Sonipat Lok Sabha seat: सोनीपत लोकसभा सीट पर किसको प्रत्याशी बनाएं कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दुविधा में
जींद (जुलाना)। हरियाणा की राजनीति में सोनीपत और जींद जिले का अपना अलग महत्व है। सोनीपत जिले के छह और जींद के तीन हलकों को मिलाकर बनी सोनीपत सीट को जाट बहुल माना जाता है। 2019 में सोनीपत प्रदेश की सबसे हॉट सीट थी। ऐसा इसलिए क्योंकि इन चुनावों में भाजपा के रमेश चंद्र कौशिक के मुकाबले कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को टिकट दिया था।
ओल्ड रोहतक यानी सोनीपत, रोहतक और झज्जर को हुड्डा के प्रभाव वाला इलाका माना जाता है। इसके बावजूद हुड्डा को 1 लाख 64 हजार 864 मतों से शिकस्त दी। संसदीय सीट के तहत आने वाले पांच हलकों में कांग्रेस, तीन पर भाजपा और एक पर जजपा विधायक है।
भाजपा-जजपा गठबंधन टूटने के बाद विपक्ष के विधायकों की संख्या बढ़कर छह हो गई है। इनमें कांग्रेस के खरखौदा से जयवीर वाल्मीकि, बरोदा से इंदूराज नरवाल, गोहाना से जगबीर सिंह मलिक, सोनीपत से सुरेंद्र पंवार, सफीदों से सुभाष गंगौली और जुलाना से जजपा के अमरजीत ढांडा शामिल हैं। वहीं भाजपा के जींद शहर से डॉ़ कृष्ण लाल मिढ्ढा, राई से मोहन लाल बड़ौली और गन्नौर से निर्मल रानी शामिल हैं।
सोनीपत से जुड़े सांसद
इस सीट की एक खूबी यह भी है कि चौ़ देवीलाल और डॉ़ अरविंद शर्मा को छोड़कर सोनीपत जिले से जुड़े नेता ही सांसद बनते रहे हैं। इसका प्रमुख कारण यह भी रहा है कि व्यापक जनाधार वाले किसी भी राष्ट्रीय दल ने सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से जींद जिला के नेता को टिकट नहीं दिया।
इसके चलते जींद जिला के तीनों विधानसभा क्षेत्र – जींद, सफीदों व जुलाना निर्णायक भूमिका में रहे हैं। जींद को इस बार उम्मीद है कि उनके जिले से किसी नेता को टिकट मिल सकता है। गांगोली गांव के सतपाल ब्रह्मचारी, कांग्रेस पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष प्रो़ रमेश सैनी, जुलाना के पूर्व विधायक परमेंद्र सिंह ढुल, हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य बलजीत रेढू, जींद से पूर्व में कांग्रेस प्रत्याशी रहे प्रमोद सहवाग इत्यादि जींद जिला के नेताओं का नाम सोनीपत लोकसभा सीट से कांग्रेस की टिकट के दावेदारों में है।
भाजपा टिकट के लिए जींद जिला के दावेदारों में भाजपा जिलाध्यक्ष राजू मोर व प्रदेश प्रवक्ता कर्मवीर सैनी का नाम चर्चा में बताया जा रहा है।
कांग्रेस भी गैर-जाट पर खेल सकती है दाव
जिस तरह से सोनीपत पार्लियामेंट के समीकरण बने हुए हैं, उसे देखते हुए यह लगभग तय है कि भाजपा मौजूदा सांसद रमेश चंद्र कौशिक पर इस बार दाव नहीं खेलेगी। हालांकि 2014 और 2019 में कौशिक चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। 1984 में सोनीपत से कांग्रेस के उम्मीदवार धर्मपाल सिंह मलिक ने कद्दावर नेता चौ़ देवीलाल को 2941 वोटों के अंतर से मात दी थी।
इसी तरह 2019 में भाजपा के रमेश कौशिक ने कद्दावर नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को 1 लाख 64 हजार 864 वोटों के अंतर से हराया। सोनीपत लोकसभा सीट ने 1996 में डॉ़ अरविंद शर्मा निर्दलीय चुनाव लड़े और तत्कालीन समता पार्टी के रिजक राम को 49 हजार 540 वोटों के अंतर से हराकर विजय हासिल की।
1998 में अरविंद ने शिवसेना की टिकट पर किस्मत आजमाई लेकिन इस बार उन्हें करानी हार का मुंह देखना पड़ा। सोनीपत से जीत की हैट्रिक लगाने का रिकार्ड किशन सिंह सांगवान के नाम दर्ज है। बहरहाल, दोनों प्रमुख पार्टियां इस सीट को लेकर जातिगत समीकरण साधने की कोशिश में हैं। भाजपा की तरह ही कांग्रेस भी सोनीपत को लेकर दुविधा में है।
भाजपा गलियारों में पहलवान योगेश्वर दत्त का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। राई विधायक मोहन लाल बड़ौली का नाम भी पैनल में है। चर्चा हैं कि अगर डॉ़ अरविंद शर्मा की रोहतक से टिकट कटती है तो उन्हें सोनीपत शिफ्ट किया जा सकता है। वहीं कांग्रेस भी सोनीपत से गैर-जाट चेहरे पर दाव खेल सकती है। समीकरण सही बैठे तो किसी ब्राह्मण को सोनीपत के रण से उतारा जा सकता है।
सोनीपत के ‘चौधरी’
सोनीपत सीट 1977 में बनी। 1977 में मुखत्यार सिंह जनता पार्टी की टिकट पर और 1980 में चौ. देवीलाल जनता पार्टी से संसद पहुंचे। 1984 में कांग्रेस के धर्मपाल सिंह मलिक, 1989 में जनता दल के कपिल देव शास्त्री ने चुनाव जीता। 1991 में कांग्रेस के धर्मपाल सिंह मलिक, 1996 निर्दलीय डॉ़ अरविंद शर्मा, 1998 में हलोदरा से किशन सिंह सांगवान ने चुनाव जीता।
इसके बाद सांगवान ने 1999 और 2004 में भाजपा टिकट पर चुनाव जीतने में सफलता हासिल की। 2009 में कांग्रेस के जितेंद्र मलिक, उसके बाद 2014 और 2019 में रमेश चंद्र कौशिक ने सोनीपत में कमल खिलाया।