1. Home
  2. Dharam

Maa Kalratri Aarti: चैत्र नवरात्रि 2025 सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा, जानें कथा, आरती और शुभ मुहूर्त

Maa Kalratri Aarti: चैत्र नवरात्रि 2025 सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा, जानें कथा, आरती और शुभ मुहूर्त
Maa Kalratri ki aarti: चैत्र नवरात्रि 2025 के सातवें दिन 5 अप्रैल को माँ कालरात्रि की पूजा होगी। नीले कपड़े पहनें, गुड़ का भोग लगाएँ। कथा में रक्तबीज का वध, आरती और मंत्र से माँ की कृपा पाएँ। शुभ मुहूर्त सुबह 6-8 बजे।
Navratri 7th Day Maa Kalratri Aarti lyrics Katha in Hindi: चैत्र नवरात्रि का सातवाँ दिन माँ दुर्गा के सबसे शक्तिशाली रूप, माँ कालरात्रि को समर्पित है। यह दिन भक्तों के लिए खास है, क्योंकि माँ कालरात्रि भय, अज्ञान और दुष्ट शक्तियों को खत्म करने वाली देवी हैं। उनका रूप डरावना हो सकता है, लेकिन भक्तों के लिए वे सुख और सुरक्षा की सौगात लेकर आती हैं। आइए, इस दिन की पूजा विधि, कथा, आरती और मंत्रों के बारे में जानते हैं, ताकि आप माँ की कृपा आसानी से पा सकें।

माँ कालरात्रि का अनोखा स्वरूप

माँ कालरात्रि का रंग श्याम है, चार भुजाओं वाली यह देवी गधे पर सवार होती हैं। उनके एक हाथ में खड्ग और दूसरे में अग्नि की मशाल है, जबकि बाकी दो हाथ आशीर्वाद और अभय का संदेश देते हैं। उनका भयावह रूप दुष्टों का नाश करता है, लेकिन भक्तों के लिए वे शुभंकारी हैं। नवरात्रि के सातवें दिन उनकी पूजा से साहस और आध्यात्मिक शक्ति मिलती है। यह दिन 5 अप्रैल, 2025 को मनाया जाएगा, और भक्त व्रत रखकर माँ से कष्टों से मुक्ति माँगते हैं।

माँ कालरात्रि की पौराणिक कथा

कहानी शुरू होती है जब शुंभ, निशुंभ और रक्तबीज नाम के राक्षसों ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया। देवता मदद के लिए भगवान शिव के पास पहुँचे। शिव ने माता पार्वती से इन दानवों का अंत करने को कहा। माँ पार्वती ने माँ दुर्गा का रूप लिया और सिंह पर सवार होकर युद्ध के लिए निकलीं। शुंभ-निशुंभ को हराने के बाद रक्तबीज की बारी आई। रक्तबीज के पास वरदान था कि उसका खून जमीन पर गिरते ही नए रक्तबीज पैदा होंगे। माँ दुर्गा से माँ कालरात्रि प्रकट हुईं, जिन्होंने रक्तबीज को मारकर उसका खून पी लिया, और इस तरह उसका अंत किया। इस कथा से साफ है कि माँ कालरात्रि असुरी शक्तियों पर विजय का प्रतीक हैं।

Mata Kalratri Ki Aarti

॥ आरती देवी कालरात्रि जी की ॥
कालरात्रि जय जय महाकाली। काल के मुंह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतारा॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा॥
खड्ग खप्पर रखने वाली। दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदन्ता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवे। महाकाली माँ जिसे बचावे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि माँ तेरी जय॥

पूजा विधि और शुभ रंग

सातवें दिन सुबह जल्दी उठें, नहाकर साफ कपड़े पहनें। पूजा स्थल पर चौकी सजाएँ, माँ की मूर्ति या तस्वीर रखें। गंगाजल छिड़कें, दीपक जलाएँ, रोली, अक्षत, फूल और फल चढ़ाएँ। गुड़ का भोग लगाएँ और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। अंत में आरती करें। माँ को नीला रंग पसंद है, इसलिए नीले कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। यह पूजा सुबह 6 से 8 बजे के बीच करने का शुभ मुहूर्त है। मोबाइल यूजर्स के लिए यह जानकारी आसान और तेजी से पढ़ने लायक है।

आरती और मंत्र से पाएँ आशीर्वाद

माँ कालरात्रि की आरती "कालरात्रि जय जय महाकाली, काल के मुंह से बचाने वाली" से शुरू होती है। यह भक्ति और शक्ति का अद्भुत संगम है। मंत्रों में "ॐ कालरात्र्यै नमः" और "जय त्वं देवि चामुण्डे" का जाप करें। गुड़ का हलवा या खीर भोग में चढ़ाएँ, इससे माँ प्रसन्न होती हैं और कष्ट दूर करती हैं। यह पूजा सहस्त्रार चक्र को जागृत करती है, जिससे मन शुद्ध और शांत होता है। माँ की कृपा से सिद्धियाँ और समृद्धि मिलती है।

भक्तों के लिए खास सलाह

5 अप्रैल को माँ कालरात्रि की पूजा के लिए तैयार रहें। नीले कपड़े, गुड़ का भोग और सही विधि से पूजा करें। यह दिन आपके डर को खत्म करने और नई ऊर्जा देने का मौका है। इस जानकारी को अपनों के साथ शेयर करें, ताकि सब माँ का आशीर्वाद पा सकें। माँ कालरात्रि आपके जीवन से हर संकट को दूर करेंगी। 

Chaiti Chhath Maiya Aarti: चैती छठ 2025 छठी मैया की आरती से सजेगा पर्व, जानें महत्व और लिरिक्स


देश दुनिया के साथ ही अपने शहर की ताजा खबरें पाने के लिए अब आपHaryanaNewsPostकेGoogle Newsपेज औरTwitterपेज से जुड़ें और फॉलो करें।
whtsapp-img
News Hub