यह रत्न 30 दिन में दिखाने लगता कमाल, जानिए इसके लाभ?
Haryana News Post : पुखराज देवताओं के गुरु बृहस्पति का रत्न माना जाता है। इसलिए ये सबसे अधिक सूट बृहस्पति की राशि धनु और मीन वालों को करता है। जिन जातकों की कुंडली में गुरू ग्रह पीड़ित हो उन्हें पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है।
कहते हैं कि इस रत्न को पहनने से मान-सम्मान में वृद्धि होती है। लेकिन ज्योतिष अनुसार अगर ये रत्न सूट न करे तो इसके गंभीर परिणाम जल्द देखने को मिलते हैं। वहीं ध्यान रखें कि रत्न हमेशा ज्योतिष की सलाह से धारण करें। तो चलिए जानते हैं पुखराज रत्न किन राशि वालों को कब और क्यों धारण करना चाहिए।
पुखराज रत्न के लाभ
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आपको बता दें पुखराज पीले रंग का एक बहुत ही मूल्यवान रत्न है जो कि बृहस्पति ग्रह को मजबूत करने के लिए पहना जाता है। पुखराज रत्न तभी आपको फायदा करेगा जब वह आपकी कुंडली के हिसाब से अनुकूल हो। वैसे तो पुखराज कई रंगों के हो सकते हैं लेकिन बृहस्पति के लिये पीले रंग के पुखराज को धारण किया जाता है।
मान्यता है कि इस रत्न को पहनने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। शिक्षा और करियर के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। विवाह में आ रही बाधाएं दूर होने लगती हैं। प्रशासनिक अधिकारियों, शिक्षकों, वकीलों, न्यायधीशों व राजनेताओं के लिए ये रत्न वरदान साबित हो सकता है।
इन राशियों के लोग पहन सकते हैं पुखराज?
रत्न शास्त्र मुताबिक अगर पुखराज किसी जातक को सूट कर जाए। तो वे 30 दिन में असर दिखाने लगता है। पुखराज रत्न बृहस्पति का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में बृहस्पति के स्वामित्व वाली राशियां धनु और मीन राशि के जातकों के लिए ये वरदान के समान है। वहीं, मेष, कर्क, सिंह और वृश्चिक राशि के जातक भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं।
ये राशि के लोग भूलकर भी न पहनें
ज्योतिष शास्त्र में रत्न हमेशा ज्योतिष की सलाह से धारण करना चाहिए। ऐसे में पुखराज रत्न वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ राशि वालों को भूलकर भी धारण नहीं करना चाहिए। कुथ परिस्थितियों में ही इन राशि के जातकों को ये धारण करने की सलाह दी जाती है। लेकिन कोई भी रत्न धारण करने से पहले एक बार अपने ज्योतिष से सलाह अवश्य ले लें।
पुखराज धारण करने की विधि
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इस रत्न को गुरुवार के दिन धारण किया जाता है। इसे धारण करने से पहले पीली वस्तुओं जैसे केला, पीले वस्त्र, हल्दी इत्यादि चीजों का दान जरूर कर लेना चाहिए। पुखराज सवा 5, सवा 9 या फिर सवा 12 रत्ती की मात्रा में धारण करना लाभकारी माना जाता है। इसे धारण करने से पहले किसी विद्वान ज्योतिषी से इसकी विधिवत पूजा करा लेनी चाहिए।
कहते हैं कि ये रत्न गुरुवार के दिन सोने या चांदी की अंगूठी में धारण किया जाता है। इससे धारण करने से पहले इसे गंगाजल और दूध से शुद्ध कर लें। गुरुवार के दिन सूर्योदय के बाद स्नान आदि करके इसे अपने दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली में धारण करने से लाभ होता है।