1. Home
  2. Dharam

Sheetala Ashtami 2025 kab hai: शीतला अष्टमी 2025 जानें बसौड़ा पर्व की तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Sheetala Ashtami 2025 kab hai: शीतला अष्टमी 2025 जानें बसौड़ा पर्व की तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Sheetala Ashtami 2025 Date: शीतला अष्टमी 2025 का पर्व 22 मार्च को मनाया जाएगा। बसौड़ा जयंती पर माता शीतला को बासी भोजन चढ़ाया जाता है। शुभ मुहूर्त सुबह 6:08 से शाम 6:18 तक रहेगा। व्रत और पूजा विधि से चेचक जैसे रोगों से बचाव और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।

Sheetala Ashtami 2025 kab hai puja vidhi and katha: शीतला अष्टमी का पर्व, जिसे बसौड़ा जयंती के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में बेहद खास माना जाता है। "बसौड़ा" शब्द का अर्थ है बासी भोजन, और इस त्योहार का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इस दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग चढ़ाया जाता है।

Sheetala Ashtami 2025 kab hai जानें सारी जानकारी

यह पर्व मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, जो अपने परिवार की सुख-समृद्धि और बच्चों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। मान्यता है कि शीतला अष्टमी का व्रत करने से बच्चों को चेचक, खसरा जैसी बीमारियों और आंखों से जुड़े रोगों से बचाव होता है। आइए जानते हैं कि 2025 में शीतला अष्टमी कब है और इसके शुभ मुहूर्त व पूजा विधि क्या हैं।

शीतला अष्टमी 2025 की तारीख (Sheetala Ashtami 2025 Date)

इस साल शीतला अष्टमी का त्योहार 22 मार्च 2025 को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 21 मार्च 2025 को सुबह 4:30 बजे शुरू होगी और 22 मार्च को सुबह 5:23 बजे तक रहेगी। इस दिन माता शीतला की पूजा का विशेष महत्व होता है।

शीतला अष्टमी 2025 का शुभ मुहूर्त (Sheetala Ashtami 2025 Shubh Muhurat)

शीतला अष्टमी के लिए पूजा का शुभ समय 22 मार्च को सुबह 6:08 बजे से शाम 6:18 बजे तक रहेगा। इस दौरान भक्तों को पूजा के लिए कुल 12 घंटे और 10 मिनट का समय मिलेगा। इस मुहूर्त में माता की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

शीतला अष्टमी की पूजा विधि (Sheetala Ashtami Puja Vidhi)

इस पवित्र दिन सुबह जल्दी उठें और पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद नारंगी रंग के स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा के लिए दो थालियां तैयार करें। पहली थाली में बासी भोजन जैसे दही, बाजरा, नमक पारे, रोटी, पुआ, मठरी और सतमी के दिन बने मीठे चावल रखें।

दूसरी थाली में आटे का दीपक, रोली, अक्षत, सिक्का, मेहंदी और ठंडे पानी का लोटा रखें। घर के मंदिर में माता शीतला की मूर्ति या चित्र के सामने विधिवत पूजा करें और उन्हें भोग अर्पित करें। पूजा के बाद नीम के पेड़ पर जल चढ़ाएं। दोपहर में शीतला माता के मंदिर जाएं, वहां जल, रोली और हल्दी का टीका चढ़ाएं। माता को मेहंदी और नए वस्त्र अर्पित करें। अंत में बासी भोजन का भोग लगाकर कपूर से आरती करें।

शीतला अष्टमी की व्रत कथा (Sheetala Ashtami Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, एक गांव में एक वृद्ध महिला रहती थी। एक दिन उसके गांव में भीषण आग लग गई, जिसने सभी घरों को जला दिया, लेकिन उस महिला का घर सुरक्षित रहा। यह देख गांव वाले हैरान हुए और उससे इसका रहस्य पूछा।

महिला ने बताया कि वह हर साल चैत्र कृष्ण अष्टमी को शीतला माता का व्रत रखती थी, उनकी विधिवत पूजा करती थी और बासी भोजन ग्रहण करती थी। इस दिन वह चूल्हा नहीं जलाती थी। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर माता शीतला ने उसके घर की रक्षा की। इस चमत्कार से प्रभावित होकर पूरा गांव शीतला माता की पूजा करने लगा।

Shani Sade Sati 2025: 29 मार्च से मकर राशि वालों के लिए शुभ समाचार, शनि साढ़े साती से मिलेगी मुक्ति


देश दुनिया के साथ ही अपने शहर की ताजा खबरें पाने के लिए अब आपHaryanaNewsPostकेGoogle Newsपेज औरTwitterपेज से जुड़ें और फॉलो करें।
whtsapp-img
News Hub