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Gangaur Banane ka Tarika: गणगौर 2025 घर पर मिट्टी से बनाएं इसर-गौरी की मूर्तियां, जानें आसान और शुभ तरीका

Gangaur Banane ka Tarika: गणगौर 2025 घर पर मिट्टी से बनाएं इसर-गौरी की मूर्तियां, जानें आसान और शुभ तरीका
Gangaur Banane Ki Vidhi, Gangaur banane ki vidhi photo images: गणगौर 2025 में घर पर मिट्टी से इसर-गौरी की मूर्तियां बनाएं। विधि: शुद्ध मिट्टी से शरीर, सिर, हाथ गढ़ें, सूखाकर रंग करें। 31 मार्च को विसर्जन। चैत्र नवरात्रि का यह पर्व पूजा और परंपरा को खास बनाता है।
Ghar par mitti se Gangaur banane ka tarika: गणगौर का पर्व राजस्थान की संस्कृति का अनमोल हिस्सा है, जो 31 मार्च 2025 को अपने चरम पर होगा। इस दिन महिलाएं मिट्टी से इसर जी (शिव) और गौरी जी (पार्वती) की मूर्तियां बनाकर पूजा करती हैं, फिर विसर्जन के साथ उत्सव पूरा करती हैं। कुछ लोग बाजार से मूर्तियां लाते हैं, लेकिन घर पर मिट्टी से इन्हें बनाना एक खास अनुभव है। अगर आप भी इस बार अपनी गणगौर को हाथों से आकार देना चाहती हैं, तो आइए जानते हैं इसे बनाने का आसान और शुभ तरीका—जो न सिर्फ सरल है, बल्कि आपकी भक्ति को भी बढ़ाएगा।

Gangaur Banane ka Tarika: मिट्टी और पानी शुद्धता से शुरूआत

गणगौर की मूर्तियां बनाने के लिए सबसे जरूरी है शुद्ध मिट्टी और साफ पानी। ऐसी मिट्टी चुनें जो साफ जगह से ली गई हो, ताकि पूजा का पवित्र भाव बना रहे। इसके साथ कुछ छोटी लकड़ियां या टूथपिक लें, जो मूर्तियों को जोड़ने में मदद करेंगी। यह तैयारी जितनी साधारण है, उतनी ही खास क्योंकि इसमें आपकी श्रद्धा झलकती है।

गौरी जी की मूर्ति: प्यार से गढ़ें

गौरी जी की मूर्ति बनाने के लिए थोड़ी मिट्टी लें और उसे गोलाकर शरीर का आकार दें। फिर उंगलियों से सिर बनाएं, जिसमें चेहरा उभर सके। इसके बाद दोनों तरफ हाथ जोड़ें—एक को प्रणाम की मुद्रा में और दूसरा आशीर्वाद देते हुए। मिट्टी को नरम रखने के लिए पानी का हल्का छींटा मारते रहें। यह प्रक्रिया जितनी आसान है, उतनी ही भावुक—मानो मां को अपने हाथों से सजाया जा रहा हो।

इसर जी का रूप: शक्ति का प्रतीक

इसर जी यानी शिव की मूर्ति भी उसी तरह बनाएं। मिट्टी से शरीर गढ़ें, सिर बनाएं और हाथ जोड़ें। अगर चाहें तो छोटी लकड़ी से त्रिशूल या डमरू का आकार बनाकर उनके साथ जोड़ दें। दोनों मूर्तियों को एक साथ रखकर देखें—यह जोड़ा प्यार और शक्ति का संगम है। इसे बनाते वक्त मन में भक्ति का भाव रखें, ताकि हर आकार में माता-पिता की छवि उभरे।

सजावट और विसर्जन: पूजा का समापन

मूर्तियां तैयार होने के बाद उन्हें धूप में सूखने दें। सूखने पर रंगों से सजाएं—गौरी जी को लाल चुनरी और इसर जी को पीला रंग दें। ये रंग उनकी दिव्यता को निखारेंगे। पूजा के बाद 31 मार्च को इन्हें नदी या तालाब में विसर्जित करें। यह प्रक्रिया न सिर्फ परंपरा को पूरा करती है, बल्कि पर्यावरण के साथ भी तालमेल रखती है।

गणगौर का खास संदेश

घर पर मिट्टी से गणगौर बनाना सिर्फ एक शिल्प नहीं, बल्कि भक्ति और परिवार का उत्सव है। यह आपको माता-पिता की शक्ति से जोड़ता है और हाथों की मेहनत से पूजा को और सार्थक बनाता है। तो इस बार बाजार की बजाय अपने घर में मूर्तियां गढ़ें—यह अनुभव आपके गणगौर को यादगार बना देगा।

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