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Cheti Chand 2025: चेटी चंड 2025 भगवान झूलेलाल की जयंती कब मनाई जाएगी, जानें तारीख और महत्व

Cheti Chand 2025: चेटी चंड 2025 भगवान झूलेलाल की जयंती कब मनाई जाएगी, जानें तारीख और महत्व
Jhulelal Jayanti kab hai 2025: चेटी चंड 2025 (Cheti Chand 2025) सिंधी समुदाय का खास पर्व है। भगवान झूलेलाल की जयंती (Jhulelal Jayanti) 30 मार्च को मनाई जाएगी। चेटी चंड डेट 2025 (Cheti Chand Date 2025) के साथ पूजा मुहूर्त शाम 06:38 से 07:45 तक रहेगा। यह त्योहार भक्ति, एकता और संस्कृति का प्रतीक है।

Cheti Chand 2025 date Jhulelal Jayanti ka mahatva kab hai jayanti: सिंधी समुदाय का सबसे खास और पवित्र त्योहार चेटी चंड (Cheti Chand) हर साल बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व भगवान झूलेलाल की जयंती (Jhulelal Jayanti) के रूप में जाना जाता है, जिन्हें सिंधियों का संरक्षक देवता और आस्था का केंद्र माना जाता है। झूलेलाल जी का जन्म चैत्र मास की चंद्र तिथि को हुआ था, इसलिए इस उत्सव को चेटी चंड कहा जाता है।

मान्यता है कि वे जल के देवता वरुण के अवतार हैं और अपने भक्तों को सत्य, प्रेम, अहिंसा और भाईचारे का संदेश दिया। ये मूल्य आज भी सिंधी समाज के जीवन का आधार हैं। इस दिन भक्त खास पूजा करते हैं, लकड़ी का छोटा मंदिर बनाते हैं और उसमें बहिराणा साहब नाम की ज्योति जलाते हैं। भजन, शोभायात्रा और रंगारंग सांस्कृतिक आयोजन इस पर्व को और खास बनाते हैं। तो आइए, जानते हैं कि 2025 में चेटी चंड (Cheti Chand Date 2025) कब मनाया जाएगा और इसका महत्व क्या है।

चेटी चंड 2025 की तारीख (Cheti Chand Date 2025)

सिंधी समुदाय हर साल इस पर्व को श्रद्धा और जोश के साथ मनाता है। साल 2025 में चेटी चंड 30 मार्च को पड़ेगा, जो रविवार का दिन होगा। इस दिन भगवान झूलेलाल की जयंती का उत्सव होगा, जो सिंधियों के लिए सबसे बड़ा धार्मिक अवसर है।

चेटी चंड 2025 का पूजा मुहूर्त (Cheti Chand 2025 Muhurat)

  • प्रतिपदा तिथि शुरू: 29 मार्च 2025, दोपहर 04:27 बजे
  • प्रतिपदा तिथि खत्म: 30 मार्च 2025, दोपहर 12:49 बजे
  • पूजा का शुभ समय: 30 मार्च, शाम 06:38 से 07:45 बजे तक

इस समय भक्त झूलेलाल जी की पूजा-अर्चना करते हैं और उनके प्रति अपनी भक्ति प्रकट करते हैं।

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झूलेलाल जयंती का महत्व (Jhulelal Jayanti ka Mahatva)

झूलेलाल जयंती सिंधी समाज के लिए आस्था और एकता का प्रतीक है। इसे चेटी चंड के नाम से भी पहचाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सिंध क्षेत्र में मिरखशाह नामक क्रूर शासक ने लोगों को जबरन धर्म बदलने के लिए मजबूर किया, तब भक्तों की पुकार पर भगवान झूलेलाल अवतरित हुए। उन्होंने न सिर्फ धर्म की रक्षा की, बल्कि समाज में शांति और भाईचारा स्थापित किया। इस दिन लोग शोभायात्राएं निकालते हैं, भजन गाते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं। यह त्योहार प्राचीन काल से ही सिंधी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है और आज भी उतनी ही श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

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