हरियाणा : बीजेपी नेताओं को करना पड़ रहा किसानो के विरोध का सामना, चुनावी अभियान पर लगा ब्रेक
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर जहां तमाम दलों ने प्रचार को लेकर पूरी ताकत झोंक रहे हैं। हरियाणा और पंजाब राज्यों के कुछ गांवों में बीजेपी नेताओं को विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले कुछ दिनों से बीजेपी उम्मीदवारों के चुनावी अभियान पर स्थानीय लोगों और किसानों ने ब्रेक लगा रखे हैं। बीजेपी कैंडिडेट्स को किसानों के तीखे सवालों का सामना करना पड़ रहा है।
किसानों का आरोप है कि जिस तरह सरकार ने उन्हें दिल्ली में घुसने नहीं दिया, वे बीजेपी नेताओं को अपने गांव में घुसने नहीं देंगे। इसकी हालिया झलक तब देखने को मिली जब, सूफी गायक और बीजेपी कैंडिडेट हंस राज हंस फरीदकोट में अपना पहला रोड शो निकाल रहे थे।
उस दौरान किसानों ने 'वापस जाओ' के नारों के साथ बीजेपी नेताओं की जमकर फजीहत की। हंस राज हंस को एक दिन बाद मोगा शहर में भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के विरोध का सामना करना पड़ा।
यही हाल 5 अप्रैल को सिरसा में दिखा, जब बीजेपी कैंडिडेट अशोक तंवर के लिए प्रचार कर रहे हरियाणा सीएम नायब सिंह सैनी को भी किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा।
अन्य बीजेपी उम्मीदवारों परनीत कौर (पटियाला), तरणजीत संधू (अमृतसर) और हरियाणा में हिसार, सिरसा, सोनीपत से पार्टी प्रत्याशियों को किसानों के विरोध और तीखे सवालों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले कुछ दिनों में बीजेपी के चुनावी अभियानों और रैलियों पर स्थानीय लोगों और किसानों ने ब्रेक लगा दिए हैं।
किसान बीजेपी कैंडिडेट से पूछ रहे ये सवाल
जब-जब बीजेपी उम्मीदवार प्रचार के लिए गांवों का दौरा कर रहे हैं, उन्हें तीखे सवालों का सामना करना पड़ रहा है। हिसार के शमसुख गांव के एक स्थानीय किसान अमित ढाका ने कहा, “बीजेपी सरकार ने खेत और मजदूरों का कर्ज माफ क्यों नहीं किया?
केंद्र सरकार एमएसपी पर कानूनी गारंटी कब देगी? बीजेपी उम्मीदवार यह जवाब देने में भी विफल रहे कि हरियाणा पुलिस ने हिसार, करनाल, पिपली, खनौरी और शंभू सीमाओं पर किसानों पर लाठीचार्ज क्यों किया?”
बीजेपी को सबक सिखाने का समय- किसान नेता
पगड़ी संभल जट्टा किसान संघर्ष समिति के नेता मंदीप नथवान ने किसानों और मजदूरों के "जीवन को बर्बाद करने" के लिए केंद्र और हरियाणा की बीजेपी सरकार को दोषी ठहराया।
उन्होंने कहा, “हरियाणा पुलिस ने किसानों पर बल प्रयोग किया जब वे कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की ओर मार्च कर रहे थे।
बीजेपी नेताओं ने हमें आतंकवादी, खालिस्तानी कहा। उन्हें सबक सिखाने का समय आ गया है। हम उनके खिलाफ वोट करेंगे।
सरकार हमें एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने में विफल रही और हरियाणा पुलिस ने पंजाब की सीमाओं के माध्यम से हरियाणा में प्रवेश करने वाले किसानों को तितर-बितर करने के लिए गोलियों और ड्रोन का इस्तेमाल किया।
पूर्व सीएम एमएल खट्टर और उनके डिप्टी दुष्यंत चौटाला दोनों विरोध प्रदर्शनों के दौरान अड़े रहे और हमारी बात तक नहीं सुनी।"
2022 में भी बीजेपी ने झेला विरोध
पंजाब विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर प्रोफेसर आशुतोष कुमार का कहना है कि किसान खुश नहीं हैं क्योंकि कृषि क्षेत्र संकट में है। पंजाब में विरोध प्रदर्शन 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान भी हुआ था।
तब भी बीजेपी नेताओं को गांवों में कड़े विरोध का सामना करना पड़ा था। कुमार के मुताबिक, किसानों का बीजेपी नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन अच्छा संकेत नहीं है।
इसका मतलब यह हो सकता है कि हरियाणा में भाजपा को शहरी मतदाताओं सहित अपने पारंपरिक सामाजिक समर्थन आधार पर अधिक निर्भर रहना होगा।
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