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Durga Chalisa Path Lyrics in Hindi: दुर्गा चालीसा 'नमो नमो दुर्गे सुख करनी' से करें मां की भक्ति, जानें पाठ और फायदे

Durga Chalisa Path Lyrics in Hindi: दुर्गा चालीसा 'नमो नमो दुर्गे सुख करनी' से करें मां की भक्ति, जानें पाठ और फायदे
Durga Chalisa ke Hindi lyrics: चैत्र नवरात्रि 2025 में "नमो नमो दुर्गे सुख करनी" से दुर्गा चालीसा का पाठ करें। मां दुर्गा की भक्ति से सुख-समृद्धि मिलेगी। पाठ विधि: लाल वस्त्र, दीपक, फूल चढ़ाएं। यह दुख हरता है, शक्ति देता है। हिंदू धर्म में शुभ।
Durga Chalisa Path Lyrics in Hindi: हिंदू धर्म में मां दुर्गा को शक्ति, करुणा और कल्याण की देवी माना जाता है। उनकी पूजा से जीवन में हर कमी दूर हो जाती है और सुख-समृद्धि का आलम छा जाता है। खास तौर पर चैत्र नवरात्रि, जो 30 मार्च 2025 से शुरू हो रही है, मां की भक्ति का सबसे शुभ समय है। इस दौरान दुर्गा चालीसा का पाठ पूजा को पूरा करता है। कहते हैं, जो सच्चे मन से इसे गाता है, उसके सारे दुख मिट जाते हैं और घर में खुशहाली आती है। आइए, मां दुर्गा चालीसा के बोल, इसके लाभ और पाठ की आसान विधि को जानते हैं।

Durga Chalisa Path Lyrics in Hindi: दुर्गा चालीसा के बोल

दुर्गा चालीसा की शुरुआत होती है:
"नमो नमो दुर्गे सुख करनी, नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी" - यह पंक्ति मां को सुख देने वाली और दुख हरने वाली शक्ति के रूप में नमन करती है। आगे बढ़ते हैं:
"निरंकार है ज्योति तुम्हारी, तिहूँ लोक फैली उजियारी"- यह मां की दिव्य ज्योति को बयां करता है। हर चौपाई मां के रूप और शक्ति की कहानी कहती है, जैसे:
"रूप कराल कालिका धारा, सेन सहित तुम तिहि संहारा"- जो महिषासुर के वध को याद दिलाती है। अंत में:
"श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै, सब सुख भोग परमपद पावै"- यह वादा करती है कि मां की भक्ति से सुख और मोक्ष मिलता है। इसे गाकर मां को याद करें और उनकी कृपा पाएं।

श्री दुर्गा चालीसा : Durga Chalisa In Hindi

नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥

शशि ललाट मुख महाविशाला ।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥

रूप मातु को अधिक सुहावे ।
दरश करत जन अति सुख पावे ॥ ४

तुम संसार शक्ति लै कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी ।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥ ८

रूप सरस्वती को तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।
परगट भई फाड़कर खम्बा ॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।
श्री नारायण अंग समाहीं ॥ १२

क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।
दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।
महिमा अमित न जात बखानी ॥

मातंगी अरु धूमावति माता ।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी ।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥ १६

केहरि वाहन सोह भवानी ।
लांगुर वीर चलत अगवानी ॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै ॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।
तिहुँलोक में डंका बाजत ॥ २०

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ।
रक्तबीज शंखन संहारे ॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी ।
जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥

रूप कराल कालिका धारा ।
सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥

परी गाढ़ सन्तन पर जब जब ।
भई सहाय मातु तुम तब तब ॥ २४

अमरपुरी अरु बासव लोका ।
तब महिमा सब रहें अशोका ॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।
तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥ २८

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥

शंकर आचारज तप कीनो ।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥

शक्ति रूप का मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछितायो ॥ ३२

शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।
जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो ।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥

आशा तृष्णा निपट सतावें ।
मोह मदादिक सब बिनशावें ॥ ३६

शत्रु नाश कीजै महारानी ।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥

करो कृपा हे मातु दयाला ।
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥

जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥

श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।
सब सुख भोग परमपद पावै ॥ ४०

देवीदास शरण निज जानी ।
कहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥

॥दोहा॥
शरणागत रक्षा करे,
भक्त रहे नि:शंक ।
मैं आया तेरी शरण में,
मातु लिजिये अंक ॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा ॥

मां की उत्पत्ति और महत्व

शास्त्रों में कहा गया है कि मां दुर्गा की उत्पत्ति धर्म और संसार को बचाने के लिए हुई थी। वह न सिर्फ दानवों का संहार करती हैं, बल्कि भक्तों के जीवन से हर संकट को मिटाती हैं। चाहे वह नरसिंह रूप में प्रह्लाद की रक्षा हो या लक्ष्मी रूप में जगत को समृद्ध करना—मां हर रूप में कल्याणकारी हैं। इसलिए रोजाना दुर्गा चालीसा का पाठ करना शुभ है। यह नकारात्मकता को दूर करता है, मन को शक्ति देता है और परिवार में सुख लाता है।

दुर्गा चालीसा की सरल विधि

मां को प्रसन्न करने के लिए दुर्गा चालीसा का पाठ आसान और प्रभावी तरीका है। सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और लाल वस्त्र पहनें। पूजा स्थान पर मां की मूर्ति के नीचे लाल कपड़ा बिछाएं। घी का दीपक जलाएं, धूप करें और सिंदूर, चंदन, लाल फूल चढ़ाएं। फिर सच्चे मन से चालीसा का पाठ करें। हर शब्द को भाव के साथ गाएं, और मां से अपनी मनोकामना मांगें। यह विधि आपकी भक्ति को मां तक पहुंचाएगी। इस चैत्र नवरात्रि में दुर्गा चालीसा को अपनी पूजा का हिस्सा बनाएं। यह न सिर्फ मां को खुश करेगा, बल्कि आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाएगा। तो मां के चरणों में श्रद्धा अर्पित करें और "नमो नमो दुर्गे" के साथ अपनी भक्ति शुरू करें।

पाठ के फायदे: दुखों का अंत, सुखों की शुरुआत

दुर्गा चालीसा सिर्फ एक भजन नहीं, बल्कि जीवन को बदलने वाली प्रार्थना है। इसे गाने से आर्थिक तंगी दूर होती है, मानसिक तनाव कम होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है। मां की कृपा से हर मुराद पूरी होती है—चाहे वह नौकरी की तलाश हो या घर की शांति। यह पाठ भक्तों को जन्म-मरण के चक्र से भी मुक्ति दिलाता है। नवरात्रि में इसे गाना और भी फलदायी माना जाता है।

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