Haryana Vidhansabha Budget Session: माननीय की भाषा-आचरण सवालों के घेरे, कार्रवाई देखने आए दर्शक बोले विधायकों का ऐसा व्यवहार व भाषा बेहद दुखद

चंडीगढ़, Haryana Budget Session: हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल का अभिभाषण हुआ और 45 मिनट से ज्यादा समय तक चले राज्यपाल के अभिभाषण के बाद जब विधानसभा की कार्रवाई आगे बढ़ी तो लंच बाद जनता के नुमाइंदे विधायकों की भाषा सवालों के घेरे में रही।
बजट सत्र के बाद जजपा विधायक जोगीराम सिहाग राज्यपाल के अभिभाषण पर अपनी बात रख रहे थे। इसी बीच कांग्रेस के विधायक कुछ बातचीत कर रहे थे और ये बात सामने आई कि कांग्रेस विजिटर्स गैलरी में बैठे नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद सुभाष बराला को लेकर कांग्रेस के किसी विधायक ने कमेंट पास किया कि इनकी तो विधानसभा चुनाव में बड़ी हार हुई थी।
इसको लेकर भाजपा को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। मामले को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों में जमकर बहस शुरु हो गई। वहीं इस मामले पर खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सदन की कार्रवाई देखने आए किसी व्यक्ति विशेष या अन्य पर कमेंट करना ठीक नहीं है और उन्होंने उस वक्त स्पीकर की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे मोहनलाल बड़ौली से एक्शन लेने की मांग की।
इससे पहले मोहनलाल बड़ौली से कुलदीप वत्स से सदन से बाहर जाने को कहा था। ये भी बता दें कि विधायकों द्वारा सदन के अंदर उनका व्यवहार व भाषा कई दफा सवालों के घेरे में रही है।
कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों की भाषा और व्यवहार सवालों के घेरे में
मामले को लेकर सदन की कार्रवाई देखने आए लोगों से बातचीत की गई। दर्शक दीर्घा में सदन की कार्रवाई देख रहे दर्शकों सोनीपत के संदीप गहलावत, पदम रांगी और संदीप भनवाला ने बताया विधायकों द्वारा इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना बेहद ही खराब है। बतौर जनता के नुमाइंदे उनसे विधानसभा सदन के अंदर इस तरह की आपत्तिजनक भाषा और अभद्र व्यवहार की कल्पना करना भी बेमानी होगा।
आगे उन्होंने बताया कि नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद सुभाष बराला को लेकर बरौदा से कांग्रेस विधायक इंदुराज और बेरी से कुलदीप वत्स लगातार कमेंट कर रहे थे। उनके द्वारा विजिटर गैलरी में बैठे राज्यसभा सांसद सुभाष बराला की पिछले विधानसभा चुनाव में हार पर कमेंट लगातार किए गए।
इसके बाद निर्दलीय नयनपाल रावत द्वारा कांग्रेस विधायक कुलदीप वत्स को लेकर बेहद आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया जो कि अनुचित है। इसको लेकर कुलदीप वत्स भी आवेश में आ गए। इसके बाद दोनों निर्दलीय नयनपाल रावत और कांग्रेस विधायक कुलदीप वत्स में तीखी बहस देखने को मिली।
सदन की कार्रवाई खत्म होने के बाद कुलदीप वत्स ने बयान देते हुए कहा कि नयनपाल रावत ने सदन में उनके खिलाफ बेहद ही आपत्तिजनक व गाली गलौज वाली भाषा का इस्तेमाल किया है जो काबिले बर्दाश्त नहीं है। साथ ही कहा कि मोहनलाल बडौली उनको सदन से बाहर करने वाले कौन होते हैं।
हुड्डा ने राज्यपाल के अभिभाषण के बाद सदन की कार्रवाई चलाने पर आपत्ति जताई
नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आम तौर पर राज्यपाल के भाषण के बाद उस दिन सदन की कार्रवाई स्थगित हो जाती है और फिर इसके अगले निर्धारित दिन सदन की कार्रवाई शुरु होती है और अभिभाषण पर चर्चा होती है। आगे हुड्डा ने कहा कि चूंकि ये गलत परंपरा है तो ऐसा नहीं होना चाहिए।
