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बड़ी खबर: हरियाणा सरकार का ऐतिहासिक फैसला, लाखों अस्थायी कर्मचारियों को मिली सौगात

बड़ी खबर: हरियाणा सरकार का ऐतिहासिक फैसला, लाखों अस्थायी कर्मचारियों को मिली सौगात
सरकार पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय से मिले निर्देशों को ध्यान में रखते हुए भी नियमितीकरण नीति पर विचार कर रही है। फिलहाल अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। 

 हरियाणा सरकार अतिथि शिक्षकों की तर्ज पर अस्थायी कर्मचारियों को भी नौकरी की सुरक्षा की गारंटी देने पर विचार कर रही है। फिलहाल यह प्राथमिक चरण में है।

नियमितीकरण नीति के बजाय अस्थायी कर्मचारियों के लिए हरियाणा अतिथि शिक्षक सेवा अधिनियम की तर्ज पर अधिनियम बनाने पर विचार चल रहा है। इसे नियमितीकरण नीति के विल्प के तौर पर देखा जा रहा है।

नियमितीकरण नीति पर विचार किया जा रहा है

हालांकि, सरकार पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय से मिले निर्देशों को ध्यान में रखते हुए भी नियमितीकरण नीति पर विचार कर रही है। फिलहाल अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

हरियाणा सरकार के वरिष्ठतम अधिकारियों ने इस पर कई बार विचार किया है और सभी पुरानी नियमितीकरण नीतियों और उन पर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का भी अध्ययन किया है।

इन पुरानी नीतियों और पुराने निर्णयों के अनुसार नियमितीकरण नीति का मसौदा तैयार करने के लिए कई आंतरिक बैठकें की गई हैं।

प्रारूप भी तैयार

बता दें कि इसको लेकर एक प्रारूप भी तैयार किया गया है, ताकि अगर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी नियमितीकरण नीति बनाने के निर्देश देते हैं तो प्रारूप को उनके सामने रखा जा सके और इस पर चर्चा की जा सके।

इसमें कौन से अस्थायी कर्मचारियों को शामिल किया जाना है और कितने साल की सेवा वाले अस्थायी कर्मचारियों को शामिल किया जाना है, उन सभी कॉलम को खाली रखा गया है।

पिछली चर्चा में नियमितीकरण नीति के स्थान पर अस्थायी कर्मचारियों की सेवा सुरक्षित करने पर मंथन किया गया था। चर्चा हुई है कि हरियाणा अतिथि शिक्षक सेवा अधिनियम की तर्ज पर अधिनियम लाया जा सकता है, लेकिन इसका निर्णय भी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को ही लेना है।

अभी तक मुख्यमंत्री ने इस संबंध में अधिकारियों को कोई निर्देश नहीं दिए हैं। अंत में लिया जाएगा निर्णय अगर राज्य सरकार अतिथि शिक्षक सेवा अधिनियम की तर्ज पर अधिनियम बनाकर अस्थायी कर्मचारियों की सेवा सुरक्षित करने का निर्णय लेती है तो अंत में यह भी तय किया जाएगा कि कितने साल की सेवा वाले कर्मचारियों की सेवा सुरक्षित की जानी है।

अभी तक मंथन में यही निष्कर्ष निकला है कि अगर 10 साल तक की सेवा वाले कर्मचारियों को शामिल किया जाए तो उनकी संख्या बहुत कम है। ऐसे में सरकार 7 साल तक की सेवा वाले कर्मचारियों को भी शामिल करती है।

अगर फिर भी संख्या कम होती है तो सरकार 5 साल तक की सेवा वालों को भी सुरक्षा दे सकती है। हो सकता है कि सरकार 5 साल से कम की सीमा तय न कर पाए, लेकिन यह फैसला मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ही लेंगे।

सरकार जो भी फैसला लेगी, नियमितीकरण नीति या सेवा अधिनियम, वह फैसला 20 जुलाई के बाद ही होने की संभावना है। नियमितीकरण नीतियां कोर्ट में अटक सकती हैं जब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से चर्चा होगी और यह तय हो जाएगा कि नियमितीकरण नीतियां बनानी हैं या सेवा सुरक्षा की गारंटी देनी है, तब इसका मसौदा तैयार किया जाएगा।

अभी तक की चर्चाओं में यह बात सामने आई है कि सेवा अधिनियम बनाने से अस्थायी कर्मचारियों की सेवा भी सुरक्षित रहेगी और उस कानून के कोर्ट से भी बच निकलने की पूरी संभावना है।

यदि नियमितीकरण नीतियां बनती हैं तो वे कोर्ट में अटक सकती हैं, क्योंकि 2014 की सभी नीतियों को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है और उन पर अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।


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