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Kurukshetra News: कुरुक्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार नवीन जिंदल बने पल्लेदार, वोट लेने के लिए क्या-क्या पापड़ बेलने पड़ रहे

Kurukshetra News: कुरुक्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार नवीन जिंदल बने पल्लेदार, वोट लेने के लिए क्या-क्या पापड़ बेलने पड़ रहे
Kurukshetra Lok Sabha News: नवीन जिंदल लोकसभा चुनाव प्रचार दौरान अनाज मंडी में आढती , किसान मिलने के बाद  वहां काम कर रहे पल्लेदारों के साथ कंधे पर अनाज का कट्टा रखकर ट्रक में रख दिया! जिसको देखकर जहां हर कोई हक्का-बक्का रह गया वहीं नवीन जिंदल के इस कार्य की चारों तरफ प्रशंसा भी हो रही है। 

चंडीगढ़। Kurukshetra News: अक्सर चुनाव के दौरान अपने राजनेताओं को गरीब के घर में खाना खाना, रेहडी पर जूस पीना, बैलगाड़ी चलाना या मौसम के हिसाब से खेतों में कार्य कर रहे मजदूरों के साथ हाथ बटाते अक्सर देखा होगा! लेकिन शायद यह पहला मौका होगा जब कोई उम्मीदवार गेहूं के कट्टे को ही अपने कंधे पर रखकर ट्रक के बीच में डाल आए! वह भी लकड़ी के फटटे  के ऊपर से गुजरकर जिस पर आम आदमी भी चलता हुआ घबराता है !

जिसकी ऊंचाई जमीन से लगभग तीन से चार फुट  और लंबाई 10 से 12 फिट होती है! इस पर चलने के लिए क् अभ्यास होना जरूरी है! जबकि वजन लेकर चलना तो और भी मुश्किल काम है! लेकिन यह अनोखा कारनामा करने वाला कोई आम या साधारण व्यक्ति नहीं है! बल्कि देश का बड़ा उद्योगपति पूर्व सांसद नवीन  जिंदल है!

जिन्होंने अपने लोकसभा चुनाव प्रचार दौरान अनाज मंडी में आढती , किसान मिलने के बाद  वहां काम कर रहे पल्लेदारों के साथ कंधे पर अनाज का कट्टा रखकर ट्रक में रख दिया! जिसको देखकर जहां हर कोई हक्का-बक्का रह गया वहीं नवीन जिंदल के इस कार्य की चारों तरफ प्रशंसा भी हो रही है!

उन्होंने खुद यह कट्टा उठाकर जानने की कोशिश कि है किस प्रकार से मजदूर व्यक्ति अपना खून पसीना बहा कर रोजी-रोटी कमाता है! वही उनके इस कार्य के बाद पल्लेदारों की भी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा की देश के इतने बड़े व्यक्ति ने उनके साथ गेहूं का कट्टा उठाने का काम किया है! उनके सामने चुनाव लड़ रहे इंडिया गठबंधन के सुशील गुप्ता भी खेतों में गेहूं काटते हुए नजर आ चुके हैं!

यही नहीं इससे पूर्व मथुरा से सांसद व देश की नामी फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी भी गेहूं काटते नजर आ चुकी हैं! फिलहाल जैसे-जैसे चुनाव चल रहा है ऐसे में राजनेताओं के कई और रंग भी देखने को मिल सकते है! जिसको लेकर उसे गीत की पंक्तियां शायद राजनेताओं पर बिल्कुल फिट बैठती है कि" मैं तेरे प्यार में क्या कहना बना हमदम ;जाने ये मौसम जाने ये मौसम ,,और यह सब चुनावी मौसम ही जानता है  नेता को वोट की खातिर क्या-क्या बनना पड़ेगा


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