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Jasprit Bumrah News: बुमराह के तरकश में आया एक और तीर, जिससे वह बने और भी खतरनाक

Jasprit Bumrah News: बुमराह के तरकश में आया एक और तीर, जिससे वह बने और भी खतरनाक
ICC Ranking: बल्लेबाज़ को जसप्रीत बुमराह की 140 प्लस की रफ्तार की गेंदें लगातार खेलने को मिलती हैं तो वह बिना बदले एक्शन से उनकी 120 या उससे भी कम 115 कि.मी. प्रति घंटे के आस-पास की रफ्तार का अंदाज़ा नहीं लगा पाता। ऐसी गेंदों पर उन्हें खूब विकेट मिलने लगे हैं।

नई दिल्ली। Jasprit Bumrah News : जसप्रीत बुमराह आज दुनिया भर के बल्लेबाज़ों के लिए अबूझ पहेली बने हुए हैं। टेस्ट क्रिकेट में नम्बर वन बनने के साथ ही उन्होंने इतिहास रच दिया। बाकी दो फॉर्मेट में भी वह नम्बर वन बन चुके हैं। वह दुनिया के पहले ऐसे गेंदबाज़ हैं जो अलग-अलग समय में तीनों फॉर्मेट में नम्बर वन बन चुके हैं।

जसप्रीत बुमराह ने इतिहास रच दिया

वैसे विराट कोहली कुछ समय पहले तीनों फॉर्मेट में नम्बर वन बल्लेबाज़ बनने का स्वाद चख चुके हैं लेकिन मैथ्यू हेडन और रिकी पॉन्टिंग उनसे पहले यह कमाल कर चुके हैं इसलिए बुमराह का महत्व विराट की उपलब्धि से भी अधिक है। दूसरे बुमराह तेज़ गेंदबाज़ हैं और उनकी यह क़ामयाबी ऐसे समय में आई है जब दुनिया भर के ज्यादातर खिलाड़ी तीनों फॉर्मेट खेलने से परहेज करने लगे हैं।

दरअसल वक्त के साथ वह अपनी गेंदबाज़ी में कई तरह से इनोवेशन करते हैं। हाल में उन्होंने अपनी स्लोअर गेंदों पर काफी काम किया है। ऐसी गेंदों में न तो उनकी आर्म स्पीड कम होती है, न एक्शन धीमा होता है और उनका रिलीज़ पॉइंट भी बॉडी के आगे रहता है। इससे उन्हें कम से कम चार से पांच सेकंड का लाभ मिलता है।

तीनों फॉर्मेट में उन्होंने पिछले दो वर्षों में मार्श, रिज़वान, स्मिथ और फोक्स के विकेट हासिल किए हैं। उनकी ऐसी गेंदों की खासियत यह है कि वह लगातार अपनी लेंग्थ में बदलाव करते हैं। स्लोअर के लिए शॉर्ट गेंद से परहेज करते हैं लेकिन ज़्यादातर ऐसी गेंदों को वह गुडलेंग्थ या फुल लेंग्थ पर रखते हैं।

जसप्रीत बुमराह की बॉलिंग 

स्लोअर बाउंसर, यॉर्कर, दोनों ओर मूवमेंट जैसे अचूक तीर उनके तरकश में पहले से मौजूद थे। एक सच यह भी है कि बुमराह के पास स्लोअर गेंदों की ज़्यादा विविधता नहीं है। न तो वह नक्क्ल गेंद करते हैं और न ही ज़्यादा लेग कटर। ऑफ कटर ज़रूर उनका बड़ा हथियार है, जिस पर वह अक्सर बल्लेबाज़ को गच्चा देते है।

उनकी गेंदें जब अंदर आती हैं तो बल्लेबाज़ बाहर जाता है और जब गेंदें बाहर की तरफ स्विंग होती हैं तो भी बल्लेबाज़ के बाहर जाने की उम्मीदें बनी रहती हैं। बस दिक्कत यही है कि उनके स्तर का पैनापन इस समय किसी अन्य भारतीय गेंदबाज़ में नहीं है। शमी में ज़रूर है लेकिन वह अभी पूरी तरह फिट नहीं हैं।

सिराज और मुकेश पर कप्तान रोहित का उतना भरोसा नहीं है। वनडे के वर्ल्ड कप में अभी काफी समय है। इसके मद्देनज़र उन्हें इस फॉर्मेट से परहेज करना चाहिए। इंग्लैंड सीरीज़ के बाद आईपीएल है और फिर टी-20 वर्ल्ड कप, जहां बुमराह टीम के लिए ट्रम्प कार्ड साबित हो सकते हैं। इसलिए, उनका इस्तेमाल सोच समझकर ही करना चाहिए। वैसे भी वह लम्बे समय तक इंजरी से उबरने के बाद ही टीम इंडिया में पिछले साल लौटे हैं।

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