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Chaiti Chhath Puja 2025: चैती छठ पूजा सूर्य और छठी मैया की भक्ति में डूबेगा भारत, जानें तारीख और शुभ मुहूर्त

Chaiti Chhath Puja 2025: चैती छठ पूजा सूर्य और छठी मैया की भक्ति में डूबेगा भारत, जानें तारीख और शुभ मुहूर्त
Chaiti Chhath puja kab hai when is Chaiti Chhath puja in 2025: चैती छठ 2025: 1 अप्रैल से शुरू हो रहा यह पर्व सूर्य और छठी मैया को समर्पित है। नहाय-खाय, खरना, और अर्घ्य के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाएगा। 3 अप्रैल को संध्या अर्घ्य (6:40 PM) और 4 अप्रैल को उषा अर्घ्य (6:08 AM) होगा। जानें महत्व और शुभ मुहूर्त।
Chaiti Chhath Puja 2025 date and shubh muhurat: भारत एक ऐसा देश है जहां हर कोने में आस्था की खुशबू बिखरी है और परंपराएं जीवन का हिस्सा हैं। यहाँ हर दिन कोई न कोई त्योहार या धार्मिक अनुष्ठान देखने को मिलता है। इन्हीं खास पर्वों में से एक है छठ पूजा, जो भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ों को दर्शाता है। साल में दो बार मनाया जाने वाला यह महापर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। चैत्र माह में होने वाली छठ को "चैती छठ" कहते हैं, जबकि कार्तिक माह में होने वाली छठ भी अपने आप में खास होती है। खासकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है, और अब तो इसकी चमक देश के दूसरे हिस्सों तक भी फैल चुकी है। तो आइए, इस बार चैती छठ 2025 की तारीखों, शुभ मुहूर्त और इसके महत्व को करीब से जानते हैं।

Chaiti Chhath Puja 2025: कब और कैसे शुरू होगी पूजा?

चैती छठ का यह पावन उत्सव चार दिनों तक चलता है, जिसमें हर दिन का अपना खास महत्व होता है। इस साल यह पर्व 1 अप्रैल 2025 से शुरू हो रहा है। पहले दिन "नहाय-खाय" के साथ शुरुआत होगी, जिसमें श्रद्धालु स्नान कर शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं। इसके बाद 2 अप्रैल को "खरना" होगा, जिसमें दिनभर उपवास के बाद शाम को गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद बनाया जाता है। तीसरे दिन, 3 अप्रैल को डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा, और आखिरी दिन, 4 अप्रैल को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रत का समापन होगा। यह 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत भक्ति और संयम का अनूठा संगम है।

शुभ मुहूर्त: सूर्य को अर्घ्य देने का सही समय

चैती छठ में सूर्य को अर्घ्य देना सबसे अहम रस्म है। इस बार संध्या अर्घ्य का समय 3 अप्रैल को शाम 6:40 बजे होगा, जब सूर्यास्त के साथ श्रद्धालु नदियों और तालाबों के किनारे जुटेंगे। वहीं, उषा अर्घ्य 4 अप्रैल को सुबह 6:08 बजे होगा, जब उगते सूरज की किरणों के साथ व्रत संपन्न होगा। ये समय न सिर्फ पूजा को खास बनाते हैं, बल्कि प्रकृति के साथ तालमेल का भी संदेश देते हैं।

एक त्योहार जो जोड़ता है दिलों को

चैती छठ का उत्सव केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का भी उत्सव है। नदियों के घाटों पर जुटे लोग, भक्ति में डूबे गीत और ठेकुओं की सजावट इस पर्व को यादगार बनाते हैं। अगर आप इस बार चैती छठ का हिस्सा बनना चाहते हैं या इसके बारे में और जानना चाहते हैं, तो तैयार हो जाइए। यह पर्व आपको प्रकृति और परंपरा के करीब लाएगा।

क्यों खास है चैती छठ का पर्व?

चैती छठ सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि आस्था, तपस्या और प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक है। यह पर्व खास तौर पर सूर्य देव की उपासना और छठी मैया से संतान सुख की कामना के लिए जाना जाता है। बिहार और पूर्वी भारत में तो यह जीवन का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन अब नेपाल और देश के अन्य हिस्सों में भी इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है। महिलाएं पवित्र नदियों में स्नान कर, कठोर व्रत रखती हैं और सूर्य को अर्घ्य देती हैं। मान्यता है कि इससे न सिर्फ स्वास्थ्य और समृद्धि मिलती है, बल्कि परिवार में सुख-शांति भी बनी रहती है। यह पर्व आत्म-शुद्धि और संयम का भी संदेश देता है, जो आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में और भी जरूरी हो जाता है।

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