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Karnal Lok Sabha seat: जानें क्‍या है करनाल लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास, यहां से तीन बार हारीं थी सुषमा स्‍वराज

Karnal Lok Sabha seat: जानें क्‍या है करनाल लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास, यहां से तीन बार हारीं थी सुषमा स्‍वराज
Karnal Lok Sabha Constituency History: करनाल लोकसभा सीट के तहत आने वाले करनाल और पानीपत देश के इतिहास में अहम स्थान रखते हैं। पानीपत की धरती पर हुए तीन युद्ध भारतीय इतिहास में अमिट हैं। मोहम्मद गौरी और पृथ्वी राज चौहान के बीच में तरावड़ी में लड़ाई हुई थी। तरावड़ी में आज भी पृथ्वी राज चौहान का किला है।

करनाल। महाभारत के पात्र कर्ण की नगरी करनाल लोकसभा सीट दिग्गजों की हार के लिए भी जानी जाती है। यही वह सीट है जहां पर पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल को हार का सामना करना पड़ा था। इस हार के बाद से ही उनकी राजनीति की पीएचडी खत्म हो गई थी। बीजेपी की दिग्गज नेता और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज करनाल से एक अदद जीत के लिए तरस गई थीं।

यहां 1952 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ था, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विरेंद्र कुमार सत्यवादी ने जीत हासिल की थी। घरौंड़ा, निलोखेड़ी, असंध, इंदरी और तरावड़ी इसके मुख्य दर्शनीय स्थल हैं। दिल्ली से इसकी दूरी 117 किलोमीटर है।

करनाल सीट को ब्राह्मण सीट के तौर पर पहचाना जाता है लेकिन 2024 चुनाव में यह मिथ टूटा। यहां से बीजेपी प्रत्याशी अश्विनी कुमार चोपड़ा को जीत मिली थी। साल 2014 में मोदी लहर में करनाल से बीजेपी के अश्विनी चोपड़ा ने यहां से दो बार लगातार कांग्रेस से सांसद रहे डॉ. अरविंद शर्मा को 3,60,147 वोटों से हराया था। बीजेपी से अश्विनी को कुल 5,94,817 वोट मिले, जबकि अरविंद शर्मा को 2,34,670 वोट पड़े थे।

2019 से यहां बीजेपी के संजय भाटिया सांसद है। उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज कुलदीप शर्मा को हराया। संजय भाटिया ने 6 लाख 56 हजार से ज्यादा वोटों से हराया।

कुल 9 विधानसभा सीटें

करनाल लोकसभा क्षेत्र में कुल 9 विधानसभा सीटें हैं। करनाल और पानीपत जिले के मतदाता करनाल लोकसभा सीट के तहत ही आते हैं। नीलोखेड़ी, इंद्री, करनाल, घरौंडा, असंध, पानीपत ग्रामीण, पानीपत सिटी, इसराना और समालखा विधानसभा इस लोकसभा में शामिल हैं। 1951 से अब तक कांग्रेस नौ बार यहां से चुनाव जीती है। 4 बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है।  एक बार भारतीय जनसंघ ने जीत दर्ज की है। करनाल सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व रहा है।

करनाल का क्या है इतिहास?

करनाल लोकसभा सीट के तहत आने वाले करनाल और पानीपत देश के इतिहास में अहम स्थान रखते हैं। पानीपत की धरती पर हुए तीन युद्ध भारतीय इतिहास में अमिट हैं। मोहम्मद गौरी और पृथ्वी राज चौहान के बीच में तरावड़ी में लड़ाई हुई थी। तरावड़ी में आज भी पृथ्वी राज चौहान का किला है। करनाल जिले के कई गांव धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र की 48 कोस की जमीन की सीमा में आते हैं। करनाल में कई बड़ी फैक्ट्रियां हैं, जिसमें कृषि उपकरण, राइस शैलर, वनस्पति, तेल और दवाइयां तैयार की जाती हैं। पानीपत का हैंडलूम उद्योग विश्व स्तर पर अपनी पहचान रखता है। पर्यटक के लिहाज से कर्ण लेक, कलंदर शाह, छावनी चर्च और सीता माई मंदिर खास हैं।

करनाल लोकसभा राजनीतिक इतिहास

साल

    विजेता    

    पार्टी

1952

वीरेंद्र कुमार सत्यवादी        

कांग्रेस

1957

सुभद्रा जोशी

कांग्रेस

1962        

स्वामी रमेशवरानंद

भारतीय जन संघ

1967

माधो राम शर्मा

कांग्रेस

1971

माधो राम शर्मा

कांग्रेस

1977

भगवंत दयाल शर्मा

जनता पार्टी

1978

मोहिंद्र सिंह

जनता पार्टी

1980

चिरंजी लाल शर्मा

कांग्रेस (1)

1984

चिरंजी लाल शर्मा

कांग्रेस

1989

चिरंजी लाल शर्मा

कांग्रेस

1991

चिरंजी लाल शर्मा

कांग्रेस

1996

ईश्वर दयाल स्वामी

भाजपा

1998

भजन लाल

कांग्रेस

1999

ईश्वर दयाल स्वामी

भाजपा

2004

अरविंद शर्मा

कांग्रेस

2009

अरविंद शर्मा

कांग्रेस

2014

अश्विनी चौपड़ा

भाजपा

2019

संजय भाटिया

भाजपा

ये दिग्गज हारे

भजनलाल को अपने जीवन में पहली बार 1999 में हार का यहीं पर मुंह देखना पड़ा।

बीजेपी की सुषमा स्वराज 3 बार 1980, 1984 और 1989 में हारीं।

चार दफा करनाल से जीत दर्ज करने वाले पंडित चिरंजी लाल अंतिम चुनाव यहां से 1996 में हार गए।

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