Ahoi Ashtami 2023 पर Karnal में क्या है शुभ मुहूर्त, तारों को देखने का समय और कब होगा चंद्रोदय

Ahoi Ashtami 2023 vrat puja muhurat of Karnalकरनाल, इंद्री, असंध, घरौंडा और नीलोखेडी में अहोई अष्टमी पर पूजा के लिए शुभ समय 05 नवंबर शाम को शाम 05 बजकर 42 मिनट से लेकर शाम 07 बजे तक रहेगा। आज के लेख में हम आपको बताएंगे कि अहोई अष्टमी पर तारों को देखने का समय (ahoi ashtami taro ko dekhne ka samay) क्या है। साथ ही चंद्रोदय का समय (Ahoi Ashtami Chandrodaya Samay 2023) रात 11 बजकर 45 मिनट पर है। 
 

Ahoi Ashtami Karnal muhurat 2023 time vrat puja vidhi : इस बार अहोई अष्टमी पर करनाल में चांद निकलने का सही समय 11 बजकर 45 मिनट पर है। आपके शहर (Ahoi Ashtami Indri Moon Rising Time) की बात करें तो वहां भी लगभग इसी समय पर चंद्रमा निकलेगा। अहोई अष्टमी पर चांद का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है। हम आपको आपके शहर में चंद्रोदय (Assandh Ahoi Ashtami chandrodaya samay 2023) का सही और सटीक समय इस लेख में बताएंगे। साथ ही (Gharaunda Ahoi Ashtami par chand kab niklega) अहोई अष्टमी पर कब निकलेगा चांद? (Nilokhedi Ahoi Ashtami ka chand timing 2023) जानें चंद्रोदय समय (Ahoi Ashtami moonrise time of Nissing), पूजा मुहूर्त, मंत्र, अर्घ्य विधि।

Karnal में अहोई अष्टमी पूजा का मुहूर्त 2023

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 05 नवंबर को देर रात 12 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी। समापन 6 नवंबर को देर रात 03 बजकर 18 मिनट पर होगा. पूजा के लिए शुभ समय शाम 05 बजकर 42 मिनट से लेकर शाम 07 बजे तक का रहेगा। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, महिलाएं अहोई अष्टमी के पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम के समय तारों को अर्घ्य देती है। इसके बाद ही पारण करती है। कुछ महिलाएं चंद्रमा को भी अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं।

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Ahoi Ashtami तारों को देखने का समय Karnal

अहोई अष्टमी के दिन शाम 5 बजकर 58 मिनट से तारों को देखकर माताएं करवे से अर्घ्य देकर व्रत खोल सकती हैं।

अहोई अष्टमी चंद्रोदय समय करनाल

चंद्रोदय का समय रात 11 बजकर 45 मिनट पर है।

अहोई अष्टमी व्रत विधि

अहोई व्रत करने वाली माताएं प्रात: उठकर स्नान करने के बाद पूजा पाठ करके अपनी संतान की दीर्घायु और सुखमय जीवन हेतु कामना करती हैं। व्रती महिलाएं माता अहोई से प्रार्थना करती हैं कि हे माता मैं अपनी संतान की उन्नति, शुभता और आयु वृद्धि के लिए व्रत कर रही हूं। इस व्रत को पूरा करने की आप मुझे शक्ति दें. यह कहकर व्रत का संकल्प लें, एक मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से संतान की आयु में वृद्धि, स्वास्थ्य और सुख प्राप्त होता है। इस दिन माता पार्वती की पूजा भी की जाती है क्योंकि माता पार्वती भी संतान की रक्षा करने वाली माता कही गई हैं। 

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पूजा विधि

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अहोई अष्टमी के दिन प्रात काल उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद साफ-सुथरा वस्त्र धारण करके दीवार पर अहोई माता की तस्वीर बनाएं। इसके बाद रोली, चावल और फूलों से माता की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद कलश में जल भरें और माता अहोई अष्टमी की कथा सुने। कथा सुनने के बाद मिठाई या हलवा पूरी का भोग लगाएं। उसके बाद मां अहोई अष्टमी की आरती करें और मंत्रों का जाप करें। इसके बाद रात्रि के समय तारे देखकर ही अर्घ्य दें।

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अहोई अष्टमी नियम 

उपवास करने वाली स्त्रियों को व्रत के दिन क्रोध करने से बचना चाहिए और उपवास के दिन मन में बुरा विचार लाने से व्रत के पुण्य फलों में कमी होती है। इसके साथ ही व्रत वाले दिन, दिन की अवधि में सोना नहीं चाहिए। अहोई माता की पूजा करने के लिए अहोई माता का चित्र गेरुए रंग से बनाया जाता है। इस चित्र में माता, सेह और उनके सात पुत्रों को अंकित किया जाता है। संध्या काल में इन चित्रों की पूजा की जाती है। 

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