इस पर विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि पहले भी ऐसा दो तीन दफा हो चुका है तो इसमें अब क्या आपत्ति है। ज्ञानचंद गुप्ता ने आगे बताया कि 22 मार्च 2005 को भी पहले राज्यपाल के अभिभाषण के बाद विधानसभा सत्र की कार्रवाई आगे बढ़ी थी। चूंकि ऐसा पहले हो चुका है तो इस पर कोई ज्यादा आपत्ति वाली बात नहीं होनी चाहिए।
वहीं आगे हुड्डा ने आगे कहा कि बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में उनको जानकारी दी गई कि सदन में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा 21-22 फरवरी को होनी है और उनको मिसगाइड किया गया है। लेकिन अगर पहले ऐसा हुआ भी है तो दो-तीन वाक्यात का हवाला दे आगे ऐसा नहीं होना चाहिए।
सीएम बोले तीन बार होता है राज्यपाल का अभिभाषण
वहीं मामले पर बोलते हुए सीएम मनोहर लाल ने कहा कि आम तौर पर विधानसभा में राज्यपाल का अभिभाषण तीन दफा होता है। उन्होंने कहा कि तीन परिस्थितियों जब नई सरकार का पहला विधानसभा सत्र हो या फिर बजट सत्र हो या फिर राज्यपाल का पहला विधानसभा सत्र हो, में राज्यपाल का अभिभाषण होता है।
वहीं आगे सीएम ने हुड्डा से मुखातिब होते हुए कहा कि अगर राज्यपाल के अभिभाषण पर आज चर्चा नहीं करना चाहते तो आपकी मर्जी है लेकिन बाद में आप ये नहीं कह सकते हैं कि सदन में अभिभाषण पर चर्चा पर के लिए समय कम कर दिया गया। इसी मसल पर कांग्रेस के विधायक बीबी बत्रा ने सवाल उठाते हुए कहा कि सदन में चर्चा का समय कैसे कम किया जा सकता है तो वहीं हुड्डा ने ही उनको टोकते हुए कहा कि वो बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में हैं और मामले से वाकिफ हैं।
पहले मीडिया गैलरी में 8 फीट के बुलेटप्रूफ शीशे लगा दिए, फिर हटाने के आदेश
कई दिन पहले विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने पिछले साल संसद में सुरक्षा चूक की घटना का हवाला देते हुए मीडिया गैलरी में 8 फिट उंचे मजबूत शीशे लगाने के आदेश दिए थे। बजट सत्र के पहले दिन विधानसभा में लगाए गई ग्लास वॉल के लगाने की चर्चा सदन में पूरा दिन रही।
मामला सदन में भी उठा तो सीएम मनोहर लाल ने कहा कि चूंकि प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ है तो सदन की कार्रवाई और मीडिया के बीच में इनको यहां नहीं लगाना चाहिए था। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि मामले पर पहले ही रायशुमारी हो चुकी है और इनको मीडिया गैलरी से हटा दिया जाएगा। बता दें कि मीडिया गैलरी में फर्श से सिक्योरिटी ग्लास की ऊंचाई करीब 8.5 फीट थी।
लाखों रुपए खर्च हुए शीशे की दीवार खड़ी करने में
बता दें कि मीडिया गैलरी में शीशे की दीवार खड़ी करने पर लाखों रुपए की राशि खर्च हुई है। जब सदन में साफ हो गया कि अब इस शीशे की दीवार को हटाया जाएगा तो ये चर्चा भी उठनी लाजिमी थी कि इस दीवार को खड़ी करने में कितनी राशि खर्च हुई है। प्राप्त जानकारी अनुसार हम सभा में मीडिया गैलरी और दर्शक दीर्घा में करीब 20 लाख की राशि खर्च हुई।
हालांकि नीचे की दीवार नहीं हटाई जाएगी। कुछ दिन पहले विधानसभा द्वारा आधाकारिक रुप से शीशे की दीवार खड़ी करने को लेकर साझा की गई जानकारी अनुसार ग्लास दीवार को बनाने के लिए 13.5 एमएम की मोटाई वाले सिक्योरिटी ग्लास का प्रयोग इसके हुआ लिए दो टफन्ड शीशों को आपस में जोड़ा गया।
इसकी बनावट इस प्रकार से है कि 6 एमएम की मोटाई वाले दो टफन्ड शीशों के बीचोंबीच 1.5 एमएम का कैमिकल रहेगा। बीच में केमिकल की परत इसलिए लगाई गई ताकि अगर किसी बहुत भारी वस्तु से उस पर प्रहार भी किया जाएगा तो भी ग्लास के टुकड़े नीचे नहीं गिरेंगे।
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