Guru Chandal Yoga: कहीं आपकी कुंडली में तो नहीं ये योग, जानिए दुष्प्रभावों को कैसे करें कम?

ज्योतिष शास्त्र में कई अशुभ योगों की चर्चा की गई है उनमें एक गुरु चंडाल योग है जो गुरु के अशुभ प्रभाव में होने पर किसी व्यक्ति की कुंडली में बनता है। अपने नाम के अनुसार यह योग लोगों को कष्ट देने वाला है.
 

Haryana News Post :  ज्योतिष शास्त्र में कई अशुभ योगों की चर्चा की गई है उनमें एक गुरु चंडाल योग है जो गुरु के अशुभ प्रभाव में होने पर किसी व्यक्ति की कुंडली में बनता है।

अपने नाम के अनुसार यह योग लोगों को कष्ट देने वाला है। इस योग के कारण जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों को कठिनाई आती है। देखिए यह अशुभ गुरु चांडाल योग कैसा बनता है, कैसा है इस योग का प्रभाव, कैसे बचें इस इस अशुभ गुरु चांडाल योग से।

इस तरह बनता है गुरु चांडाल योग

आपकी जन्मपत्री में किसी भी भाव में राहु के साथ गुरु स्थित होने पर गुरु चांडाल नामक योग बनता है। यह योग जिस भाव में होता है यानी कुंडली के जिस घर में होता है उस भाव के शुभ फलों में कमी कर देता है। वैसे कुंडली के अलग-अलग भावों में इसका फल थोड़ा बदल जाता है। यहां पर देखने वाली बात यह भी होती है कि गुरु और राहु के अंश और वह किस राशि में स्थित हैं। अगर गुरु की डिग्री पॉवरफुल है तो यह योग कमजोर हो जाता है। ऐसी स्थिति में यह अशुभ योग कुंडली में होने पर बहुत प्रतिकूल नहीं होता है।

गुरु चांडाल के लक्षण 

यदि कुंडली में गुरु चांडाल योग बने तो व्यक्ति को किसी भी काम में सफलता नहीं मिलती है। उसकी हर कोशिश बेकार ही जाती है। ऐसे जातक बेवजह किसी कानूनी पचड़े में फंस जाते हैं और धन हानि, मान हानि का सामना करते हैं। ऐसे लोगों की मैरिड लाइफ भी अच्छी नहीं रहती है। नौकरी या व्यापार जो भी करें उसमें हानि ही होती है या बार-बार रोजगार छिन जाता है। इस कारण व्यक्ति को बार-बार अपना काम-काज बदलना पड़ता है।

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गुरु चांडाल योग का प्रभाव

जब किसी व्यक्ति की कुंडली के लग्न में गुरु और राहु साथ बैठे हों तो ऐसा व्यक्ति पूजा- पाठ में रुचि नहीं रखता है। यह भोग विलास में ज्यादा रुचि लेते हैं। इनकी पूजा पाठ भी होता है तो बस दुनिया को दिखाने के लिए कि यह भी पूजा पाठ करते हैं। जातक भ्रमित और शक्की हो सकता है

। वहीं अगर यह योग दूसरे भाव (धन भाव) में हो तो व्यक्ति की खानपान की आदतें ठीक नहीं होंगी। ऐसे लोग सिगरेट, गुटखा के शौकीन हो सकते हैं। कुंडली के पंचम भाव में यह योग अगर बनता है तो जातक को उच्च शिक्षा में बाधा का सामना करना पड़ता है या यूं कहे कि उच्च शिक्षा अधूरी रह जाती है। अगर कुंडली में अन्य शुभ ग्रहों का इन्हें सहयोग मिल पाता है।

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दुष्प्रभाव को कम करने के उपाय

गुरु चांडाल योग के बुरे असर को कम करने के लिए रोजाना केसर और हल्दी का तिलक लगाएं। कुंडली में देवगुरु बृहस्पति को मजबूत करने के लिए बड़े-बुजुर्गों, माता-पिता, शिक्षकों और ब्राह्मणों का सम्मान करें। भगवान विष्णु की पूजा करें। घर में केले का पौधा लगाकर रोजाना उसकी पूजा करना चांडाल योग से राहत पाने का बहुत अच्छा उपाय है। इसके अलावा राहु मंत्रों का जाप करें। प्रत्येक मंगलवार को हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ कीजिए।


राहु ग्रह के मंत्र ओम रां राहवे नम: का जप करें। बहते हुए जल में सात बुधवार सूखा नारियल प्रवाहित करें। राहु संबंधित वस्तुओं का दान करें।