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इस दिन नहीं डालना चाहिए तुलसी के पौधे में पानी, होंगे सास-बहू में झगडे

इस दिन नहीं डालना चाहिए तुलसी के पौधे में पानी, होंगे सास-बहू में झगडे
सूर्योदय के पहले तुलसी में जल चढ़ाना अत्यंत प्रशंसनीय माना जाता है। यह समय ब्रह्ममुहूर्त (सूर्योदय से लगभग 1.5 घंटे पहले) तक रहता है।

हिंदू धर्म में तुलसी को पवित्र और पूज्यनीय माना जाता है और इसे मां लक्ष्मी का वास स्थान माना जाता है। तुलसी की पूजा करने से मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं।

इसलिए, लोग तुलसी के पौधे को अपने घर के आंगन में लगाते हैं और रोजाना इसकी पूजा करते हैं, जल चढ़ाते हैं और अर्चना करते हैं। तुलसी के पौधे की पूजा करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है।

यहां कुछ बातें हैं जिनका पालन करना उचित होता है, तुलसी में जल चढ़ाने का सही समय और दिन हिंदू पौराणिक ग्रंथों और वैदिक ज्योतिष के अनुसार निर्धारित किया जाता है।

नीचे दिए गए प्रमाणों के आधार पर तुलसी में जल चढ़ाने के सही समय और दिन बताए जा रहे हैं

समय 

प्रातःकाल (सूर्योदय के पहले)

सूर्योदय के पहले तुलसी में जल चढ़ाना अत्यंत प्रशंसनीय माना जाता है। यह समय ब्रह्ममुहूर्त (सूर्योदय से लगभग 1.5 घंटे पहले) तक रहता है।

सायंकाल (सूर्यास्त के पहले)

सूर्यास्त के पहले भी तुलसी में जल चढ़ाना उत्तम माना जाता है। यह समय भगवान सूर्य की पूजा के बाद आता है और शाम के लगभग आधे घंटे तक चलता है।

पूर्णिमा

हिंदू कैलेंडर की पूर्णिमा तिथि तुलसी में जल चढ़ाने के लिए बहुत शुभ मानी जाती है। पूर्णिमा के दिन तुलसी में जल चढ़ाने से आपको धन, सौभाग्य और सुख की प्राप्ति होती है।

तुलसी पौधे में जल चढ़ाने का सबसे शुभ समय सुबह के समय होता है। सूर्योदय के समय जल चढ़ाने से विशेष लाभ होता है, क्योंकि इस समय वातावरण शुद्ध और नयी ऊर्जा के साथ चार्ज होता है

इसलिए, स्नान करने के बाद सूर्योदय के समय तुलसी पर जल चढ़ाना सर्वोत्तम माना जाता है।

दिन 

शास्त्रों और वैदिक मान्यताओं के अनुसार, रविवार और एकादशी के दिन तुलसी पर जल नहीं चढ़ाया जाता है। रविवार को इसलिए नहीं, क्योंकि उस दिन तुलसी जी की पूजा और जल चढ़ाने की जगह पर तिरस्कार की प्रथा होती है।

इस दिन उसे साफ करना और बदलना शुभ नहीं माना जाता है। एकादशी के दिन भी तुलसी पर जल नहीं चढ़ाया जाता है, क्योंकि उस दिन लक्ष्मी माता विष्णु भगवान के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और जल चढ़ाने से उनका व्रत खंडित हो सकता है।


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