुटे हैं कि ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों तक प्राकृतिक खेती के उत्‍पाद पहुंचे ताकि लोगों को रसायन से होने वाली बीमारियां न हो

ऐसे हुई Active Farms group की शुरुआत

यशपाल बताते हैं कि उनके पिता को कैंसर की शिकायत हुई। इस कारण उनका काफी समय तक इलाज चला। जब भी वे डॉक्‍टर के पास जाते और कैंसर का कारण पूछते तो डॉक्‍टर कहते कि यह सब रसायनिक फर्टीलाइजर का नतीजा है। यशपाल के पिताजी का 2018 में निधन हो गया। पर उनके दिल में एक बात बार-बार टिस मार रही थी कि कैसे भी हो किसी को रसायनिक फर्टीलाइजर के कारण कैंसर न हो।

बस उन्‍होंने प्रण किया कि वे प्राकृतिक तरीके से खेती करेंगे और लोगों का जीवन बचाएंगे। यहीं से उनकी जर्नी शुरू हुई। ज़हर मुक्त अभियान के बारे में वे कहते हैं कि अगर आपका मकसद सही हो तो संसाधनों का आभाव आप के रस्ते की अड़चन नहीं बन पाते हैं। 

गांव में खेती करते समय इनकी मुलाकात द बाग डायरेक्ट संजय राव से होती हुई। संजय राव धारुहेड़ा में ज़हर मुक्त खेती मे काफी शिद्दत के साथ लगे थे। मगर स्वय एक कुशल व्यापारी व प्रबुद्ध सामाजसेवक होने के कारण खेती को समय नहीं दे पा रहे थे दोनों के मकसद एक था के जल, जन, जमीन, वातावरण को शुद्ध रखते हुए खेती की जाए व ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को प्राकृतिक खेती करने व ज़हर मुक्त उत्पादन दिया जाए। यहीं से द बाग की शुरुआत हुई। 

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प्राकृतिक खेती के जरिए उत्‍पादों पर काम शुरू किया। ये नई शुरुआत थी। परेशानियां भी आई, लेकिन उन्‍होंने हौसला नहीं टूटने दिया। इसमें परिवार ने भी उनका पूरा साथ दिया। तो वही तमाम कृषि व बागवानी के आलाअधिकारियों ने इनका हौसला अफजाई किया ऐसे में 2017 में उन्‍होंने नेचुरल खेती पर जोर दिया व साथ साथ चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से एग्रीकल्चर का डिप्लोमा करके खेती कि वैज्ञानिक तथ्यों को जाना व गुरुकुल कुरुक्षेत्र से नैचुरल फार्मिंग के मास्टर ट्रेनर कि ट्रेनिंग ली और देखते ही देखते उनके उत्‍पाद लोगों को पसंद आने लगे।

कोविड को अवसर में बदला

कोराना काल में जब सब अपने घरों में कैद थे ऐसे में यशपाल ने द बाग एप बनाया और लोगों को नेचुरल फार्मिंग के उत्‍पादों की जानकारी दी। लोगों को व्‍हटसएप ग्रुप से जोड़ा गया और लोगों को उनके प्रोडक्‍ट खूब पसंद आए।

युवाओं को दे रहे ट्रेनिंग

यशपाल चाहते हैं लोग रसायन को छोड़ प्राकृतिक खेती की ओर जुड़े। वे इसे अपना मिशन मानते हैं। इसके लिए इन्होंने कृषि विभाग के साथ जिले मे एक किसान क्लब का गठन करावाया व जिले मे किसानों को प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग दे करके प्राकृतिक खेती का रकबा बढाया वही रसायनिक फर्टीलाइजर का उपयोग ज़िले में काफी कम किया यही कारण है कि वे ग्रामीणों को इसकी शिक्षा दे रहे हैं ताकि बीमारी को जड़ से हटाया जा सके।

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उन्‍होंने शुरुआत में कुछ किसानों को इसकी ट्रेनिंग दी। जब उन किसानों को इसकी खासियत पता चली तो उन्‍होंने और लोगों को जागरुक किया। आज यशपाल 7 हजार से अधिक किसानों और युवाओं को प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग दे चुके हैं।

कौन-कौन से हैं उत्‍पाद

यशपाल की द बाग में हर जरूरत के उत्‍पाद शामिल हैं। इसमें ताजी प्राकृतिक सब्‍जी से लेकर फल, दाल, गेहूं, आचार, शहद और तमाम वो प्रोडक्‍टस शामिल हैं जो डेली रूटीन में हर घर में उपयोग में लाए जाते हैं। वे कहते हैं कि जब लोगों के घरों में शुद्ध अनाज और अन्‍य उत्‍पाद पहुंचते हैं तो उन्‍हें आत्मिक संतुष्टि मिलती है। इनके उपभोक्‍ताओं की सूची में एनसीआर के प्रबुद्ध लोगों के साथ साथ तमाम प्रसाशनिक आला अधिकारी हैंं। 

वही कुछ विदेशी उपभोक्ताओं को भी उनकी जरूरत के मुताबिक सब्जियां व ज़हर मुक्त उत्पादन दे रहें हैं। इनके उत्पादनों की डिमांड दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। उसकी पूर्ति के लिए ये अभी अन्य किसानों को भी प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैंं। उत्पादों को अच्छी कीमत पर अच्छे उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की दिशा में भी किसानों की टीम बना करके काम कर रहे हैं। इसके चलते राज्य सरकार व विश्वविद्यालय, कृषि व बागवानी विभाग ने किसान यशपाल खोला को इनके सराहनीय कार्यों के काफ़ी बार  सम्मानित भी किया जा चुका हैं।

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