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Dragon Fruit Farming: हरियाणा में ड्रैगन फ्रूट फार्मिंग का सपना सच कर दिखाया सिरसा के किसान ने, कमा रहे लाखों रुपए

Dragon Fruit Farming : हरियाणा में ड्रैगन फ्रूट फार्मिंग का सपना सच कर दिखाया सिरसा के किसान ने, कमा रहे लाखों रुपए 
Dragon Fruit Farming in Haryana: सिरसा के किसान केसर चंद ने बताया कि इस बार उन्होंने प्रयोग के तौर पर एक कनाल में ड्रैगन फ्रूट भी लगाया है। इसकी एक किलोग्राम की कीमत 250 रुपये है। तीसरे साल तक एक एकड़ में 50 क्विंटल का उत्पादन हो जाता है। यानी करीब 10 लाख रुपए का सीधा मुनाफा होता है। 

सिरसा। हरियाणा के  कुछ किसान आज फसल विविधीकरण अपनाकर ओपन मार्केट में अपनी फसल बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं। सिरसा के रसूलपुर के किसान केसर चंद ने अपने परिवारिक सदस्यों के साथ मिलकर पहले सब्जियों की काश्त की। लहसुन, प्याज की खेती में मुनाफा हुआ तो इस साल ड्रेगन फ्रुट की शुरुआत की। इस समय वे 6 एकड़ में लहसुन, 3 एकड़ में प्याज 4, कनाल में आलू 1 एकड़ में बेबी कॉर्न और ड्रैगन फ्रूट की खेती भी कर रहे हैं। साथ ही अमरूद का बाग भी लगाया है। वहीं, कई तरह की सब्जियों की काश्त की है। 

ड्रैगन फ्रूट की खेती 

हरियाणा के जिला सिरसा में किसान बागवानी खेती कर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। इसी कड़ी में सिरसा के केसर चंद ने भी सरकारी नौकरी से रिटायरमेंट के बाद ड्रैगन फ्रूट की खेती करना शुरू किया है। हरियाणा में किसान परंपरागत खेती को छोड़कर जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं। किसान अब नए तरीके से खेती कर रहे हैं। किसान आधुनिक तकनीक की मदद से खेती में काफी मुनाफा कमा रहे हैं। 

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हरियाणा में करीब 36 लाख हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। रबी सीजन में यहां पर करीब साढ़े 25 लाख हेक्टेयर में गेहूं साढ़े 6 लाख हेक्टेयर में सरसों के अलावा कुछ रकबे पर चने व जौ की खेती की जाती है। खरीफ सीजन में करीब साढ़े 12 लाख हेक्टेयर में धान 7 लाख हेक्टेयर में कॉटन साढ़े 5 लाख हेक्टेयर में बाजरा व 70 हजार हेक्टेयर में ज्वार की खेती की जाती है। करीब 64 हजार हेक्टेयर में बागवानी व 4 लाख हेक्टेयर में सब्जियों की काश्त की जाती है। 

ऑर्गेनिक खेती

इसके अलावा, केसर चंद ऑर्गेनिक खेती को भी बढ़ावा दे रहे हैं। प्याज, लहसुन, आलू व सब्जियों की काश्त के जरिए आज धान, कपास, गेहूं की फसलों के मुकाबले कई गुणा मुनाफा कमा रहे हैं। खास बात यह है कि इस साल उनके परिवार के सदस्यों ने एक एकड़ में बेबी कॉर्न फसल बोई और 12 क्विंटल फसल का उत्पादन हुआ। उन्होंने दिल्ली में प्राइवेट ट्रेडर्स को 12,800 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से फसल बेची। वे पूरी तरह से जैविक खेती करते हैं. उनका पूरा परिवार खेती करता है। उनकी इस पहल से कई लोगों को रोजगार भी मिला है। 

सरकार कर रही सहायता 

दरअसल, हरियाणा में गेहूं, धान, नरमा, सरसों, बाजरा फसल के मोहपाश में किसान बंधे हुए हैं। हालांकि हरियाणा के उद्यान विभाग की ओर से किन्नू, अमरूद अंगूर के अलावा फूलों, मशरूम, मसालों व सब्जियों की खेती के लिए 20 से 30 फीसदी अनुदान दिया जाता है। विभाग की ओर से कोल्ड स्टोरेज के अलावा सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली पर भी अनुदान दिया जाता है। 

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फसलीकरण में प्रयोग का नतीजा है कि आज किसान केसर चंद की दो बड़ी कोठियां दो ट्रैक्टर सहित जीपें कार दोपहिया वाहन कम्बाइन व अन्य कृषि यंत्र उनकी समृद्धि की गवाही देती हैं। दूसरे किसान भी इस तरह के प्रयोग कर और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर खेती को नई सोच के साथ घाटे की बजाय मुनाफे की पटरी पर ला सकते हैं। केसर चंद न सिर्फ प्रगतिशील किसान है बल्कि दूसरे किसानों को भी ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। 

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