हरियाणा में बढ़ती ठंड और कोहरा बना गेहूं की फसल के लिए वरदान, ठंड लंबी चली तो होगी गेहूं की बंपर पैदावार
![Increasing cold and fog in Haryana has become a boon for wheat crop, if cold continues for a long time, there will be bumper yield of wheat.](https://haryananewspost.com/static/c1e/client/99834/uploaded/535ba8c5962a33f33fbc7104274adcc0.jpg?width=968&height=545&resizemode=4)
करनाल। मौसम विभाग ने जो एडवाइजरी जारी की है कि 31 और 1 फरवरी को बारिश हो सकती है इसको लेकर किसान फिर हाल गेहूं की फसल में पानी न लगाए, मौसम को देखकर ही किसान सिंचाई करें। फसलों में पीलेपन से ना डरे किसान, राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान ने जारी की एडवाइजरी, फसलों में पीले रतवे की अभी तक नही कोई सूचना, 80% किसानों ने अपनाई जलवायु रोधी किस्में, स्पेक्ट्रेल इमेजिंग तकनीक पर काम कर रहा संस्थान, गेहूं की प्रजाति, बीमारी और उर्वरक की जरूरत का लगाया जा सकेगा पता।
किसानों को फायदा
पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी के चलते मैदानी इलाकों में भी ठंड लगातार बढ़ती जा रही है। एक तरफ इस ठंड ने आम लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। तो दूसरी तरफ इस ठंड ने किसानों के चेहरे पर खुशी ला दी है। ऐसे में गेहूं की फसल के लिए जितनी ज्यादा सर्दी पढ़ेगी, उतनी ही अच्छी होगी। यदि मौसम गर्म रहेगा, तो गेहूं में फुटाव नहीं होगा। गेहूं का पौधा बढ़ जाएगा और समय से पहले बाली निकल आएगी। ऐसे में बाली भी छोटी आती है और गेहूं का दाना भी कमजोर रहता है। किसानों और कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो ठंड जितनी बढ़ेगी, गेहूं की पैदावार उतनी ही अच्छी होगी।
गेहूं के बंपर पैदावार की उम्मीद
राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों ने इस बार गेहूं के बंपर पैदावार की उम्मीद जताई है। केंद्र सरकार ने इस बार 114 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा है जिसको लेकर कृषि वैज्ञानिक पूरी तरह आशान्वित हैं। राष्ट्रीय गेहूं एवं जो अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि ठंड जितनी अधिक होती है, गेहूं की पैदावार उतनी ही बढ़ जाती है।
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बढ़ रहे कोहरे और पाले से गेहूं की फसल में फुटाव अच्छा होता है। उन्होंने कहा कि अब की बार ठंड लंबी चली है इस गेहूं की बंपर पैदावार होने की उम्मीद है। किसानों के लिए एडवाइजरी जारी करते हुए उन्होंने कहा कि कोहरे के चलते कई बार फसलों में पीलापन आ जाता है । जिसको लेकर किसानों को ज्यादा चिंता करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि धूप निकलने पर यह अपने आप ठीक हो जाएगा।
फसलों में पीलापन पीला रतवा नहीं
उन्होंने कहा कि फसलों में यह पीलापन पीला रतवा नहीं है। डॉ ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि अभी तक क्षेत्र में कहीं भी पीले रतवे की बीमारी की सूचना नहीं है लेकिन अगर कहीं पीले रतवे का प्रकोप दिखाई दे तो किसान संस्थान के वैज्ञानिकों से संपर्क कर सकते हैं। निदेशक ने कहा कि केंद्र सरकार ने उन्हें 70% क्षेत्र में जलवायु रोधी किस्मों की बिजाई का लक्ष्य दिया था। खुशी की बात है कि इस बार उत्तर भारत के 80% क्षेत्र में किसानों ने जलवायु रोधी किस्मों को अपनाया है। इन किस्म पर जलवायु परिवर्तन का कोई खास असर नहीं होता है।
डॉ ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि आने वाले समय मे उनका संस्थान स्पेक्ट्रेल इमेजिंग तकनीक पर काम कर रहा है। इस तकनीक के विकसित होने पर खेत में गेहूं की कौन सी प्रजाति लगी है, इसका पता लगाया जा सकेगा। इसके अलावा फसलों में कौन सी बीमारी है या कितने उर्वरक की जरूरत है इसकी भी जानकारी किसानों को मिल सकेगी। अभी इस पर शोध कार्य चल रहा है।
सर्दी से गेहूं की फसल को फायदा
वहीं किसानों ने बताया कि सर्दी से गेहूं की फसल को फायदा ही फायदा है। किसानों का कहना है कि जैसे-जैसे सर्दी बढ़ेगी, वैसे-वैसे गेहूं की फसल तेजी से बढ़ेगी और गेहूं की बालियों में फुटाव अधिक होगा। उन्होंने कहा कि इस मौसम में उर्वरक की भी कम आवश्यकता रहती है। गेहूं की अच्छी फसल के लिए फरवरी महीने तक अच्छी ठंड रहनी चाहिए। जो अभी ठंड चल रही है इससे आगे बंपर पैदावार मिलने की उम्मीद रहती है।
वहीं किसानों का कहना है कि अबकी बार काफी अच्छी ठंड पड़ रही है। जिससे गेहूं की फसल में काफी फायदा हो रहा है और हमें उम्मीद है कि अबकी बार हमारा उत्पादन भी अच्छा रहेगा ठंड हमेशा ही गेहूं की फसल के लिए वरदान साबित होती है । हमें लग रहा है कि अबकी बार हमारी गेहूं की फसल अच्छी होगी अगर अब मौसम खुल जाता है तो और भी बढ़िया होगा।
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