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Haryana BJP News: भाजपा एक्शन मोड में, मंत्रीजी को अब एसी रूम से बाहर निकल जनता के बीच जाना होगा

Haryana BJP News: भाजपा एक्शन मोड में, मंत्रीजी को अब एसी रूम से बाहर निकल जनता के बीच जाना होगा
Haryana News: 1 जुलाई से सभी मंत्रियों को सीएम के जनसंवाद कार्यक्रम की तर्ज पर जनता के बीच जाना होगा, बाद में सांसद और विधायक भी उतरेंगे मैदान में। ढीली कार्यशैली वाले मंत्रियों पर मुख्यमंत्री और पार्टी हाईकमान  की नजर, आने वाले चुनाव में हो सकता है पत्ता साफ।

Haryana News: चंडीगढ़: हरियाणा में अगले साल चुनाव है।  पार्टियां चुनावी वैतरणी तरने की पुरजोर तैयारी कर रही हैं।  भाजपा और  जजपा जहां सत्ता में बने रहने के लिए प्रयासरत है तो वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और इनेलो सत्ता में वापसी के लिए बेकरार है। इसी कड़ी में सामने आया है कि भाजपा ने अपने ढीली कार्यशैली वाले मंत्रियों और विधायकों पर नजर रखनी शुरू कर दी है।

खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पार्टी हाईकमान निरंतर उन मंत्रियों की कार्यशैली पर नजर रख रहे हैं जो अपने काम व वर्किंग स्टाइल के जरिए लोगों को साधने में असफल रहे।  मुख्यमंत्री अलग-अलग जिलों में जाकर जनसंवाद कार्यक्रम कर वोटर्स की नब्ज टटोल रहे हैं। उन्होंने एक तरह से साफ कर दिया है कि मंत्री चुनाव से पहले अपनी कार्यशैली को दुरुस्त करें।।

पार्टी भी चाह रही है कि वो अपने एसी रुम से बाहर निकल जनता के बीच जाकर  उनके अधिक से अधिक कार्यों को अंजाम तक पहुंचाने में अपनी भूमिका सुनिश्चित करें। कई दफा ऐसा हुआ जब ढीली कार्यशैली वाली कई मंत्रियों के चलते प्रदेश सरकार को भी नुकसान उठाना पड़ा।

आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी हाईकमान मुख्यमंत्री कतई नहीं चाहते कि ढीली कार्यशैली वाले मंत्रियों के चलते पार्टी बैकफुट पर आए और आने वाले चुनाव में पार्टी को नुकसान उठाना पड़े।

दुस्वपन साबित हुआ 2019 विधानसभा चुनाव

पिछला 2019 का  विधान सभा चुनाव पार्टी के कई मंत्रियों के लिए दुस्वपन साबित हुआ। तत्कालीन कैबिनेट के सात मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा।  राज्य के उस वक्त कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ बादली सीट से चुनाव हार गए थे।  वह पिछली बार यहां से चुनाव जीतकर राज्य सरकार में मंत्री बने थे।

नारनौंद से विधायक रहे राज्य के वित्त मंत्री बने कैप्टन अभिमन्यु भी अपने निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव हार गए। महेंद्रगढ़ से विधायक और राज्य के शिक्षा व पर्यटन मंत्री रामबिलास शर्मा भी चुनाव हार गए । उनके अलावा कला और संस्कृति मंत्री/महिला एवं बाल विकास मंत्री कविता जैन को भी सोनीपत से हार का मुंह देखना पड़ा।

राज्य के सहकारिता राज्य मंत्री मनीष ग्रोवर को भी रोहतक में हार का सामना करना पड़ा। शाहबाद से विधायक कृष्ण बेदी भी चुनाव हार गए थे। यही नहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला भी टोहाना से चुनाव में मात खा गए। हरियाणा में परिवहन व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वाले कृष्ण लाल पंवार भी इसराना निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव हार गए ।

मंत्रियों ने कार्यालय में बैठने से भी परहेज ही रखा

मुख्यमंत्री लगातार मंत्रियों से कहते रहे हैं कि वह जनता के बीच में जाएं लेकिन ऐसा धरातल ऐसा कम ही हुआ। मंत्री ग्रीवेंस कमेटी की बैठकों तक ही सीमित रह गए।  इसके अलावा कार्यकर्ताओं और पार्टी के नेताओं से भी बंद कमरों में ही उन्होंने मीटिंग की।  अगर प्रशासनिक स्तर पर बार करें तो अफसरों से भी उन्होंने बंद कमरों में ही बैठकों का दौर चलाया।

