Agriculture News: हरियाणा कृषि विभाग बीज, कीटनाशक, खाद के सैंपल टारगेट को पूरा करने में असफल रहा

Haryana Agriculture Department: निर्धारित टारगेट को पूरा नहीं करने पाने से मिलावटखोरों के हौसले बढ़े, किसान और अन्न खा रहे लोग भुगत रहे परिणाम। कृषि विभाग की कार्यशैली सवालों के घेरे में , खुद के निर्धारित टारगेट से कम 20 से 25 फीसद सैंपल कम लिए विभाग ने। 
 

Haryana News Post, (चंडीगढ़) हरियाणा में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से किसानों को दवा, खाद व बीज मुहैया कराया जाता है। इसके लिए विभाग ने अलग अलग जिलों में विक्रेताओं को लाइसेंस दिए हैं। विभाग की कोशिश है कि  किसानों को बेहतर क्वालिटी का बीज, कीटनाशक व खाद मुहैया करवाई जाए और ऐसा होने का दावा भी किया जाता है।

लेकिन इसके उलट क्वालिटी का बीज, कीटनाशक व खाद की क्वालिटी पैमाने पर खरा नहीं उतरती। क्वालिटी को सुनिश्चित करने के लिए विभाग द्वारा नियमित सैंपल लेने का दावा किया जाता है। लेकिन धरातल पर स्थिति  ये है कि विभाग क्वालिटी का बीज, कीटनाशक व खाद के सैंपल लेने के सालाना टारगेट को पूरा ही नहीं कर पा रही है।

हर साल विभाग अपने निर्धारित टारगेट से कम से कम 20 से 25 फीसद कम सैंपल भर पा रहा है। हालांकि इसके कारण अलग अलग हो सकते हैं लेकिन ये अपने आप में चिंता का विषय है क्योंकि दिक्कतों से जूझ रहे किसान वर्ग को इसका नुकसान उठाना पड़ता है। 

साल दर साल निर्धारित सैंपल भरने में फेल रहा 

विभाग से प्राप्त आंकड़ों में खुलासा हुआ है कि विभाग बीज, खाद और कीटनाशकों के हर साल निर्धारित से 25 से 30 फीसद सैंपल कम भरे हैं। विभाग ने साल 2019-20 में तीनों के 10258 सैंपल भरने के लक्ष्य रखा था लेकिन विभाग महज 7530 सैंपल भर पाया।

इस लिहाज से 27 फीसद कम सैंपल लिए गए। साल 2020-21 में तीनों के 10250 सैंपल लेने का टारगेट निर्धारित किया गया लेकिन 7352 सैंपल भी लिए गए और इस तरह से करीब 28 फीसद कम सैंपल भरे गए ।

फिर साल 2021-22 में विभाग ने तीनों के 10260 सैंपल लेने का लक्ष्य रखा और महज 8010 सैंपल भी लिए गए। इस तरह से इस साल करीब 22 फीसद कम सैंपल भरे गए। इसके बाद साल 2022-23 में 10089 सैंपल लेने का टारगेट रखा गया औऱ इनमें से महज 7689 सैंपल ही भरे गए। इस तरह से इस साल खाद, बीज, कीटनाशक के करीब 24 फीसद सैंपल कम लिए गए। 

पेस्टीसाइड के सैंपल निर्धारित टारगेट से 20 फीसद कम रहे

प्राप्त जानकारी में सामने आया कि 4 साल के आंकड़ों में विभाग ने पेस्टीसाइड के निर्धारित टारगेट से 20 फीसद कम सैंपल भरे हैं। साल 2019- से लेकर 2022-23 की अवधि के दौरान विभाग ने पेस्टीसाइड के 10500 भरने के लिए लक्ष्य रखा था लेकिन इन चार सालों में विभाग ने 8399 सैंपल भरे । इस लिहाज से विभाग चार साल की अवधि में निर्धारित टारगेट में से 79.90 फीसद सैंपल भी भर पाया।

विभाग ने साल 2019-20 में 2626, 2020-21 में 2625, 2021-22 में 2625 और 2022-23 में 2625 सैंपल लिए जाने का टारगेट रखा था लेकिन निर्धारित टारेगट में से उपरोक्त सालों में क्रमश 2144, 2079, 2139 और 2097 सैंपल ही पेस्टीसाइड के लिए लिए। कुल 10500 सैंपल में से चार साल की अवधि में 8399 सैंपल लिए गए हैं। 

चार साल में बीज के सैंपल 25 फीसद कम भरे

विभाग ने बीज के सैंपल लेने के लिए जो टारगेट रखा था, उससे 25 फीसद कम सैंपल चार साल की अवधि में विभाग ने भरे हैं। विभाग ने 2019-20, 2020-21, 2121-22 और 2022-23 में हर साल 2626 सैंपल लेने का टारगेट रखा था लेकिन इस अवधि में विभाग ने सालवार 2892, 2786, 3251 और 3040 ही सैंपल भरे। इस लिहाज से विभाग द्वारा चार साल के निर्धारित 15864 सैंपल टारगेट में से 11969 सैंपल भी भर पाया। इस लिहाज से विभाग निर्धारित टारगेट में से 75 फीसद सैंपल ही ले पाया।

खाद के 29 फीसद सैंपल कम भरे 

वहीं खाद के सैंपल की बात करें तो ये भी निर्धारित टारगेट से कम भरे गए हैं। विभागीय आंकड़ों में सामने आया है कि विभाग ने चार साल की अवधि के दौरान 2019-20, 2020-21, 2121-11 और 2022-23 में हर साल 3825 खाद के सैंपल लेने का टारगेट रखा था लेकिन विभाग इन चार सालों की अवधि क्रमश 2494, 2477, 2620 और 2552 बीज के सैंपल भी भर पाया। इस लिहाज से निर्धारित 15300 बीज सैंपल टारगेट में से 10861 सैंपल भरे गए और कुल टारगेट में से 29  फीसद कम सैंपल भरे गए। 

गलती विभाग की, नुकसान अन्न खाने वाले व किसान उठाएं

नियमों को ताक पर रखते हुए व्यापक पैमाने पर काफी विक्रेता निम्न स्तर का बीज, कीटनाशक व खाद किसानों को बेचते हैं। इससे न केवल किसानों को फसलों में नुकसान होता है, बल्कि अन्न की गुणवत्ता भी इससे प्रभावित होती है। इसी के मद्देनजर विभाग हर साल खाद, बीज व कीटनाशक के सैंपल  लेता है लेकिन चीजें उम्मीदों के अनुरूप घटित नहीं हो रही हैं और निर्धारित टारगेट के तहत सैंपल लेने का काम नहीं हो रहा है।

ये भी बता दें कि शिकायत मिलने या रूटीन में विभाग की तरफ से समय समय पर गुण नियंत्रक निरीक्षक के नेतृत्व में गठित टीम द्वारा उक्त चीजों के सैंपल लिए जाते है। सैंपल को प्रदेश की अलग अलग जिलों में स्थित लैब में जांच के लिए भेजा जाता है।

लैब से सैंपल फेल होने पर विभागीय उच्च अधिकारियों से परमिशन के बाद संबंधित कंपनी और डीलर के खिलाफ कोर्ट में केस दायर किया जाता है। इसमें जुर्माने के साथ सजा तक का प्रावधान है।

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