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Padma Shri Dr Hariom : कुरुक्षेत्र के डॉक्टर हरिओम कौन हैं, जिनको प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर मिल रहा पद्मश्री

Padma Shri Dr Hariom : कुरुक्षेत्र के डॉक्टर हरिओम कौन हैं, जिनको प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर मिल रहा पद्मश्री
Kurukshetra News : डॉक्टर हरिओम चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के अंतर्गत स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में प्रमुख वैज्ञानिक के तौर पर कार्यरत रह चुके हैं। केंद्र सरकार की ओर से पद्मश्री के लिए उनके नाम की घोषणा की गई है। 

कुरुक्षेत्र। Padma Shri Dr Hariom : डॉक्टर हरिओम चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के अंतर्गत स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में प्रमुख वैज्ञानिक के तौर पर कार्यरत रह चुके हैं। उन्होंने कैथल कुरुक्षेत्र के अलावा भी कई जगह अपनी सेवाएं दी है और सेवानिवृत्ति के बाद पिछले कई वर्षों से आचार्य देवव्रत के प्राकृतिक खेती मॉडल को बढ़ावा देने में लगे हैं।

कौन हैं डॉ हरिओम

डॉ हरिओम जी कृषि विज्ञान केंद्र से सेवानिवृत होने के बाद गुरुकुल कुरुक्षेत्र की शोध टीम के अहम् मानव संसाधन रहे हैं। उन्होंने अपने सात्विक मूल शोध को यहाँ प्रयोग किया है और जिसका नतीजा आज हम सभी के सामने है। डॉ हरिओम बताते हैं कि बिना किसी रासायनिक जहरीली इनपुट के आज धान और गन्ने फसलें बड़े आराम से उगती हैं लहलहाती हैं, जब धान की फसल की हार्वेस्टिंग की जाती है तो नीचे मेंढक मेंढकियों की फ़ौज दिखाई देती है।

जो धान के तने से रस चूसने वाले कीड़ों को काबू में रखते हैं जब कल हम धान के खेत को देख रहे थे तो उसमें अजोला और काई भी भरपूर दिखाई रहे थे। जो इस बात का प्रमाण है कि इकोलॉजी ने खेतों में अपनी जगह बना ली है। केचुएं अब इतनी भरपूर मात्रा में है कि भूमि एकदम नरम हो चुकी है कितना भी पानी आसमान से बरस जाए पानी जमीन में समा जाता है।

प्राकृतिक खेती पर पुस्तक 

डॉ हरिओम जी ने अपने अनुभवों को एक पुस्तक में समायोजित किया जिसका विमोचन आचार्य देवव्रत जी भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी से आगामी 10 अगस्त 2023 को गुरुकुल कुरुक्षेत्र में किया गया था। 

बेटा भी है वैज्ञानिक

डॉ हरिओम जी का बेटा विजय जो महराणा प्रताप हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिक है वो डॉ हरिओम जी की पुस्तक और शोध को अंग्रेजी में अनुवाद कर रहा है। गुरुकुल कुरुक्षेत्र के फ़ार्म पर श्रीमान रामनिवास आर्य जी बताया कि उनका प्रयास है कि एक परमानेंट स्ट्रक्चर किसान के खेत पर खड़ा हो जिसमें जीवामृत का लगातार निर्माण हो। उसे ड्रिप सिस्टम से खेत के कोने में पहुंचाया जा सके और कोई भी कलपुर्जा बाहर से खरीद का ना लाना पड़े। उसके लिए डिज़ाइन स्तर पर शोध किया जा रहा है।

डॉ. हरिओम ने आभार व्यक्त किया

डॉ. हरिओम ने पद्म श्री पुरस्कार के लिए अपने नाम की घोषणा होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री मनोहर लाल सहित केंद्र और प्रदेश सरकार के अन्य मंत्रियों का भी आभार व्यक्त किया।

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत के प्राकृतिक खेती मॉडल के राज्य समन्वयक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ हरिओम को पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित किया गया। जिससे उनके परिवार में व पूरे कुरुक्षेत्र में खुशी की लहर है। डॉ हरिओम पिछले कई वर्षों से राज्यपाल आचार्य देवव्रत के प्राकृतिक खेती के मॉडल को बढ़ावा देने में लगे हैं।

क्यों जरूरी है प्राकृतिक खेती

प्राकृतिक खेती अपनाना अकेले सिर्फ किसानों की ही जिम्मेदारी नहीं है हमें इसके लिए देश में एक माहौल बनाना पडेगा और प्राकृतिक खेती से जुड़े किसानों और शोधार्थियों के साथ खड़ा होना पडेगा उनकी हौंसला अफ़ज़ाई करनी पड़ेगी तब जा आकर कहीं वो रास्ता निकलेगा जिसमें हमारे देशवासी स्वस्थ जीवन की कल्पना कर पाएंगे।

प्राकृतिक खेती में कमाया नाम 

वह हर आम किसान तक प्राकृतिक खेती की पहुंच के लिए जुटे हैं। जैसे ही आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर केंद्र सरकार की ओर से पद्मश्री के लिए उनके नाम की घोषणा की गई तो न केवल परिवार बल्कि पूरे कुरुक्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई। यही नहीं प्राकृतिक खेती के आधार बने गुरुकुल कुरुक्षेत्र में भी खुशी की लहर है तो वहीं डॉक्टर हरिओम को देर रात तक बधाई देने वालों का तांता लगा रहा।

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