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Haryana News: हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी, बीरेंद्र सिंह से जुड़ कर नया गुट बीआरएसके होगा या आरएसकेबी

Haryana News: हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी, बीरेंद्र सिंह से जुड़ कर नया गुट बीआरएसके होगा या आरएसकेबी
इन दिनों आईपीएल चल रहा है। हरियाणा की राजनीति में भी कुछ ऐसा ही हाल है। बीरेंद्र सिंह के काँग्रेस में आने के बाद गुट बैन सकते हैं। 

चंडीगढ़। Haryana News: चौधरी बीरेंद्र सिंह की कांग्रेस में वापस लौटने के बाद हरियाणा की राजनीति में एक नई चर्चा शुरू हो गई है। वह चर्चा यह है कि कांग्रेस का नया गुट बीआरएसके होगा या आरएसकेबी होगा। मतलब रणदीप, शैलजा, किरण, बीरेंद्र। इसमें बीरेंद्र अब कहां फिट बैठते हैं देखना होगा।

हालांकि बीरेंद्र सिंह के पार्टी में वापस लौटने के समय हरियाणा के सभी प्रमुख नेता मौजूद थे। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा, पार्टी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला और कुमारी शैलजा, किरण चौधरी आदि। कांग्रेस ने संदेश देने की कोशिश की कि प्रदेश के कांग्रेसी पूरी तरह से एक जुट हैं। लेकिन कांग्रेस मुख्यालय से निकलने के बाद हरियाणा आते आते नई चर्चा शुरू हो गई।

दरअसल हरियाणा कांग्रेस की राजनीति में पार्टी के दो गुटों में बंटने की बात जग जाहिर है। एक तो अपने आप में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गुट तो है ही। हुड्डा के इस गुट के खिलाफ दूसरा गुट है आरएसके का। आर मतलब रणदीप सिंह सुरजेवाला, एस मतलब शैलजा और के मतलब किरण चौधरी। हरियाणा कांग्रेस की राजनीति में असल लड़ाई हुड्डा बनाम आरएसके के बीच ही है।

दोनों गुट अपने हिसाब से अलग अलग शक्ति प्रदर्शन करते रहते हैं। लेकिन मंगलवार को दस साल पहले पार्टी छोड़ने वाले वरिष्ठ नेता बीरेंद्र सिंह की वापसी हो गई। बीरेंद्र सिंह के पार्टी छोड़ने के पीछे उस समय दो वजह थीं। एक राहुल गांधी और दूसरे भूपेंद्र सिंह हुड्डा। हरियाणा की राजनीति में उनके असली प्रतिद्वंदी हुड्डा ही थे।

बीरेंद्र सिंह भी कभी हरियाणा का मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, लेकिन हुड्डा के सामने उनकी दाल नहीं गली। यूपीए शासन में वह उपेक्षित से रहे। इसके चलते बीजेपी में चले गए। वहां पर भी शुरू के पांच साल उनके ठीक ठाक कटे लेकिन बाद के पांच साल संघर्ष वाले रहे। इसके चलते उनका बीजेपी से मोह भंग हो गया और वे कांग्रेस में लौट आए।समझा जा रहा है कि उनके लौटने आरएसके गुट अब ताकतवर हो जायेगा।

लेकिन चर्चा यह है कि आरएसके साथ अब बी कहां लगेगा। आगे या पीछे। जब बीरेंद्र कांग्रेस में थे तो सबसे वरिष्ठ थे। लेकिन बीजेपी में जाने के बाद उनकी वरिष्ठता सवालों के घेरे में हैं। ऐसे में अगर आरएसके पीछे बी लगता है तो आरएसकेबी गुट हो जायेगा। अगर आगे लगता है तो बीआरएसके हो जायेगा। हुड्डा को इस गुट के साथ बीजेपी से भी लोहा लेना होगा। इनमे कुछ नेता अभी लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन असल लड़ाई साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव की होगी।

Haryana News: सोशल मीडिया पर आमने सामने हरियाणा के राजनीतिक दिग्गज


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