ना केवल वोटर्स और आम जनता पार्टी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी कई बार इसको लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की। सरकार को निर्देश जारी करने पड़े कि सभी मंत्री निर्धारित दिन अपने कार्यालय में बैठेंगे और लोगों से मिलेंगे। हालांकि धरातल पर इसमें कोई ज्यादा बदलाव नहीं आया।  

ऐसे में पार्टी कोशिश है कि इस मामले में लापरवाही बरतने वाले मंत्रियों पर लगाम कसी जाए। सभी मंत्रियों को दो दिन सचिवालय में बैठने के निर्देश जारी किए थे लेकिन ये सिलसिला ज्यादा लंबा नहीं चल पाया। इसके अलावा मंत्रियों का बारी बारी से भाजपा कार्यालय में बैठने को कहा गया था लेकिन ऐसा भी कम ही हुआ। 

विज निरंतर कार्यालय में बैठे, बाकी कभी कभार ही दिखे

कई बार विधायकों व सांसदों के उनके क्षेत्र में नहीं जाने पर जनता द्वारा उनके गायब होने के पोस्टर लगाए जाते हैं।। हरियाणा में मंत्रियों के मामले में प्रत्यक्ष रूप से बेशक ऐसा ना हुआ हो लेकिन कहीं ना कहीं बार बार यह चर्चा जरूर उठी की प्रदेश के मंत्री जनता के बीच में बेहद कम जा रहे हैं या जा ही नहीं रहे हैं।

गब्बर के नाम से पहचान रखने वाले होम मिनिस्टर हेल्थ मिनिस्टर अनिल विज ने निरंतर जनता दरबार लगाया और लगातार अपने कार्यालय में लोगों और पार्टी वर्कर से मुलाकात की।। हालांकि बाद में जब मुख्यमंत्री ने जनसंवाद कार्यक्रम शुरू किया तो अनिल विज ने जनता दरबार लगाना बंद कर दिया।

अनिल विज की जनता दरबार की चर्चा निरंतर रही और सभी जिलों से पीड़ित लोग अपनी अपनी समस्या लेकर उनसे मिलने आए। बीच-बीच में निरंतर चर्चा थी कि अन्य मंत्रियों को भी अनिल विज की तरह जनता दरबार लगाना चाहिए। वहीं ये भी बता दें कि कई मंत्री तो सचिवालय में अपने कार्यालय में भी कभी कभार ही दिखते हैं और उनके दर्शन दुर्लभ जाते हैं। 

कार्यशैली में सुधार नहीं हुआ तो बढ़ सकती हैं दिक्कतें

पार्टी की तरफ से कई दफा कहा गया है कि सभी मंत्री, सांसद व विधायक सरकार की नीतियों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी लोगों तक पहुचाएं। सरकार ने अब तक जो भी काम किए हैं, उसके बारे में लोगों को जानकारी दी जाए। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जो भी मंत्री, सांसद व विधायक पार्टी हाईकमान की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरे, उनको आने वाले चुनाव में  व्यक्तिगत राजनीतिक क्षतिपूर्ति के लिए तैयार रहना चाहिए।

पार्टी उनके खिलाफ कड़े कदम उठाने से नहीं चूकेगी। खुद सीएम भी नहीं चाहते कि कोई कमजोर कड़ी भविष्य में पार्टी के लिए परेशानी का सबब बने। 

ग्रामीण इलाकों पर नजर, मंत्री पहले गांव में लोगों के बीच जाएंगे

मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया है कि सभी मंत्रियों को पहले ग्रामीण इलाकों में जाना होगा। उनको लोगों की समस्या जानकर इनका तय समय सीमा में समाधान सुनिश्चित करना होगा। पार्टी हाईकमान भी चुनावों को लेकर हर तरह की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं। पिछले कुछ समय से भाजपा व ग्रामीण वोटर्स में थोड़ी तल्खी बढ़ी है।

ऐसे में पार्टी की कोशिश होगी कि चुनाव से पहले ग्रामीण वोटर्स से इस दूरी को कम किया जाए। मंत्रियों को जनता के बीच में जाकर सरकार और लोगों के बीच सेतु का करना होगा।


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