Bihar Board 12th Result 2025: बिहार बोर्ड 12वीं रिजल्ट 2025 में टॉपर्स वेरिफिकेशन की प्रक्रिया क्यों है जरूरी, जानें पूरा सच

Bihar Board 12th Result 2025: टॉपर्स वेरिफिकेशन कैसे होता है?
इस प्रक्रिया में सबसे पहले उन छात्रों को चुना जाता है जो परीक्षा में सबसे ज्यादा अंक लाते हैं। इसके बाद बिहार बोर्ड के ऑफिस से उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर कॉल करके एक निश्चित तारीख दी जाती है। फिर इन छात्रों को पटना स्थित बोर्ड ऑफिस में बुलाया जाता है। यहां विशेषज्ञों और अधिकारियों की टीम उनके साथ बातचीत करती है और एक छोटा टेस्ट लेती है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी छात्र गलत तरीके से टॉपर्स की लिस्ट में शामिल न हो।
वेरिफिकेशन की पूरी प्रक्रिया
सबसे पहले छात्र की कॉपी को दोबारा जांचा जाता है ताकि कोई गलती न रह जाए। इसके बाद एक मौखिक इंटरव्यू होता है जिसमें उनके पेपर से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं। अगर जरूरत पड़ी तो लिखित सवाल भी हल करने को कहा जा सकता है। छात्रों के जवाब और प्रदर्शन के आधार पर ही उनके अंतिम अंक तय किए जाते हैं। यह प्रक्रिया न सिर्फ पारदर्शिता लाती है बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता को भी बनाए रखती है।
टॉपर्स वेरिफिकेशन की शुरुआत कब हुई?
यह प्रक्रिया साल 2016 से शुरू हुई थी। उस साल 12वीं कक्षा की ह्यूमेनिटीज टॉपर रूबी राय चर्चा में आई थीं। मीडिया से बातचीत में वे अपने विषय का नाम तक नहीं बता पाई थीं। इस घटना ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए थे। इसके बाद बोर्ड ने टॉपर्स की सत्यता जांचने के लिए यह कदम उठाया, जो आज तक जारी है। यह प्रक्रिया न केवल छात्रों की मेहनत को सम्मान देती है बल्कि धोखाधड़ी पर भी लगाम लगाती है।
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